जम्मू विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. उमेश राय ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए छात्र तथा युवा संबंधित विभिन्न नए स्टार्टअप और अन्य परियोजनाओं में विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करके विज्ञान पाठ्यक्रम के एकीकरण की मांग की

जम्मू विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. उमेश राय ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की तथा डॉ. जितेंद्र सिंह की पहल पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए छात्रों तथा युवाओं से संबंधित विभिन्न नए स्टार्टअप और अन्य परियोजनाओं, छात्रवृत्ति और फेलोशिप में विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करके विज्ञान पाठ्यक्रम के एकीकरण की मांग की।

कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ अपनी पहली बैठक में प्रो. राय ने कहा कि वह डॉ. जितेंद्र सिंह के सक्रिय और लीक से हटकर दृष्टिकोण का काफी बारीकी से पालन कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कुछ अपरंपरागत निर्णय लिए थे, मसलन, सभी मंत्रालयों और विभागों को एक छतरी के नीचे एकीकृत करना। डॉ. राय अपना वर्तमान कार्यभार संभालने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे।

उन्होंने कहा कि वह विज्ञान से संबंधित सात विभिन्न विभागों और मंत्रालयों, अर्थात् विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), पृथ्वी विज्ञान, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष की संयुक्त बैठकें आयोजित करने के डॉ. जितेंद्र सिंह के निर्णय से विशेष रूप से प्रभावित थे। इस एकीकरण से अनुसंधान परियोजनाओं में न्यूनतम अतिच्छादन या संसाधनों की बर्बादी के साथ बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं।

कुलपति ने डॉ. जितेंद्र सिंह से मंत्रालय में उनके मार्गदर्शन में शुरू की गई भविष्य की कुछ विज्ञान परियोजनाओं में जम्मू विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे आस-पास क्षेत्र में छात्रों का बेहतर प्रदर्शन हो पाएगा।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें खुशी है कि नए कुलपति खुद एक एकीकृत दृष्टिकोण के प्रस्ताव के साथ आए हैं, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में वह भारत सरकार में बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने विभागों को अलग-अलग परियोजनाओं के साथ नहीं आने के लिए कहा है, लेकिन जिन परियोजनाओं को विषयों पर आधारित होनी चाहिए और विषयों के अनुसार विभिन्न संबंधित विभाग और मंत्रालय एक समान एजेंडा के लिए एकजुट हो सकते हैं।

साथ ही, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान को स्टार्टअप्स के साथ जोड़ा जाना चाहिए और स्टार्टअप्स को टिकाऊ बनाने के लिए न केवल अकादमिक धाराओं को एक साथ आने की जरूरत है, बल्कि उद्योग को भी संसाधनों के समान निवेश के साथ समान हितधारक बनाने की आवश्यकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कुलपति को बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए एक मेंटरशिप कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें एक शिक्षक एक संभावित विद्वान का प्रभार ले सकता है और फिर उसे आजीविका से जुड़ी स्थायी स्टार्टअप गतिविधि के लिए तैयार कर सकता है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा में प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप इस पीढ़ी के छात्रों के लिए एक वरदान है और उन्होंने प्रोफेसर राय से शिक्षकों को पूरी तरह से उन छात्रों के साथ तालमेल रखने के लिए कहा जो सूचना, मार्ग, साधन और प्रतिभा की पहुंच के कारण बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज शिक्षाविदों की जिम्मेदारी एक डिग्री प्रदान करने की नहीं है, बल्कि जीवनयापन को आसान बनाने के लिए सिखाने की है, जो तभी हो सकता है जब युवा सरकारी नौकरी की रट लगाने के बजाय अपने लिए आजीविका का एक स्थायी स्टार्ट-अप स्रोत खोजने में सक्षम हो।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू तेजी से उत्तर भारत के शिक्षा केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने जम्मू के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय जनसंचार संस्थान, एम्स, भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, भद्रवाह में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई अल्टीट्यूड मेडिसिन, कठुआ में औद्योगिक बायोटेक पार्क औरजम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में उत्तर भारत के पहले अंतरिक्ष केंद्र के बीच व्यापक एकीकरण की अपील की।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के मुद्दे पर चर्चा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि एनईपी-2020 का दोहरा उद्देश्य वर्षों से चली आ रही पिछली विसंगतियों को दूर करना और समकालीन प्रावधानों को पेश करना है, जो वर्तमान वैश्विक रुझानों को ध्यान में रखते हुए हैं।

 

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