कर्मचारी संगठनों के आगे नतमस्तक रेल प्रशासन, टीटीइयों से बाबू का काम लेने का मामला
Rail News टीटीइयों से बाबू का काम लेने के मामले में रेल प्रशासन कर्मचारी संगठनों के आगे पूरी तरह नतमस्तक है। बाबू का काम कर रहे कई टीटीई कर्मचारी संगठनों के सदस्य हैं। ऐसे में प्रशासन यह हिम्मत नहीं जुटा पाता कि इन टीटीइयों से उनका मूल मूल काम करवाया जाए। इसके चलते लंबे समय से यह गड़बड़ घोटाला लगातार इसी तरह से चल रहा है।
प्रशासन के इस रवैया के चलते उन कर्मचारियों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है जो इमानदारी से अपना काम कर रहे हैं। लेकिन कर्मचारी संगठनों के आगे झुके रहने से प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है। भले ही विभिन्न संगठनों से जुड़े कितने ही कर्मचारी काम के नाम पर ऑफिसों में आराम फरमा रहे हों।
नहीं हो रहे ट्रांसफर भी
कर्मचारी संगठनों के आगे अपने आप को बोना साबित करने का प्रशासन का यह पहला मामला नहीं है। कर्मचारियों के ट्रांसफर मामले में भी प्रशासन का यही हाल है। इसके चलते वाणिज्य सहित कई विभागों के पिरियोडीकल तक लंबे समय से अटके हुए हैं। टीटीइयों के पिरियोडीकल ट्रांसफर करने की हिम्मत तो प्रशासन लिस्ट तैयार करने के महीनों बाद भी नहीं जुटा पा रहा है। क्योंकि इस लिस्ट में कर्मचारी संगठनों के नेताओं तक के नाम हैं। प्रशासन ने जोश-जोश में यह लिस्ट तो तैयार कर ली लेकिन अब इसे लागू करने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। इस लिस्ट में शामिल कई कर्मचारी बरसों से एक ही स्टेशन पर टिके हुए हैं।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि करीब आधा दर्जन टीटीई लंबे समय से ऑफिस में बैठे बाबू का काम कर रहे हैं। जबकि मुख्यालय द्वारा इन बाबुओं को अपने मूल काम पर भेजने के आदेश दे रखे हैं। लेकिन कर्मचारी संगठनों के आगे पंगु बना प्रशासन इन टीटीइयों से उनका मूल काम तक नहीं ले रहा है। भले ही इससे रेलवे को हर महीने लाखों रुपए का चूना तक लग रहा हो।
हमारे पास गुरुवार को यह समाचार आने के बाद कर्मचारियों के बीच यह मामला दिनभर चर्चा का विषय बना रहा। कर्मचारियों ने इस खबर को एक-दूसरे को जमकर शेयर भी किया।