केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत सरकार के 38 मंत्रालयों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी सहायता मांगी है

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज बताया कि अब तक भारत सरकार के 38 मंत्रालयों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी सहायता मांगी है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित सभी छह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों तथा तकनीकी सहायता एवं समाधान के लिए 38 लाइन मंत्रालयों/विभागों से 200 से अधिक प्रस्ताव/आवश्यकताएं प्राप्त हुई हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के बाद अप्रयुक्त क्षमता का पता लगाने के लिए इनोवेटिव स्टार्ट-अप बड़े पैमाने पर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में 50 से अधिक स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं और उनमें से लगभग 10 के पास व्यक्तिगत रूप से 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक का वित्त पोषण है। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह को यह जानकर खुशी हुई कि ’नाविक’ अर्थात एनएवीआईसी आधारित अनुप्रयोगों के अलावा, स्टार्ट-अप अंतरिक्ष में मलबे के प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर समाधान पर भी काम कर रहे हैं, जिसका वैश्विक प्रभाव है।

डॉ. सिंह यहां पृथ्वी भवन में सभी विज्ञान मंत्रालयों और विज्ञान विभागों की एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री भास्कर खुल्बे, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन, सीएसआईआर के सचिव डॉ. शेखर मांडे, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले, अंतरिक्ष सचिव और इसरो के अध्यक्ष श्री एस सोमनाथ, परमाणु ऊर्जा सचिव डॉ. के. एन. व्यास क्षमता निर्माण आयोग के सचिव हेमांग जानी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संबंधित विज्ञान मंत्रालय और विभाग कृषि, भूमि मानचित्रण, डेयरी, खाद्य, शिक्षा, कौशल, रेलवे, सड़क, जल शक्ति, बिजली, कोयला और गंद नाले की सफाई जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न वैज्ञानिक समाधान लागू करने कार्य से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछली ऐसी बैठकों से आगे बढ़ते हुए संबंधित मंत्रालयों के प्रस्तावों और समस्याओं के लिए वैज्ञानिक अनुप्रयोगों की पहचान में तेजी लाने के लिए विज्ञान विभागों और संबंधित मंत्रालयों के बीच संयुक्त कार्य समूहों का गठन किया जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि क्षमता निर्माण आयोग की मदद से विशिष्ट जरूरतों के आधार पर जगह-जगह केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच विषयवार विचार-विमर्श करने के लिए एक खाका भी तैयार किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि केंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विज्ञान मंत्रालयों और विभागों की बैठकों का पहला दौर पूरा हो चुका है और वैज्ञानिक समाधान के लिए राज्यों की मांगों का संकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग क्षमताएं हैं लेकिन वे सभी अनुसंधान एवं विकास, नवाचार और एसटीआई पारिस्थितिकी तंत्र जैसे क्षेत्रों में केंद्र के साथ संयुक्त रूप से काम करने के लिए तैयार हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में गुजरात एकमात्र राज्य है जहां एसएंडटी यानी विज्ञान प्रौद्योगिकी की नीति है, लेकिन पिछले चार महीनों के मंथन सत्रों के बाद, सिक्किम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश सहित 11 और राज्य अपनी एस एंड टी नीति तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कहा गया है जहां तकनीकी हस्तक्षेप से आम आदमी के लिए जीवन को आसान बनाने के लिए विविध समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार को नवीनतम बर्फ हटाने की तकनीक के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी, जबकि पुडुचेरी और तमिलनाडु को समुद्री-समुद्र तट की बहाली और नवीनीकरण में सहायता की जा रही है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान प्रसार को पूरी तरह से नया स्वरूप दिया जा रहा है और यह अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित छह एस एंड टी विभागों की संचार जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान प्रसार को अरोमा मिशन, संसद के सेंट्रल हॉल में स्थापित यूवी प्रौद्योगिकी, जल प्रबंधन के लिए हेली-बोर्न सर्वेक्षण, व्यापक प्रसार के लिए मशीनी से गंदे नाले की सफाई की प्रणाली जैसी सफलता की कहानियों पर लघु वृत्तचित्र बनाने के लिए कहा गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 से अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित सभी छह एसएंडटी विभागों द्वारा किए गए सुधारों पर एक पुस्तिका का संकलन किया जाएगा और आने वाले दिनों में इसका विमोचन किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि दोहरेपन से बचने और नीति व कार्यक्रमों में अधिक तालमेल बनाने के लिए अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित सभी छह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों के लिए एक साझा पोर्टल विकसित करने का काम भी तेजी से चल रहा है।

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