विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर, श्री पीयूष गोयल ने उपभोक्ताओं से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की मांग करने को कहा ताकि भारत वस्तुओं और सेवाओं के मामले में विश्व में एक अग्रणी देश बन सके

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों एवं सेवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक है, लेकिन छोटे कारोबारियों और व्यापारियों को परेशान करने के लिए कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर “फेयर डिजिटल फाइनेंस” पर एक दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, श्री गोयल ने छोटे कारोबारियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “छोटे व्यापारियों और छोटे कारोबारियों का कानून के नाम पर उत्पीड़न रोकना आवश्यक है।”

अपने उद्घाटन भाषण में मंत्री महोदय ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न अधिकारियों द्वारा की गई पहल की सराहना की। उन्होंने सभी हितधारकों से गैर-अपराधीकरण के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने का भी आग्रह किया।

श्री गोयल ने अपने उद्घाटन भाषण में विधिक माप विज्ञान अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की आवश्यकता से संबंधित मुद्दे को उठाया और सभी हितधारकों से व्यापार करने में आसानी के साथ-साथ उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गैर-अपराधीकरण के प्रभावों पर विचार-विमर्श करने का आग्रह किया।

 

श्री अश्विनी कुमार चौबे, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, सुश्री साध्वी निरंजन ज्योति, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, न्यायमूर्ति श्री आर. के. अग्रवाल, अध्यक्ष राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी), इंफोसिस के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष श्री नंदन नीलेकणी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

श्री गोयल ने कहा कि विधिक माप विज्ञान अधिनियम 2009 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत पहले अपराध के लिए लगभग 90,000 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और इनमें से लगभग 90 प्रतिशत मामलों में विधिक माप विज्ञान अधिनियम की धारा 33, 36 (1) और 25 की तीन धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था, जो माप के असत्यापित वजन का उपयोग करना, गैर-मानक उत्पादों को बेचना और गैर-मानक वजन और माप का उपयोग करने के दंड से संबंधित है। 

उन्होंने पहली बार किए जाने वाले अपराध, जिसे माफ किया जा सकता है और दूसरी बार किए जाने वाले अपराध, जिसके लिए विधिक माप विज्ञान अधिनियम के अंतर्गत कारावास की सजा हो सकती है, से संबंधित वार्षिक आंकड़ों को साझा किया। 2018-19 में पहली बार किए जाने वाले अपराध के अंतर्गत 89,724 जबकि दूसरी बार किए जाने वाले अपराध के तहत 11 मामले दर्ज किए गए। इसी तरह, 2019-20 में पहली बार किए जाने वाले अपराध के अंतर्गत 91,818 मामले दर्ज किए गए जबकि दूसरी बार किए जाने अपराध के तहत केवल 2 मामले दर्ज किए गए। 2020-21 में पहली बार किए जाने वाले अपराध के अंतर्गत 84,824 मामले दर्ज किए गए जबकि दूसरी बार किए जाने वाले अपराध का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, “बड़ी संख्या में पहली बार किए जाने वाले अपराध और लगभग शून्य दूसरी बार किए जाने वाले अपराध हम सभी के लिए आत्मनिरीक्षण की मांग करते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम सुनिश्चित करें कि छोटे उद्यमियों को कानून का दुरुपयोग कर परेशान न किया जाए।” उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस तक विधिक माप विज्ञान अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। उन्होंने सभी हितधारकों से इस मामले पर चर्चा करने का आग्रह किया।

श्री गोयल ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के उदाहरण साझा किए। उन्होंने कहा कि दुनिया की नंबर 1 होने का दावा करने वाली एक टूथपेस्ट कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसी तरह की कार्रवाई एक अन्य कंपनी के खिलाफ भी की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि उसने कुछ ही समय में स्टॉक बेच दिया था।

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उन्होंने कहा, “यदि आप उपभोक्ताओं की शक्ति के बारे में जानना चाहते हैं, तो भारत को देखें और देखें कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए सक्रिय उपभोक्ताओं की मांग ने भारतीय कंपनियों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कैसे प्रेरित किया है।”

उन्होंने कहा कि आज विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस है। अधिकारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं की भी अधिकारों के साथ जिम्मेदारी भी बनती है। उन्होंने कहा, “मैंने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए उपभोक्ता न्यायालयों की वर्चुअल माध्यम से सुनवाई का सुझाव दिया है। ”

श्री गोयल ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा किए जा रहे गुणवत्ता से  संबंधित मानकीकरण कार्यों के बारे में भी बात की और कहा कि हॉलमार्किंग ने उपभोक्ताओं को गुणवत्ता, शुद्धता और पारदर्शिता का लंबे समय से लंबित अधिकार प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 तक, 1.3 लाख से अधिक जौहरियों ने सोने की हॉलमार्क वाली ज्वैलरी बेचने के लिए बीआईएस से पंजीकरण लिया है, जबकि देश में 987 बीआईएस मान्यता प्राप्त परख और हॉलमार्किंग केंद्र संचालित हैं।

 

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के संदेश को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सभी राज्य सरकारों, उद्योग संघों और अन्य हितधारकों से आग्रह किया कि वे कड़े कदम उठाते हुए वास्तविक व्यावसायिक अवसरों की अनुमति देने के बीच संतुलन लाने के लिए अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई करें जो उपभोक्ता संरक्षण के लिए हानिकारक हैं और मौजूदा कानून को दरकिनार करने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि व्यवसाय को नए नीतिगत निर्णयों का समर्थन करना चाहिए जिनका उद्देश्य उपभोक्ता संरक्षण को आगे बढ़ाना है। श्री गोयल ने उनसे अनुरोध किया कि वे व्यवसाय के साथ-साथ उपभोक्ता संरक्षण के लिए समग्र वातावरण बनाने के लिए सरकार के साथ रचनात्मक रूप से काम करें।

उन्होंने आगे जोर दिया कि उपभोक्ताओं को अधिक जागरूक होने की जरूरत है। श्री गोयल ने कहा की उपभोक्ताओं को गुणवत्ता वाले उत्पादों की मांग करनी चाहिए और इस तरह भारत को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने के मामले में विश्व में एक अग्रणी देश बनाने का प्रयास करना चाहिए।

 

केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने ई-दाखिल पोर्टल की प्रगति की सराहना की, जो ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायतों को दर्ज करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने अधिकारियों से सभी मामलों में वर्चुअल माध्यम से सुनवाई की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने विभिन्न राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों में रिक्त पदों की संख्या पर चिंता व्यक्त की और कहा की कि सर्वोच्च न्यायालय को इस बारे में हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित है’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से अपने रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने का आग्रह किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नंदन नीलेकणी ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया और अपने संबोधन में बदलते डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि बढ़ते जटिल डिजिटल प्रोटोकॉल के साथ, अधिक जटिल उपभोक्ता निवारण विधियों के लिए तैयार रहना होगा, जिसके लिए आवश्यक है सरकार का एक स्वस्थ दृष्टिकोण। इस संबंध में, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र को बहुभाषी प्रारूप में उपलब्ध कराने के लिए स्पीच टू स्पीच, स्पीच टू टेक्स्ट और टेक्स्ट टू स्पीच ओपन प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज के डिजिटल लेन-देन बहुपक्षीय हैं और इसलिए ऐसे विवादों के समाधान के लिए बहुपक्षीय आवश्यकता होती है। इससे पहले कभी नहीं देखी गई गति में डिजिटल वित्त के पैमाने और गति में वृद्धि के साथ, भारत को उपभोक्ता निवारण के एक नए युग की शुरुआत करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक भारतीय को आसान उपभोक्ता निवारण तक पहुंच प्राप्त हो।

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उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने अपने मुख्य भाषण में रेखांकित किया कि डिजिटल प्रौद्योगिकी और नए व्यापार मॉडल वित्तीय सेवाओं के साथ गरीब और हाशिये पर रह रहे परिवारों तक पहुंचने की हमारी क्षमता को पूरी तरह से बदल रहे हैं। सरकार ने हमेशा अधिक से अधिक वित्तीय समावेशन लाने का प्रयास किया है और यह इस तथ्य में अच्छी तरह से परिलक्षित होता है कि, मार्च 2017 और मार्च 2021 के बीच वित्तीय समावेशन (एफआई) में 24 प्रतिशत सुधार हुआ और फरवरी 2022 तक यूपीआई  के माध्यम से 8 बिलियन से अधिक लेन-देन किए गए और भारत ने विभिन्न कोविड राहत कार्यक्रमों के 428 मिलियन प्राप्तकर्ताओं को यूपीआई के माध्यम से भुगतान किया। इसके अलावा, साध्वी निरंजन ज्योति ने आग्रह किया कि उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल वित्त, अधिक सुदृढ़, सुरक्षित और संरक्षित बनाने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने चाहिए।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने मुख्य भाषण में नवीन नियामक दृष्टिकोणों और डिजिटल वित्तीय सेवाओं और उत्पादों की आवश्यकता पर जोर दिया जो उपभोक्ता संरक्षण और अधिकारिता को केंद्र में रखते हैं। श्री चौबे ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि डिजिटल वित्त उपभोक्ताओं को अधिक सुलभ और सस्ती सेवाएं प्रदान करता है और महामारी के दौरान व्यवसाय को चालू रखा है, हालांकि, उपभोक्ताओं के लिए नए जोखिमों को भी उजागर करता है, जो उपभोक्ताओं के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव डालने, वित्तीय बाजारों को अस्थिर करने, और वित्तीय समावेशन में अर्जित लाभ को कम करते हुए डिजिटल वित्तीय सेवाओं के उपयोग और उपयोग को हतोत्साहित करता है। इसलिए, रणनीतिक विनियमन और समय पर हस्तक्षेप करना महत्वपूर्ण है जो डिजिटल वित्त के क्षितिज के विस्तार में बेहतर उपभोक्ता संरक्षण को दर्शाता है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरजन ज्योति और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने उपभोक्ता कार्य विभाग द्वारा  ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत अपने प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह के एक भाग के रूप में आयोजित वर्चुअल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

अध्यक्ष एनसीडीआरसी माननीय श्री न्यायमूर्ति, आर के अग्रवाल ने अपने मुख्य भाषण में तकनीकी प्रगति में प्रतिमान बदलाव पर प्रकाश डाला, जिसे दुनिया ने डिजिटलीकरण के वैश्विक युग में देखा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटल वित्तीय सेवाएं उत्पादकता, पहुंच, वित्तीय समावेशन के साथ-साथ दक्षता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गई हैं – न केवल व्यक्तियों और कॉर्पोरेट्स के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए। अध्यक्ष, एनसीडीआरसी ने सभी उपभोक्ताओं के लिए सर्वोत्तम जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय नियामकों, दूरसंचार ऑपरेटरों और केंद्रीय भुगतान प्रणाली प्राधिकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए अपने मुख्य भाषण का समापन किया।

मंत्रियों ने राष्ट्र द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को भी बधाई दी।

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एमजी/एएम/एमकेएस/एसके