नागालैंड में शहरी विकास को समर्थन देने के लिए एडीबी की वित्तीय सहायता

भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक ने आज नागालैंड में 16 जिला मुख्यालय शहरों (डीएचटी) में जलवायु सहनीय शहरी अवसंरचना को डिजाइन करने, संस्थागत क्षमता को मजबूत करने और नगरपालिका संसाधन जुटाने में सुधार करने के लिए 2 मिलियन डॉलर के परियोजना तैयारी वित्त-पोषण (पीआरएफ) ऋण पर हस्ताक्षर किए।

प्रस्तावित नागालैंड शहरी अवसंरचना विकास परियोजना के लिए पीआरएफ पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के अपर सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा और एडीबी की ओर से भारत रेजिडेंट मिशन के कंट्री हेड श्री ताकेओ कोनिशी ने हस्ताक्षर किए।

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, श्री मिश्रा ने कहा कि यह सुविधा आगामी परियोजना के लिए महत्वपूर्ण प्रारंभिक गतिविधियों का समर्थन करेगी। आगामी परियोजना नागालैंड में शहरी अवसंरचना और सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से शुरू की जायेगी, ताकि राज्य को अपनी आर्थिक क्षमता हासिल करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

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श्री कोनिशी ने कहा, “एडीबी द्वारा दी गयी वित्तीय सहायता शहरी क्षेत्र की रणनीति तैयार करने, व्यावहारिकता के सम्बन्ध में अध्ययन करने और चयनित उप-परियोजनाओं के विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन के माध्यम से आगामी परियोजना की बेहतर तैयारी सुनिश्चित करेगा। इससे परियोजना कार्यान्वयन, संसाधन जुटाने और सुधार करने के सन्दर्भ में राज्य स्तर की एजेंसियों का क्षमता निर्माण भी सुनिश्चित होगा।“

नागालैंड के कस्बे और शहर; जलवायु परिवर्तन, बुनियादी सुविधाओं की कमी, खराब कनेक्टिविटी जैसी दीर्घकालिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। शहरी क्षेत्रों के आसपास के प्रमुख परिवहन मार्ग मानसून के दौरान भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। वर्षा के पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से शहरी सड़कों की हालत जर्जर है। अधिकांश शहरों में पानी की भारी कमी है और दीमापुर को छोड़कर शहरों में सीवरेज या सेप्टेज प्रबंधन प्रणाली अपर्याप्त है। ये सभी मुद्दे राज्य के आर्थिक विकास को बाधित करते हैं।

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पीआरएफ ऋण 16 डीटीएच में जल आपूर्ति, स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और शहरी सड़कों को डिजाइन करने में मदद करेगा, जो जलवायु सहनीय होंगे तथा जिससे गरीब और कमजोर लोगों को पहुंच की बेहतर सुविधा मिलती मिलेगी। राज्य एजेंसियों के क्षमता निर्माण से शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को स्वयं के संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी एवं आगामी परियोजना को लागू करने और क्षेत्रवार संस्थागत सुधार शुरू करने से जुड़ी उनकी तैयारी में सुधार होगा।  

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