शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ के सहयोग से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने औपचारिक शिक्षा की तरफ किशोरियों को वापस स्कूल लाने के लिये ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ का शुभारंभ किया

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ के साथ मिलकर औपचारिक शिक्षा/या कौशल प्रणाली की तरफ किशोरियों को वापस स्कूल लाने के लिये आज यहां एक अभूतपूर्व अभियान ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी, महिला एवं बाल कल्याण राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्रभाई मुंजपरा और शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी की गरिमामयी उपस्थिति रही। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय के केंद्रीय और राज्यों के सचिव और प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। इनके अलावा देश के विभिन्न भागों की किशोरियां और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं तथा कई अन्य लोगों ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में शिरकत की। इनमें वे किशोरियां शामिल थीं, जिन्होंने दोबारा स्कूल जाने पर अपने अनुभव साझा किये।

स्कूलों में 11-14 आयुवर्ग की लड़कियों का पंजीकरण बढ़ाना और उन्हें स्कूल में कायम रखना ही इस अभियान का उद्देश्य है। इस पहल की मंशा यह है कि किशोरियों के लिये योजनाओं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी वर्तमान योजनाओं के आधार पर स्कूली लड़कियों के लिये एक समग्र प्रणाली बनाई जाये। अभियान की शुरूआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की प्रमुख योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत की जायेगी। इसका लक्ष्य है स्कूल छोड़ने वाली चार लाख से अधिक किशोरियों को योजनाओं का लाभ देना है।

 

 

बच्चियों को शिक्षित करने के लिये भारत सरकार की प्रतिबद्धता को मद्देनजर रखते हुये श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने कहा कि सरकार पूरी तरह यह मानती है कि महिलाओं और लड़कियों के लिये काम करने की जरूरत है। सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, वित्तीय साक्षरता सहित कौशल निर्माण में लगातार निवेश करेगी। साथ ही युवा महिलाओं और लड़कियों को अधिकार सम्पन्न बनायेगी और भारत के बच्चों तथा युवाओं के बीच लैंगिक समानता रवैये तथा व्यवहार को प्रोत्साहित करेगी।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री इंदीवर पाण्डेय ने घोषणा की सभी राज्यों के 400 से अधिक जिलों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत निधि दी जायेगी, ताकि मैदानी स्तर तक जागरूकता फैलाई जा सके, समुदायों और परिवारों को यह समझाया जा सके कि वे किशोरियों को स्कूल भेजें। यह आर्थिक सहायता समग्र शिक्षा अभियान से प्राप्त निधि के इतर और उससे बढ़कर होगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को और प्रोत्साहन दिया जायेगा कि वे स्कूल छोड़कर घर बैठने वाली लड़कियों को समझायें। उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा शिक्षा मंत्रालय के बीच सामूहिक प्रयासों के महत्त्व पर बल दिया और कहा कि लाभार्थियों की पहचान करने तथा औपचारिक शिक्षा या रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में समुचित पंजीकरण के लिये सामूहिक प्रयास जरूरी है।

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शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव श्रीमती अनिता कारवाल ने विभाग के तहत क्रियान्वित होने वाली समग्र पहलों को साझा किया। इन पहलों का लाभ किशोरियां उठा सकती हैं। उन्होंने बताया कि एकीकृत शिक्षा सेवायें सुरक्षित करने का लक्ष्य बनाया गया है, ताकि शिक्षा के लिये समावेशी माहौल और अवसंरचना तैयार हो सके।

कार्यक्रम का लक्ष्य है महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के बीच नजदीकी तालमेल स्थापित करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भागीदारी करना। इस पर जोर देते हुये शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “पिछले वर्षों के दौरान शिक्षा मंत्रालय के लिये यह बहुत अहम रहा है कि लड़कियों के पंजीकरण को प्राथमिकता दी जाये, लेकिन पिछले दो वर्षों की महामारी अवधि के कारण, यह अनिवार्य हो गया है कि हम मिलकर प्रयास करें तथा लड़कियों के पंजीकरण और उन्हें स्कूलों में कायम रखने पर व्यवस्थित रूप से काम करें। इसके लिये जरूरी है कि लड़कियां माध्यमिक शिक्षा की तरफ जायें और उसे पूरी करें।”

महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्र भाई मुंजपरा ने भारत में लड़कियों की उन्नति सम्बंधी कई योजनाओं का उल्लेख किया। योजना आधारित अंतःक्षेप, जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत 2015 में की गई थी, ताकि बच्चियों का स्वागत किया जाये और उन्हें शिक्षा के लिये सक्षम बनाया जाये। किशोरियों के लिये योजना का केंद्रबिंदु औपचारिक शिक्षा के साथ लड़कियों को दोबारा जोड़ना या कौशल निर्माण करना, ताकि उन्हें रोजगार के योग्य बनाया जा सके। इसके अलावा सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजनायों शिक्षा, कौशल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये हैं।

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यूनिसेफ इंडिया के उप प्रतिनिधि श्री यासुमासा किमूरा ने ऐसी योजनाओं के महत्त्व को रेखांकित करते हुये कहा, “लड़कियों के लिये शिक्षा न केवल सीखने के उनके अधिकारों को पूरा करती है और जीवन तथा रोजगार में बेहतर अवसर देती है, बल्कि वह उन्नतशील तथा पूर्ण समाज की रचना भी करती है, जहां सभी व्यक्तियों – लड़कों और पुरुषों सहित – सबको एक व्यक्ति तथा विश्व का नागरिक होने के नाते अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलता है।”
राज्य के सचिवों और सम्पूर्ण एकीकृत बाल विकास योजना कार्यबल को मिलने वाला समर्थन यह बताता है कि कार्यक्रम को तैयार करने तथा उसे लागू करने से कितनी संभावनायें बन जाती हैं। कार्यक्रम में किशोरियों की उपस्थिति ने इन संभावनाओं को और बढ़ा दिया। इन सबने अपनी मर्मस्पर्शी आपबीती सुनाई कि उन लोगों ने वापस स्कूल जाने में कितना साहस दिखाया। दिल्ली की एक दृढ़प्रतिज्ञ लड़की श्रेया ने कहा, “मेरा सपना है विवेचना अधिकारी बनना। मैं भरसक प्रयास कर रही हूं कि आगे भी पढ़ूं और थोड़ा-थोड़ा करके अपने भविष्य की तरफ बढ़ूं तथा अपने सपनों को पूरा करूं।”

समारोह में उपस्थित सभी ने सामूहिक शपथ ली, जिसे कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने पढ़ा। कार्यक्रम का समापन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पुनीत अवसर पर सभी गणमान्यों द्वारा ‘संकल्प की दीवार’ पह हस्ताक्षर करने के उपरान्त हुआ। इसके माध्यम से यह शपथ ली गई कि कोई भी लड़की औपचारिक शिक्षा या रोजगार परक शिक्षा से वंचित नहीं रहेगी।

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