सबकी योजना सबका विकास मंत्र के साथ ’ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में लोगों की भूमिका बढ़ाने के लिए विशेष अभियान ग्राम सभाओं के सुदृढ़ीकरण पर 10 राज्यों के प्रतिनिधियों का मंथन

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सबकी योजना सबका विकास मंत्र के साथ ’ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में लोगों की भूमिका बढ़ाने के लिए विशेष अभियानग्राम सभाओं के सुदृढ़ीकरण पर 10 राज्यों के प्रतिनिधियों का मंथनजयपुर, 22 नवम्बर।’सबकी योजना सबका विकास’ मंत्र के साथ ग्राम विकास योजनाओं में लोगों की भूमिका बढ़ाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया, जिसके बेहतर परिणाम सामने आ सकेaगे। इस विषय में केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय तथा राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सौजन्य से सोमवार को इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान (आईजीपीआरएस) में दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई।देश के सुव्यवस्थित आर्थिक विकास सामाजिक न्याय और सभी वर्गों के सशक्तिकरण में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है और सभी ग्रामीणों की भागीदारी से इन संस्थाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। इस अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए पंचायती राज विकास योजना की शुरूआत की गई है, जिसके माध्यम से गांवों की विकास योजनाएं (जीपीडीपी) ग्राम सभाओं में तैयार और अनुमोदित की जा रही हैं। इस कार्यशाला में देश के 50 प्रतिशत जनजातिय आबादी वाले पेसा अधिनियम से संबंधित 10 राज्यों के पंचायती राज प्रतिनिधि और ग्रामीण विकास विशेषज्ञ अपने-अपने क्षेत्रों में राज्यों के जीपीडीपी से संबंधित नवाचार के आदान-प्रदान और इनसे जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श कर रहे हैं।  पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती रेखा यादव ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि ग्राम पंचायत विकास योजनाएं बनाने के लिए गांवों में ग्राम सभाओं का आयोजन बड़ी संख्या में होने लगा है, लेकिन इनमें आमजन की भागीदारी बहुत कम है। उन्होंने बताया कि एक ही ग्राम सभा में संबंधित गांव की जरूरतों पर विमर्श और विकास योजना को पारित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, जबकि नियमानुसार इसके लिए दो बार ग्राम सभाओं का आयोजन होना चाहिए। इसी प्रकार ग्रामीण विकास से जुड़े केंद्र तथा राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के अधिकारी भी इन ग्राम सभाओं में हिस्सा नहीं लेते हैं, जिससे ’सबकी योजना सबका विकास’ की अवधारणा को सही रूप में क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है। उन्होंने उपस्थित पंचायती राज प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों से इस स्थिति से निपटने के लिए सुझाव देने का आग्रह किया। श्रीमती यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि ग्राम सभाओं में गांवों की 70 प्रतिशत जनता भागीदार बने, लेकिन राजस्थान में केवल 7 प्रतिशत लोग ही ग्राम सभाओं में उपस्थित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत में गलियों और सड़कों को पक्का करने, प्रकाश व्यवस्था और पेयजल के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार जैसे विषयों पर भी योजनाएं बनाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ग्राम विकास योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए पंचायती राज संस्थाओं का क्षमता संवर्धन और हैण्ड हॉल्डिंग करेगी। साथ ही, इन योजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग और इनके सामाजिक अंकेक्षण में भी ग्राम वासियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। सभी ग्राम विकास योजनाओं की क्रियान्विति के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न विभागों और वित्त आयोग में खर्च राशि के प्रावधान हैं। पंचायती राज मंत्रालय में कन्सलटेंट श्री विप्र गोयल ने ’सबकी योजना सबका विकास’ योजना के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर,2021 से 31 जनवरी,2022 के बीच पूरे देश की सभी पंचायतों में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन कर ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का अनुमोदन किया जाना है। उन्होंने कहा कि ये विकास योजनाएं जितनी अधिक विकेन्द्रीकृत होंगी, उतने ही अधिक संख्या में लोग इनसे लाभांवित हो सकेंगे। ग्राम सभाओं में योजनाओं के निर्माण के दौरान निष्पक्षता, तकनीकी कौशल, जागरूकता, सामुदायिक भागीदारी और सतर्कता के सिद्धान्तों की पालना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को वर्षा जल संरक्षण और पेयजल प्रबंधन, चारागाह विकास, पशुपालन और दुग्ध प्रसंस्करण और कृषि उत्पादक संघों के विषयों पर भी चर्चा कर योजनाओं का निर्माण करना चाहिए। इससे पूर्व इंदिरागांधी पंचायती राज संस्थान के महानिदेशक रवि शंकर श्रीवास्तव, शासन सचिव पंचायती राज श्री पीसी किशन ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस आयोजन में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान और तेलंगाना राज्यों के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने ग्राम पंचायतों के विकास पर अपने सुझाव प्रकट किये। पहले दिन ग्राम पंचायतों के आर्थिक विकास और सरकारी योजनाओं को सुव्यवस्थित तरीके से लाभान्वित करने जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई और अलग-अलग राज्यों के सुझाव सामने आए। ग्राम पंचायतों में पशुधन से आर्थिक गतिविधियों के संचालन बढ़ाने में कई राज्यों में नवाचार भी सामने आए।——–