अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग और जीआईजेड प्रोजेक्ट हरएंडनाउ ने भारत में महिला उद्यमियों के लिए लिंग आधारित बाधाएं खत्म करने के उद्देश्य से हाथ मिलाया

भारत में महिला उद्यमियों की राह में बड़ी मुश्किल पैदा करने वाली लिंग आधारित बाधाओं को दूर करने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग ने आज इंडो-जर्मन डेवलपमेंट कोऑपरेशन प्रोजेक्ट ‘इकोनॉमिक इम्पॉवरमेंट ऑफ वुमेन एंटरप्रेन्योर्स एंड स्टार्टअप्स बाई वुमेन (हरएंडनाउ)’ के साथ अपने सहयोग का ऐलान किया। इसकी स्थापना फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनॉमिक कोआपरेशन एंड डेवलमेंट (बीएमजेड) ने की और इसे डॉयचे गेसेल्सशाफ्ट फर इंटरनेशनल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया गया है। इससे महिलाओं को एक उद्यमी के रूप में अर्थव्यवस्था भूमिका निभाने में सहायता मिलेगी।

उद्यमशीलता से अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और भारत की विकास की संभावनाओं को साकार करने में एक अहम अवसर मिलता है।

एआईएम और हर एंड नाउ की भागीदारी में एआईएम इनक्यूबेटर्स और नवाचार केंद्रों के लिए ‘विनक्यूबेट प्रशिक्षण कार्यक्रम’ शामिल होगा। इससे उन्हें लिंग केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम बनाया जाएगा। इससे प्रतिभागियों को महिलाओं पर केंद्रित इनक्यूबेशन कार्यक्रम तैयार करने और उनके कार्यान्वयन में सहायता मिलेगी। विनक्यूबेट प्रशिक्षण कार्यक्रम को हरएंडनाउ ने भारतीय एनजीओ धृति- द करेज विदइन के साथ मिलकर विकसित किया है और यह देश में 2019 से लागू महिला उद्यमशीलता समर्थन कार्यक्रमों की सर्वश्रेष्ठ विधियों पर आधारित है।

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प्रशिक्षण में सामान्य इनक्यूबेशन प्रोग्रामिंग और प्रक्रियाओं में लिंग संवेदनशील दृष्टिकोणों को एकीकृत करते हुए समग्र प्रोग्रामिंग के लिए इनक्यूबेटर्स को ज्ञान, टूल्स और विधियों के साथ दक्ष बनाना शामिल होता है। प्रशिक्षण में लाइव व्याख्यान, ऑफलाइन मॉड्यूल्स, अभ्यास और फिल्म स्क्रीनिंग शामिल होता है।

इस संबंध में बुधवार, 2 मार्च, 2022 को एआईएम और हर एंड नाउ के द्वारा आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस भागीदारी का ऐलान करते हुए अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग के मिशन निदेशक डॉ. चिंतन वैष्णव ने कहा, “किसी भी क्षेत्र में भारतीय महिलाओं की कम भागीदारी के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं और बड़ी वजहों में से एक लिंग आधारित भेदभाव है। यदि हम इसे एक सांप और सीढ़ी के खेल के रूप में देखें तो महिलाओं के लिए निश्चित रूप से ज्यादा सांप हैं। इस व्यवस्था को खत्म करना है और मुझे विश्वास है कि जीआईजेड की सहायता से हम इस दिशा में प्रगति कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, शादी और घरेलू जिम्मेदारियों के लिहाज से महिलाओं की भूमिका पर सामाजिक मानकों पर विचार करें तो महिलाओं के सामने ज्यादा अनचाही चुनौतियां होती हैं। जीआईजेड इंडिया में हरएंडनाउ प्रोजेक्ट की प्रमुख जूलिया कार्स्ट ने कहा, “धृति- द करेज विदइन के साथ मिलकर हमने भारत में महिला उद्यमियों के लिए एक समान अवसर तैयार करने के उद्देश्य से विनक्यूबेट प्रशिक्षण विकसित किया है। यह प्रशिक्षण महिलाओं पर केंद्रित इनक्यूबेशन कार्यक्रमों को अपनाने में देश भर के इनक्यूबेटर्स यह प्रशिक्षण समर्थन देता है, जिससे महिला उद्यमियों से जुड़ी खास चुनौतियों और जरूरतों का हल निकाला जा सके। एआईएम के साथ हमारी नई भागीदारी इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में अहम होगी।”

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इस सहयोग में महिला उद्यमियों द्वारा उद्यम निर्माण और विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला केंद्रित सहयोग कार्यक्रमों को तैयार करने और कार्यान्वयन पर जोर दिया जाएगा।

इस प्रशिक्षण अभ्यास का आधार यह स्वीकार किया जाना है कि विशिष्ट लिंग-संबंधी बाधाओं के कारण महिला उद्यमियों की समर्थन जरूरतें अक्सर अन्य लिंग के उद्यमियों से अलग होती हैं, जिससे इनक्यूबेटर्स के लिए ऐसे सहयोग कार्यक्रम तैयार करना और डिलिवर करना जरूरी है जिससे विशेष रूप से इन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

 

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