Indian Railways: अरनेठा में ओएचई बदलने का काम शुरु, यहां 10 महिने में छह बार टुटे तार
Indian Railways: अरनेठा में ओएचई बदलने का काम शुरु, यहां 10 महिने में छह बार टुटे तार

Indian Railways: अरनेठा में ओएचई बदलने का काम शुरु, यहां 10 महिने में छह बार टुटे तार

Indian Railways: अरनेठा में ओएचई बदलने का काम शुरु, यहां 10 महिने में छह बार टुटे तार

Rail News:  रेलवे ने कोटा-सवाईमाधोपुर रेल खंड में ट्रेन संचालन के लिए लगे बिजली के तार (ओएचई) बदलने का काम शुरु हो गया है। पिछले दिनों यह काम गुड़ला स्टेशन से शुरु हुआ है। लेकिन अरनेठा के आसपास तार टूटने की घटनाएं ज्यादा सामने आने से प्राथमिकता के आधार पर बुधवार से यहां भी काम शुरु कर दिया गया। इसके बाद कापरेन, लबान, लाखेरी और इंद्रगढ़ होता हुआ काम सवाईमाधोपुर तक किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 23 फरवरी को अरनेठा के पास अजमेर-जबलपुर दयोदय ट्रेन से ओएचई टूट गई थी। इसके चलते यहां पर रात भर ट्रेन संचालन प्रभावित रहा था। करीब एक दर्जन ट्रेनें घंटों देरी से चली थीं। हजारों यात्री रातभर परेशान रहे थे।
इससे पहले भी अरनेठा के आस-पास ट्रेन से 5, 14 और 25 मई को भी बिजली के तार टूटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे भी घंटो तक रेल यातायात प्रभावित रहा। हजारों यात्री परेशान रहे। इसके अलावा गत वर्ष 14 मई को भी यहां आरडीएसओ की ट्रेन से बिजली के तार टूट गए थे। साथ ही 7 दिसंबर 2021 को भी यहां तार टूटने की घटना सामने आई थी। इसके अलावा गत वर्ष 8 अप्रेल को भी इंद्रगढ़-आमली के बीच तार टूट चुके हैं।
नौ घटनाएं और आई सामने
इसके अलावा पूरे मंडल में नौ घटनाएं और सामने आ चुकी हैं। इस साल 22 जनवरी को रोहलखुर्द और नागदा के बीच, 9 जनवरी को रामगंजमंडी और झालावाड़ के बीच, 2 जनवरी को मोडक में हिसार-मुंबई दूरंतो ट्रेन से तथा 15 जनवरी को रांवठारोड और दरा के बीच भी बिजली के तार टूटने की घटना हो चुकी है। साथ ही 26 अप्रैल को मोडक में, 19 सितंबर को चंबल साइडिंग यार्ड में, 5 अक्टूबर को झालावाड़ के पास, 10 जून को रामगंजमंडी के पास, एक अगस्त को मथुरा-मुंडेसीरामपुर के पास तथा 3 अक्टूबर को बारां में भी बिजली के तार टूटने के मामले सामने आ चुके हैं। इन घटनाओं में घंटों तक रेल यातायात प्रभावित रहा। हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इंजन के पैंटोग्राफ भी क्षतिग्रस्त हुए थे। बार-बार तार टुटने से रेलवे को भी लाखों का नुकसान हुआ। लगातार सामने आ रही इन घटनाओं के चलते पश्चिम-मध्य रेलवे मुख्यालय सहित रेल मंत्रालय तक चिंतित थे।
40 साल पुरानी लाइन
उल्लेखनीय है कि कोटा रेल मंडल में विद्युतीकरण हुए 40 साल से अधिक हो चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है की पुरानी लाइन होने के चलते तार बार-बार टूट रहे हैं। पैंटोग्राफ के लगातार घंषर्ण से तार भी घिस चुके हैं। पुराने तार होने के कारण इनमें तनाव लगातार काम होता जा रहा है। इसके चलते तारों को खींचने के लिए लगातार वजन बढ़ाकर जबरन तनाव मेंटेन करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में यह घटते बढ़ते तापमान से भी जल्द प्रभावित हो रहे हैं और 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ती ट्रेनों के साथ ठीक से तालमेल नहीं बैठ रहा है। अब रेलवे द्वारा 160 किलोमीटर प्रति घंटे की ट्रेन दौड़ाने की तैयारी के मद्देनजर तारों को लगा रही है। इसके चलते कई नए खंभे भी लगाए जा रहे हैं।
Indian Railways: अरनेठा में ओएचई बदलने का काम शुरु, यहां 10 महिने में छह बार टुटे तार
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