लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी का शैक्षणिक पाठ्यक्रम इंडिया @75 के अनुकूल होगा : डॉ. जितेन्द्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देश एवं व्यक्तिगत पहल के तहत देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर भारत की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप बनाने के लिए आईएएस/सिविल सेवाओं के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के पाठ्यक्रम में उपयुक्त रूप से संशोधन किया जा रहा है।

मंत्री ने अकादमी में “इंडिया@ 75 : भविष्य की राह”पर मुख्य भाषण देते हुए कहा कि अगले 25 वर्ष भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है तथा देश की विकास यात्रा मेंप्रशासनिक अधिकारियों कोअहम भूमिका निभानी है और उन्हें इस विकास यात्रा में साक्षी बनने पर गौरवान्वित होना चाहिए।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के कामकाज का तरीका ‘शासन करने से भूमिका’में बदल जाना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए एक नारे को उद्धृत करते हुए मंत्री ने कहा कि मंत्री ने कहा कि “विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सबसे उन्नत रूप में उपयोग करके विकासको एक जन आंदोलन बनाना चाहिए”

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मंत्री ने अकादमी के कार्यकाल के बाद विस्तार से तीन महीने के मेंटरशिप कोर्स तथा प्रशासनिक अधिकारियों के लिए इसके लाभों का उल्लेख किया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने दोहराया कि भारत अपने उपलब्ध संसाधनों तथा प्रतिभा के उपयुक्त उपयोग के साथ अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ विश्व समुदाय में अग्रिम पंक्ति का देश बन जाएगा।

मंत्री ने कहा कि किसी देश के लिए 75 वर्ष वास्तव में कम होते हैं और एक युवा आबादी के साथ, भारत अपने आसपास के देशों की तुलना में सबसे युवा देशों में से एक है और हमें एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रत्येक भारतीय को अनिवार्य रूप से विकास का लाभ उठाना चाहिए, बिना लालफीताशाही के उन्हें बेहतर सेवा प्राप्त करने, सुगम जीवन जीने की सुविधा मिलनी चाहिए और समावेशन के साथ त्वरित विकास का यह विजन प्रशासनिक अधिकारियों के कंधों पर एक कठिन जिम्मेदारी है। मंत्री ने बताया कि प्रमुख नीति निर्माता के रूप में प्रशासनिक अधिकारियों को सार्वजनिक नीतिगत रूपरेखा तथा कार्यान्वयन दोनों में ही कल्याण तथा समावेशन के अंतर्निहित सिद्धांतों को शामिल करना चाहिए।

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मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लॉन्च किए गए ‘मिशन कर्मयोगी‘ के पीछे का विचार डिजिटल, आमने-सामने तथा मिश्रित शिक्षा की क्षमता का दोहन करना और अध्ययन तथा ज्ञान साझा करने के स्थान का और लोकतांत्रिकरण करना, सभी पदक्रमों तथा सीमाओं में लोक सेवा में रहने वालों का क्षमता निर्माण करना है।

उन्होंने विश्वास जताया कि यह हमारी विशालकाय नौकरशाही के सामर्थ्य तथा सेवा प्रदायगी क्षमता को बढ़ाने में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक सेवा में रहने वालों को अपने कर्तव्य की भावना को नए उत्साह तथा परिश्रम के साथ फिर से जगाना होगा तथा गरीबों, निर्बल तथा वंचित वर्गों के जीवन स्तर में बदलाव लाने की हमारी प्रतिबद्धता अन्य सभी विचारों पर प्रभावी होनी चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे उनके लिए एक रचनात्मक, प्रगतिशील तथा समावेशी नीति का अनुपालन करें जिन पर वे प्रभाव डालना चाहते हैं।

मोदी सरकार द्वारा आरंभ किए गए प्रशासनिक सुधारों की चर्चा करते हुए मंत्री ने राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापन तथा समूह‘सी’तथा समूह‘डी‘ पदों पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार की आवश्यकता को समाप्त करने का उल्लेख किया।

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