केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने बेंगलुरु में जेजेएम और एसबीएम (जी) पर 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों के क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत हुई प्रगति की समीक्षा के लिए आज विधान सौध, बेंगलुरु में 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों के एक क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। इसमें भाग लेने वाले 6 राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और और 2 केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी और लक्षद्वीप थे। कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई ने बेंगलुरु में सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों का स्वागत किया। इस सम्मेलन में एसीएस, प्रधान सचिवों, सचिवों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आंध्र प्रदेश के पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री श्री पेड्डी रेड्डी रामचंद्र रेड्डी, मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग राज्य मंत्री श्री बृजेंद्र सिंह यादव,  कर्नाटक के आईटी, बीटी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. सी. एन. अश्वथ नारायण, कर्नाटक के प्रमुख और मध्यम सिंचाई मंत्री श्री गोविंद करजोल और पुडुचेरी के नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के मंत्री श्री ए. के. साई जे सरवनन कुमार ने भाग लिया।

 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि “भारत सरकार जल जीवन मिशन (जेजेएम) और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, जो केंद्र द्वारा इन दो प्रमुख कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेश को आवंटित धन से स्पष्ट है। मौजूदा वित्त वर्ष में भागीदार 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के लिए जेजेएम के तहत 20,487.58 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और एसबीएम (जी) के तहत 1,355.13 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। 15वें वित्त आयोग के तहत 6 भागीदार राज्यों को 7,498 करोड़ रुपये सशर्त अनुदान के रूप में आवंटित किए गए हैं।

 

केंद्रीय मंत्री ने उद्घाटन भाषण के दौरान अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “हमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘कोई भी छूट न जाए (नो वन इज लेफ्ट आउट)’ दर्शन को  सुनिश्चित करने के अनुरूप, हम देश के सभी ग्रामीण घरों में नल का जल की 100 प्रतिशत कनेक्टिविटी का लक्ष्य हासिल करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। जेजेएम और एसबीएम (जी) दोनों ने आधा सफर तय कर लिया है और लोगों को इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के महत्व को समझने की जरूरत है। जल जीवन मिशन दुनिया की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। जब यह कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब मात्र 17 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल का जल कनेक्शन उपलब्ध थे और आज हमने पिछले ढाई वर्षों में नल का जल के लगभग 6 करोड़ कनेक्शन प्रदान किए हैं और कोविड -19 की चुनौतियों के बावजूद आज 47 प्रतिशत घरों तक इसकी कनेक्टिविटी पहुंचा दी गई है। योजना बनाना, कार्य आदेश जारी करना और काम शुरू करना सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, खासकर उन गांवों में जहां बहुत सारी ग्रामीण योजनाएं प्रस्तावित हैं क्योंकि इसे पूरा होने में अधिक समय लगेगा। हम सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत नल जल पहुंचाने के लिए निर्धारित समय सीमा को भूल नहीं सकते हैं।“

श्री शेखावत ने आगे कहा कि “जेजेएम केवल जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे को बिछाने का एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि हमें जल स्रोत सुदृढ़ीकरण, जल प्रबंधन, सामुदायिक भागीदारी, सशक्तिकरण आदि के माध्यम से दीर्घकालिक स्थिरता और कार्यक्षमता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि जलापूर्ति योजना के डिजाइन के अनुसार अगले 30 वर्षों तक पानी उपलब्ध हो सके।” केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि “मंत्रालय हर ग्रामीण परिवार को निर्धारित गुणवत्ता का पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे संज्ञान में आया है कि आंध्र प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित 86 और मध्य प्रदेश में फ्लोराइड से प्रभावित 52 गांव हैं जो तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई कर शुद्ध जल पहुंचाने की जरूरत है। इसी तरह, कर्नाटक के पूर्वी जिलों में यूरेनियम के कारण जल प्रदूषण की सूचना मिली है। मेरा मंत्रालय इन समस्याओं के समाधान के लिए सभी धन और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “जब हम राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में अपने काम की योजना बनाते हैं, तो  कहने की जरूरत नहीं कि आकांक्षी जिलों, जेई / एईएस प्रभावित जिलों, सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) गांवों और एससी / एसटी बहुसंख्यक गांवों को सर्वोच्च प्रथामिकता देते हैं और मनरेगा, कैम्पा (सीएएमपीएए) इत्यादि जैसी अन्य योजनाओं से मिले धन का भी तरीके से इस्तेमाल करना हमारी प्राथमिकता होती है। यदि निम्न गुणवत्ता वाली बस्तियों में तत्काल नल का स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है, तो विशुद्ध रूप से अंतरिम उपाय के रूप में, ऐसे गांवों के हर घर में पीने और खाना पकाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए 8-10 एलपीसीडी पेय जल प्रदान करने हेतु सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) लगाया जा सकता है।”

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने तेलंगाना और पुदुचेरी को अपने सभी ग्रामीण घरों में नल का जल के कनेक्शन उपलब्ध कराने पर बधाई दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मध्य प्रदेश यह सुनिश्चित करने के लिए ‘गति और पैमाने’ के साथ काम करेगा कि उसके सभी ग्रामीण घरों को 2023 तक नल का जल के कनेक्शन मिल जाए। इसके बाद 2024 में कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु भी यह लक्ष्य हासिल कर लेगा। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि 2024 की राष्ट्रीय समय-सीमा के अनुसार ‘हर घर जल’ के लिए योजना बनाने और उसे हासिल करने के लिए जल जीवन मिशन द्वारा लक्षद्वीप को सभी तरह की मदद दी जाएगी।

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केंद्रीय मंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के बारे में बात करते हुए कहा कि, “एसबीएम (जी) ने स्वच्छता कवरेज को 2014 में 39 फीसदी से बढ़ाकर 2019 तक 100 फीसदी करने का असंभव कार्य पूरा कर लिया। इस कार्यक्रम के तहत देश में 10.28 करोड़ शौचालय बनाए गए और सभी जिलों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया। यह दुनिया का सबसे बड़ा व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम है। चूंकि ओडीएफ सिर्फ एक शुरूआती मंच था, एसबीएम (जी) चरण- II के तहत हमारा लक्ष्य गांवों को ओडीएफ प्लस बनाना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि गांवों में ओडीएफ की स्थिति बनी रहे। ग्राम पंचायतें ग्राम कार्य योजना के तहत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन कर रही हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पहले नेता हैं जिन्होंने पानी की समस्या को गंभीरता से लिया और अगस्त, 2019 में ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की। मेरा राज्य जल आपूर्ति कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और हमने 2022-23 में पेयजल क्षेत्र के लिए 7,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पानी स्थानीय ही नहीं बल्कि वैश्विक समस्या भी है। इसे केवल जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण से हल नहीं किया जा सकता है, इसके लिए बेहतर योजना, निरंतर निगरानी, संचालन एवं प्रबंधन, स्रोत स्थिरता, विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय, नदी बेसिन प्रबंधन और सिंचाई के लिए पानी के उपयोग में दक्षता की आवश्यकता होती है।“ मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनका राज्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल का स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेजी के साथ काम करेगा।

एजेंडा सेट करते हुअ पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) की सचिव श्रीमती विनी महाजन ने कहा, “केंद्रीय मंत्री भारत सरकार के जेजेएम और एसबीएम (जी) दोनों प्रमुख कार्यक्रमों की प्रगति पर क्षेत्रवार चर्चा का नेतृत्व कर रहे हैं। जैसा कि हम अगले वित्तीय वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, यह आवश्यक है कि वार्षिक कार्य योजनाएं सावधानीपूर्वक तैयार की जाएं ताकि हमारी उपलब्धियां हमारे वार्षिक लक्ष्यों को पूरा कर सकें। यह सम्मेलन कार्यान्वयन की चुनौतियों पर चर्चा के अलावा 2022-23 के लिए हमारी वार्षिक योजनाओं को मजबूत करने का एक अवसर है। एसबीएम (जी) और जेजेएम दो परिवर्तनकारी मिशन हैं जो विशेष रूप से महिलाओं और युवा लड़कियों को ‘जीवन की सुगमता’ प्रदान करते हैं। राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2022-23 के लिए राज्यों के बजट में जेजेएम के तहत पर्याप्त राज्य हिस्सेदारी का प्रावधान कर लिया जाए।   

जेजेएम और एसबीएम (जी) के एएस और एमडी श्री अरुण बरोका ने सम्मेलन में जेजेएम और एसबीएम (जी) दोनों की विस्तृत प्रस्तुति देते हुए इस बात पर जोर दिया कि राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को कवरेज में तेजी लाने और उन गांवों में ग्रे वाटर प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जहां ग्रामीण आबादी को शत-प्रतिशत नल जल कनेक्शन प्रदान किया गया है। सभी गांवों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) कार्यों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महत्वाकांक्षी ओडीएफ प्लस गांवों को मॉडल ओडीएफ प्लस गांवों में बदलना है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पानी और स्वच्छता गतिविधियों के लिए कार्यक्रम के तहत जारी धन का समय पर उपयोग किया जाना चाहिए ताकि अगली किश्त जारी की जा सके और कार्यक्रम के कार्यान्वयन की गति और पैमाने निर्धारित लक्ष्य के अनुसार हो।

 

लाख में

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश

कुल ग्रामीण परिवार

 

मिशन के शुभारंभ पर स्थिति

 

मिशन के शुभारंभ के बाद से प्रदान किया गया एफएचटीसी

 

आज की तारीख में एफएचटीसी कवरेज

 

आंध्र प्रदेश

95.17

30.74 (32%)

19.84 (21%)

50.59 (53%)

कर्नाटक

97.92

24.51 (25%)

21.66 (22%)

46.17 (47%)

केरल

70.69

16.64 (23%)

10.80 (15%)

27.44 (39%)

मध्य प्रदेश

122.28

13.53 (11%)

33.67 (28%)

47.21 (39%)

पुदुचेरी

1.15

0.93 (81%)

0.21 (19%)

1.15 (100%)

तमिलनाडु

126.89

21.76 (17%)

30.21 (24%)

51.97 (41%)

तेलंगाना

54.06

15.68 (29%)

38>38 (71%)

54.06 (100%)

इंडिया

1931.99

323.63 (17%)

590.12 (31%)

913.75 (47%)

भागीदार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में राज्य-वार घरेलू नल के जल का कनेक्शन उपरोक्त चार्ट में दिया गया है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर 2020 को हर स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशाला (गांवों में स्थापित अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति छात्रावास) में नल का जल के कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से 100 दिवसीय अभियान शुरू किया था। आज तक, भागीदार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में, 2.25 लाख स्कूलों और 2.31 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए नल का जल के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पुदुचेरी और तेलंगाना ने अपने सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में नल का साफ जल उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है। मध्यप्रदेश ने 74 प्रतिशत विद्यालयों तथा 60 प्रतिशत आंगनबाडी केन्द्रों में नल जल कनेक्शन प्रदान किए हैं।

 

देश में कुल 117 आकांक्षी जिले हैं जबकि इनमें से 19 जिले भागीदार राज्यों में आते हैं। अब तक, इस कार्यक्रम के तहत, तेलंगाना ने अपने सभी तीन आकांक्षी जिलों में नल का जल के कनेक्शन प्रदान किए हैं, जबकि अन्य राज्यों में यह कवरेज 19 प्रतिशत से 52 प्रतिशत के बीच है। इस काम में तेजी लाने की जरूरत है ताकि क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जल्द ही पीने का साफ पानी मिल सके।

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कार्यक्रम के तहत अब तक भागीदार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में 92,366 ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों का गठन किया गया है और 82,646 ग्राम कार्य योजनाएं विकसित की गई हैं। कुल 588 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं जिनमें से 136 को एनएबीएल से मान्यता मिली हुई है। ये जल परीक्षण प्रयोगशालाएं जनता के लिए खोली गई हैं जहां वे पानी का नमूना ले जा सकते हैं और मामूली दरों पर इसका परीक्षण कर सकते हैं।

अब तक, भागीदार 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में, 2.40 लाख से अधिक महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। ये महिलाएं 5-महिला निगरानी समिति का हिस्सा हैं, जिन्हें जल स्रोतों और वितरण बिंदुओं की अक्सर जांच करने और किसी भी तरह का मैलापन पाने की स्थिति में रिपोर्ट करने का काम सौंपा गया है ताकि तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई शुरू की जा सके।

जल जीवन मिशन का उद्देश्य कार्यक्रम के तहत बनाए गए जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के निर्माण, मरम्मत और रख-रखाव के लिए ग्रामीणों को राजमिस्त्री, प्लंबर, पंप ऑपरेटर, फिटर, तकनीशियन, इलेक्ट्रीशियन के रूप में उनका कौशल बढ़ाना है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

अब तक 9.13 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल के माध्यम से पानी मिल रहा है और देश में 101 जिले, 1,159 ब्लॉक, 67,547 ग्राम पंचायत और 1,39,579 गांव ‘हर घर जल’ बन गए हैं। तीन राज्यों – गोवा, तेलंगाना और हरियाणा और तीन केंद्र शासित प्रदेशों – अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादर एवं नागर हवेली एवं दमन एवं दीव और पुडुचेरी ने 100 प्रतिशत नल जल कवरेज प्रदान कर दिया है।

जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ साझेदारी में एक आईसीटी ग्रैंड चैलेंज आयोजित किया था। इस चैलेंज की विजेता गुजराता की मैसर्स रयडॉट इन्फोटेक प्रा. लि. रही। अन्य तीन उपविजेता मैसर्स ग्रीनवायरमेंट इनोवेशन मार्केटिंग इंडिया प्रा. लिमिटेड और मेसर्स ग्लोबल प्रा. लिमिटेड, कंसोर्टियम ऑफ आईनेट एक्वा सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और इलोनाटी इनोवेशन प्रा. लिमिटेड थी। आईसीटी ग्रैंड चैलेंज का काम ग्रामीण जल आपूर्ति की निगरानी के लिए भारतीय स्टार्ट-अप को लागत प्रभावी समाधान के साथ आगे आने में मदद करना था। स्टार्ट-अप को उद्योगों और शिक्षा जगत के विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सहायता के लिए मेंटरशिप दी गई थी। इसमें तकनीकी चुनौती ‘आत्म-निर्भर भारत’ के विचार के लिए इन-हाउस स्मार्ट मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करना भी था। स्टार्टअप्स ने विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में देश भर में 100 स्थानों पर प्रयोग किए। इन गांवों में जल आपूर्ति की निगरानी जेजेएम डैशबोर्ड के माध्यम से की जाती है। इस सम्मेलन में आईसीटी ग्रैंड चैलेंज के चार पुरस्कार विजेताओं को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और अन्य मंत्रियों द्वारा सम्मानित किया गया।

एसबीएम (जी) चरण- II को ओडीएफ स्थिति और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फरवरी, 2020 में 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया था। यह वित्तपोषण के विभिन्न क्षेत्रों के बीच मिलान का एक नया मॉडल है। पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा बजटीय आवंटन और संबंधित राज्य के हिस्से के अलावा, विशेष रूप से एसएलडब्ल्यूएम के लिए शेष राशि ग्रामीण स्थानीय निकायों, मनरेगा, सीएसआर फंड और राजस्व सृजन मॉडल आदि के साथ ही 15वें वित्त आयोग की सशर्त अनुदान से जुटाई जा रही है।

एसबीएम (जी) के दूसरे चरण के तहत 66 लाख से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 1.2 लाख सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं। 44,575 से अधिक गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया है। चालू वित्तीय वर्ष में, भागीदार राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 5.61 लाख से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और लगभग 11,000 सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाए गए हैं। इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 31,000 से अधिक गांव ओडीएफ प्लस बन गए हैं, 35,739 से अधिक गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की गई है और 9,386 से अधिक गांवों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की गई है।

एसबीएम के तहत, सुजलम अभियान शुरू किया गया था जो ओडीएफ प्लस गांवों में स्वच्छता को लेकर तेजी लाने के लिए ग्रे वाटर प्रबंधन परिसंपत्तियों के निर्माण पर केंद्रित है। अभियान में ग्रे वाटर प्रबंधन, जल निकायों के संरक्षण एवं सफाई और सिंगल पिट शौचालयों को ट्विन-पिट शौचालयों में बदलने को प्राथमिकता दी गई है। भागीदार 6 राज्यों में 5.03 लाख से अधिक घरेलू स्तर के सोख्ता गड्ढे और 78,000 से अधिक सामुदायिक सोख्ता गड्ढे/लीच पिट/मैजिक पिट बनाए गए हैं।

एसबीएम (जी) दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान है, जिसके तहत 100 मिलियन से अधिक आईएचएच का निर्माण हुआ और स्वच्छता कवरेज 2014 में 39 प्रतिशत से 2019 में 100 प्रतिशत हो गया। 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में 6 लाख से अधिक गांवों ने खुद को खुले में शौचालय से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित किया।

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एमजी/एएम/एके/डीवी