कोटा चित्तौड़गढ़ रेलखंड का विशेष आकर्षण भीमलत टनल

कोटा चित्तौड़गढ़ रेलखंड का विशेष आकर्षण भीमलत टनल
कोटा 9 अक्टूबर। कोटा मंडल में यूं तो एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल और दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र हैं जैसे भरतपुर में पक्षी अभयारण्य, महावीरजी टेम्पल, सवाई माधोपुर में रणथंभौर टाइगर सेंचुरी, कोटा में गढ़ पैलेस, बूंदी का किला, इंद्रगढ़ में माताजी का मंदिर लेकिन इन सबके अलावा प्राकृतिक सौंदर्य से भरपुर, जंगलों के बीचों बीच स्थित एक ऐसी रेलवे सुरंग है, जो भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग का बेजोड़ उदाहरण है साथ ही ये सुरंग कोटा चित्तौड़गढ़ रेलखंड की विकास गाथा की दशकों से मूक गवाह है।
पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राहुल जयपुरिया ने बताया कि भीमलत सुरंग या भीमलत टनल कोटा चित्तौड़गढ़ रेल खंड में वर्ष 1988 में दुर्गम पहाड़ी के बीच रेल परिचालन को सुगम बनाने के उद्देश्य से निर्मित की गई थी जो श्रीनगर और जालंधरी स्टेशनों के बीच किलोमीटर 61ध्6 तथा 62ध्0 के बीच स्थित है। इस सुरंग की कुल लंबाई 320 मीटर है और यह 4 डिग्री कर्व पर बनी हुई है। यह टनल विगत तीन दशकों से कोटा चित्तौड़गढ़ रेल खंड के विकास की मौन गवाह है। ये सुरंग गवाही देती है 30 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से लेकर आज लगभग 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही रेलगाड़ियों के चरणबद्ध विकास की। इस सुरंग ने कोटा- चित्तौड़गढ़ रेलवे सेक्शन के सिग्नलिंग सिस्टम में सुधार को करीब से देखा है। सौ फीसदी रेलवे विद्युतिकरण की कहानी इसके सामने ही साकार हुई। इसने रेलवे ट्रैक स्ट्रक्चर में हुए बदलाव तथा स्थाई गति प्रतिबंधों को खत्म होते देखा। कोटा चित्तौड़गढ़ रेल खंड के विकास की गाथा की मौन साक्षी है रेलवे की यह सुरंग, जिसे लोग भीमलत टनल के नाम से जानते हैं।
श्रीनगर जालंधरी के बीच स्थित घाट सेक्शन में टनल के पास ही ख्याति प्राप्त झरना भीमलत महादेव वाटरफॉल स्थित है, जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। टनल्स के एक छोर से जब कोई रेलगाड़ी प्रवेश करती है तो नन्हे-मुन्ने बच्चों की किलकारियों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो जाता है। इस टनल के दोनों तरफ का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत ही मनोरम है और देखते ही बनता है। इस टनल तक पहुंचने के लिए बूंदी से बिजोलिया स्टेट हाईवे सबसे उपयुक्त मार्ग है। इस स्टेट हाइवे के जरिए टनल तक पहुंचा जा सकता है।