केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज वर्चुअल माध्यम से जम्मू में भारत का पहला “जिला सुशासन सूचकांक” जारी करेंगे

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह वर्चुअल माध्यम के जरिए भारत का पहला “जिला सुशासन सूचकांक (डीजीजीआई)” जारी करेंगे। जम्मू स्थित कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह व जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। इस सूचकांक को जम्मू और कश्मीर सरकार की सहभागिता में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने तैयार किया है।

जम्मू और कश्मीर सरकार के मुख्य सचिव श्री अरुण कुमार मेहता से प्राप्त सहयोग ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में शासन मॉडल की विविधता को मापने वाले सूचकांक की अवधारणा और इसके निर्माण को साकार किया है। यह भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए जिला स्तर पर शासन के समान मानदंड के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है।

इससे पहले 25 दिसंबर, 2021 को केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक जारी किया था। सुशासन सूचकांक- 2021 के अनुसार जम्मू और कश्मीर ने 2019 से 2021 की अवधि में सुशासन संकेतकों में 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। वाणिज्य व उद्योग, कृषि व इससे संबद्ध क्षेत्र, सार्वजनिक अवसंरचना व उपयोगियताओं, न्यायपालिका और सार्वजनिक सुरक्षा क्षेत्रों में राज्य का ठोस प्रदर्शन देखा गया है। वहीं,व्यापार करने में सुगमता, कर संग्रहण,कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने, ग्रामीण बस्तियों से जुड़ाव, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण, स्वास्थ्य बीमा कवरेज और सभी के लिए आवास में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा दोषी सिद्ध करने की दर, अदालती मामलों के निपटारे और महिला पुलिस कर्मियों के अनुपात में सुधार हुआ। केंद्रशासित प्रदेश ने नागरिक केंद्रित शासन क्षेत्र में एक ठोस प्रदर्शन किया है।

राष्ट्रीय स्तर पर शासन में ठोस प्रदर्शन की इस पृष्ठभूमि में जम्मू और कश्मीर सरकार की जिला स्तर पर शासन के मानदण्ड की पहल काफी महत्व रखती है। जिला सुशासन सूचकांक ने जिला स्तर पर विभिन्न शासन हस्तक्षेपों के प्रभाव को चिह्नित करने और लक्षित हस्तक्षेपों के साथ जिला स्तरीय शासन में सुधार के लिए भविष्य का एक रोडमैप प्रदान करने में सहायता की है।हितधारक परामर्श के लिए भारत सरकार के स्तर पर 10 दौर की बैठकों की जरूरत थी। इसमें जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव, जिला अधिकारियों, आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के साथ बैठकें और अन्य राज्यों के शिक्षाविद और क्षेत्र विशेषज्ञों के साथ परामर्श शामिल हैं। इन सभी का समन्वय इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट (आईएमपीएआरडी) के महानिदेशक (डीजी) ने किया।

यह भी पढ़ें :   उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश में विभिन्न परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा की

डीजीजीआई के परिणामों की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1.कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्र- किसान क्रेडिट कार्ड योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और पशु टीकाकरण में सार्वभौमिक कवरेज प्राप्त की गई। जम्मू और कश्मीर के अधिकांश जिलों में खाद्यान्न उत्पादन, बागवानी उत्पादन, दूध व मांस उत्पादन, पोल्ट्री (मुर्गीपालन) उत्पादन, कृषि ऋण में बढ़ोतरी देखी गई है।

2.वाणिज्य और उद्योग क्षेत्र -जीएसटी पंजीकरण, ऑनलाइन पंजीकृत एमएसएमई इकाइयों, हस्तशिल्प को ऋण और स्वरोजगार के लिए ऋण में सुधार दर्ज किया गया है। 2019-2021 की अवधि में हस्तशिल्प क्षेत्र को दिए गए ऋण में 109 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

3.मानव संसाधन विकास क्षेत्र – पेयजल, अलग शौचालय व विद्युत की सुविधा वाले विद्यालयों की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, कंप्यूटर की सुविधा वाले विद्यालयों और मध्याह्न भोजन पाने वाले बच्चों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, 10 जिलों में पंजीकृत विद्यार्थियों को 100 फीसदी कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

4.सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र – पूर्ण टीकाकरण एक महत्वपूर्ण सफलता की कहानी का प्रतिनिधित्व करता है, स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों में परिवर्तित पीएचसी/उप-केंद्रों की हिस्सेदारी औ रखुद के भवनों के साथ आंगनवाड़ी केंद्रों के अनुपात में सुधार हुआ है।

5.सार्वजनिक अवसंरचना और उपयोगिता क्षेत्र – सभी के लिए आवास योजना के तहत 12 जिलों में स्वीकृत किए गए आवासों में से 50 फीसदी से अधिक का निर्माण हुआ है, गांदरबल व श्रीनगर में स्वच्छ पेयजल की 100 फीसदी पहुंच सुनिश्चित हुई है,18 जिलों में स्वच्छता सुविधा तक 100 फीसदी पहुंच प्राप्त हुई है, विद्युतीकृत घरों में सुधार और वॉल-वेदर सड़कों का निर्माण हुआ है।

यह भी पढ़ें :   ताउते तूफान : इन स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना

6.सामाजिक कल्याण और विकास क्षेत्र – 80 फीसदी राशन कार्डों को आधार से जोड़ना एक प्रमुख उपलब्धि है।

7.वित्तीय समावेशन क्षेत्र – जन धन योजना के तहत वित्तीय समावेशन ने सार्वभौमिक कवरेज प्राप्त की है। स्वरोजगार योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता में भी दो अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

8.न्यायिक और सार्वजनिक सुरक्षा क्षेत्र – अदालती मामलों के निपटान में काफी बढ़ोतरी हुई है।

9.नागरिक केंद्रित शासन क्षेत्र -ई-ऑफिस में परिवर्तित सरकारी कार्यालयों में त्वरित गति से कार्य, शिकायत निवारण में लगभग 100 फीसदी प्रगति और ऑनलाइन प्रदान की जाने वाली सरकारी सेवाओं में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

प्रधानमंत्री का कहना है, “स्वतंत्रता के अमृत काल में हम विकास को सर्वांगीण और सर्व-समावेशी बनाने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली, कुशल प्रक्रिया और सुचारु शासन के निर्माण की दिशामें तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार सुशासन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो लोगों के लिए और सक्रिय शासन है। ‘नागरिक-प्रथम’ की सोच से निर्देशित हम अपनी सेवा वितरण प्रणाली की पहुंच को और अधिक विस्तृत करने व उसे और ज्यादा प्रभावी बनाने के अपने प्रयासों में अथक हैं।”

पिछले 2 वर्षों मेंडॉ. जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में डीएआरपीजी ने जम्मू और कश्मीर सरकार के साथ ई-ऑफिस को अपनाने, जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम, जिला पोर्टलों के साथ जेके-आईजीआरएएमएस (एकीकृत शिकायत समाधान और निगरानी प्रणाली) एकीकरण और सुशासन अभ्यासों की प्रतिरूप पर 3 क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने में सफलतापूर्वक सहभागिता की है।जम्मू और कश्मीर का जिला सुशासन सूचकांक अमृत काल अवधि के दौरान अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधारों के लिए प्रधानमंत्री की सोच को साकार करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है।

इस अवसर प रडीएआरपीजी ने उन सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार करने और “अधिकतम शासन-न्यूनतम सरकार” के राष्ट्र के शासन मॉडल को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया है।

एमजी/एएम/एचकेपी/एसएस