डाटा आधारित विश्व में खगोल विज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों में नए और आगामी रुझानों पर खगोल विज्ञान से जुड़ी बैठक में विचार-विमर्श हुआ

एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एएसआई) की 40वीं वार्षिक बैठक के दौरान आकाशगंगा संबंधी खगोल विज्ञान, सौर प्रणाली, उपकरण एवं तकनीक, सामान्य सापेक्षता और ब्रह्मांड विज्ञान के साथ ही खगोल विज्ञान और डाटा साइंस जैसे खगोल विज्ञान के अहम क्षेत्रों में नए और आगामी रुझानों पर विचार-विमर्श किया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन ने डाटा आधारित युग में खगोल विज्ञान के महत्व पर जोर दिया है।

प्रो. विजय राघवन ने इससे जुड़े ताराघरों के साथ डाटा के अवलोकन और विश्लेषण पर केंद्रित स्नातक शिक्षा के लिए प्रमुख केंद्रों के विकास की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारत कई केंद्रों के साथ खगोल विज्ञान में अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र है और भावी प्रतिभाओं को इनके उपयोग में खासी दिलचस्पी है।”

प्रो. विजय राघवन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) द्वारा 25-29 मार्च तक आईआईटी रुड़की में संयुक्त रूप से आयोजित किए जा रहे एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एएसआई) की 40वीं वार्षिक बैठक में विज्ञान में सुधार के क्रम में डाटा को जानकारी में परिवर्तित करने, उसे समझने योग्य बनाने और फिर उसे ज्ञान का रूप दिए जाने पर जोर दिया।

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एएसआई ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल की स्मृति में हो रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के आयोजन के अवसर पर कई पुरस्कारों का भी ऐलान किया। कार्यक्रम के दौरान टीम एस्ट्रोसैट को खगोल विज्ञान एवं सहायक क्षेत्रों में अवलोकन और सहायक कार्य में योगदानों के लिए एएसआई जुबीन केमभावी पुरस्कार प्रदान किया गया। एस्ट्रोसैट पहला समर्पित भारतीय खगोल मिशन था, जिसका उद्देश्य एक्सरे, ऑप्टिकल और यूवी स्पेक्ट्रल बैंड्स में खगोलीय स्रोतों का एक साथ अध्ययन करना है। इसे इसरो ने 2015 में लॉन्च किया था।

डॉ. स्वागत सौरव मिश्रा को खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में उत्कृष्ट थीसिस के लिए न्यायमूर्ति वी. जी. ओक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. मिश्रा ने प्रो. वरुण साहनी के मार्गदर्शन में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में अपनी थीसिस पर काम किया। उन्हें ब्रह्मांड के शुरुआती इतिहास से लेकर डार्क एनर्जी तक ब्रह्मांड विज्ञान में उनके उत्कृष्ट और विविध योगदानों के लिए पहचान मिल रही है।

आईआईटी रुड़की निदेशक डॉ. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने मानव अस्तित्व में खगोल विज्ञान की केंद्रीयता के बारे में बात की, वहीं एआरआईईएस के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने युवाओं को प्रोत्साहित किया और अनुभवी लोगों से एएसआई की गतिविधियों में भाग लेने का आह्वान किया।

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एएसआई की निवर्तमान अध्यक्ष और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स से प्रो. जी. सी. अनुपमा ने खगोल विज्ञान के आगे के सफर और मेगा साइंस विजन, 2035 में खगोल विज्ञान की भागीदारी पर चर्चा की।

आईआईटी रुड़की में एएसआई की बैठक हाइब्रिड मोड में हो रही है, जिसमें देश भर के लगभग 300 खगोलविद प्रत्यक्ष रूप से और 400 से ज्यादा खगोलविद वर्चुअल रूप में भाग ले रहे हैं। विश्वविद्यालयों के साथ ही शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ इस बैठक में 140 वैज्ञानिक वार्ताएं होनी हैं और 360 पोस्टर प्रस्तुत किए जा रहे हैं। प्रतिभागी अपने हालिया वैज्ञानिक परिणामों और भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

एएसआई की पब्लिक आउटरीच एंड एजुकेशन कमेटी और वर्किंग ग्रुप ऑन जेंडर इक्विटी द्वारा विशेष सत्रों का आयोजन किया गया। यह 50वां वर्ष होने के कारण, पिछले पांच दशकों के दौरान भारत में खगोल विज्ञान के विकास और भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए विशेष सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं।

 

 

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