Rajasthan Congress: राजस्थान में अशोक गहलोत के बगैर चलेगी कांग्रेस। राष्ट्रीय स्तर पर भी कोई पद नहीं।

राजस्थान में अशोक गहलोत के बगैर चलेगी कांग्रेस। राष्ट्रीय स्तर पर भी कोई पद नहीं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने 16 दिसंबर को दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। एक मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को हटाकर विधायक जीतू पटवारी को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। दूसरा राजस्थान में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक अभिमन्यू सिंह पूनिया को युवक कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथ में ही थी। लेकिन चुनाव में कमलनाथ ने राष्ट्रीय नेतृत्व के दिशा निर्देश मानने के बजाए स्वयं की ही राय को प्राथमिकता दी, जिसकी वजह से मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो सका। इतना ही नहीं राष्ट्रीय नेतृत्व खासकर राहुल गांधी की भावनाओं के विपरीत कमलनाथ ने सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की। अब जब एमपी में कांग्रेस की बुरी हार हो गई, तब राष्ट्रीय नेतृत्व ने कमलनाथ की भी छुट्टी कर दी है। कहा जा रहा है कि अब कमलनाथ को लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़वाया जाएगा। यानी मध्यप्रदेश में कांग्रेस को चलाने में कमलनाथ की कोई भूमिका नहीं होगी। मध्यप्रदेश में जो स्थिति कमलनाथ की थी, वैसी ही स्थिति राजस्थान में अशोक गहलोत की रही। गहलोत ने तो मुख्यमंत्री के पद बने रहने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के खिलाफ गत वर्ष खुली बगावत की। अब जब राजस्थान से भी कांग्रेस हार चुकी है तब अशोक गहलोत के बगैर कांग्रेस को चलाने की रणनीति बनाई गई है। 16 दिसंबर को जिस तरह अभिमंयू सिंह पूनिया को युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। उस से अशोक गहलोत को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। माना जा रहा है कि अब गहलोत को राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस संगठन में कोई पद नहीं मिलेगा। सब जानते हैं कि पूर्व में जब भी राजस्थान में कांग्रेस की हार हुई तो अशोक गहलोत को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन का महासचिव नियुक्ति किया गया। हारने के बाद भी गहलोत कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहे। लेकिन वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए गहलोत ने पार्टी हाईकमान के खिलाफ जो रवैया अपनाया उसी का परिणाम है कि इस बार गहलोत को राष्ट्रीय ओर प्रदेश की राजनीति से अलग रखा जाएगा। कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत अब एक विधायक के तौर पर आराम की मुद्रा में रहेंगे। हालांकि अभी कांग्रेस विधायक दल के नेता की घोषणा होनी है जो विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका निभाएगा। हो सकता है कि कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को विधायक दल का नेता बनाया जाए और सचिन पायलट को एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया जाए। वर्ष 2013 में कांग्रेस की हार के बाद सचिन पायलट को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन कांग्रेस को बहुमत मिलने पर पायलट के बजाए गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से ही राजस्थान में कांग्रेस गहलोत और पायलट गुट में विभाजित हो गई। अब राष्ट्रीय नेतृत्व गहलोत गुट को पूरी तरह समाप्त करना चाहता है।

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Report By S.P.MITTAL