एमएसडीई ने अपनी महिला कर्मचारियों के लिए कौशल भारत आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आरंभ की, इसका लक्ष्य इसे बढ़ाकर अन्य मंत्रालय और विभागों तक विस्तारित करना है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी कार्यक्रम ‘मिशन कर्मयोगी’ के अनुरूप, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने पांच दिवसीय आत्मरक्षा कार्यक्रम – ‘‘मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी” का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन खेल, शारीरिक शिक्षा, फिटनेस तथा आराम कौशल परिषद (एसपीईएफएल-एससी) द्वारा किया गया है तथा इसमें 50 से अधिक महिलाओं की सहभागिता देखी गई है। ‘मिशन कर्मयोगी’ इस प्रकार की पहल है जो सरकारी कर्मचारियों की सोच तथा दृष्टिकोण को आधुनिक बनाते हुए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है। 

 

इस आत्मरक्षा कार्यक्रम की रूपरेखा एसपीईएफएल-एससी द्वारा क्राव मागा, काली, सिलट, विंग चुन तथा अन्य जैसी विश्व की सर्वश्रेष्ठ लड़ाई प्रणालियों के आधार पर बनाई गई है। इसके प्रशिक्षक स्थितिगत जागरूकता के साथ साथ विश्व की सर्वश्रेष्ठ तकनीकों को सिखाने में विशेषज्ञ हैं। इन तकनीकों को युद्ध विशेषज्ञों द्वारा 15 वर्ष के अनुभव के साथ डिजाइन किया गया है और उन्हें सीखना तथा खतरे के दौरान उन्हें निष्पादित करना सरल है।

ऐसी कार्यशालाओं के महत्व की व्याख्या करते हुए, एमएसडीई के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सरकार की सर्वाच्च प्राथमिकता है और इस आत्मरक्षा कार्यक्रम के साथ, हम महिलाओं को किसी भी प्रकार के हमले या खतरे से खुद को बचाने के लिए ऐसे प्रशिक्षण मॉड्यूल में नामांकित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मंत्रालय ऐसे मंत्र स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है जहां महिलाएं आत्मरक्षा विशेषज्ञों से खुद को बचाव करना सीख सकें। इसके अतिरिक्त, देश की महिला कार्यबल की सुरक्षा एवं अखंडता सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना महत्वपूर्ण है और यह सही दिशा में एक छोटा कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें यह उम्मीद है कि यह प्रायोगिक कदम सफल साबित होगा तथा हम इन सत्रों को अन्य मंत्रालयों, विभागों, स्कूलों तथा संगठनों में अधिक संरचित तथा परिणाम आधारित कार्यशाला के रूप में ले जाने में सक्षम होंगे।

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इस पहल पर टिप्पणी करते हुए, खेल, शारीरिक शिक्षा, फिटनेस तथा लेज़र कौशल परिषद (एसपीईएफएल-एससी) के सीईओ श्री तहसिन जाहिद ने कहा कि महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण समय की मांग है तथा इस प्रकार की पहल सही दिशा में उठाए गए कदम हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के बीच आत्मरक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि खतरे की स्थिति में खुद का बचाव करने में वे आत्मनिर्भर हैं।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को खतरनाक स्थितियों से निपटने के लिए एक सुरक्षा तंत्र से लैस करना है। इसका लक्ष्य उन्हें सशक्त बनाना तथा उन्हें यौन उत्पीड़न, अपहरण, छेड़छाड़, डराने आदि जैसी वास्तविक जीवन की स्थितियों से खुद को बचाने में सक्षम बनाना है। आत्मरक्षा कार्यक्रम में सहभागियों को विविध प्रकार के हमलों की स्थितियों, विशेष रूप से लूटपाट आदि की स्थितियों से निपटने के लिए सिखाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, महिलाओं को दिन प्रतिदिन की वस्तुओं के साथ चाकू तथा पिस्तौल से होने वाले हमलों का मुकाबला करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जा रहा है जिन्हें संभावित हत्यारों के खिलाफ हथियार के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षण में थप्पड़ों, घूसों, स्ट्रीट स्मार्टनेस के खिलाफ प्रतिरक्षा पर टिप्स तथा निर्भया सेल्फ डिफेंस किट का उपयोग भी शामिल है।

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प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन एमएसडीई के सचिव श्री राजेश कुमार अग्रवाल द्वारा एमएसडीई की संयुक्त सचिव सुश्री अनुराधा वेमुरी, एमएसडीई के अपर सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी, एमएसडीई की अवर सचिव सुश्री प्रभा शर्मा तथा खेल, शारीरिक शिक्षा, फिटनेस तथा लेज़र कौशल परिषद (एसपीईएफएल-एससी) के सीईओ श्री तहसिन जाहिद की उपस्थिति में किया गया।

इस प्रकार की पहल के साथ, एमएसडीई महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण बनाने की दिशा में सक्रियतापूर्व प्रगति कर रहा है। इसके अतिरिक्त, सहभागियों को सुरक्षा गियर के साथ सुसज्जित करने के लिए, निर्भया सेल्फ डिफेंस किट का वितरण भी सभी प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाण पत्र के साथ साथ किया जाएगा।

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