ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पाठ शुरू। यह फर्क है मुयालम और योगी सरकार में।
ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पाठ शुरू। यह फर्क है मुयालम और योगी सरकार में।

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पाठ शुरू। यह फर्क है मुयालम और योगी सरकार में।

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पाठ शुरू। यह फर्क है मुयालम और योगी सरकार में।
आखिर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी औरंगजेब के आतंक को जायज क्यों ठहरा रही है। क्या अब मस्जिद में नमाज हो सकती है?
व्यास तहखाने में पूजा पाठ शुरू होने पर क्या कांग्रेस खुशी जाहिर करेगी?
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सनातन संस्कृति में हिंदू कैलेंडर माघ माह का विशेष महत्व बताया गया है। इस माह में दान पुण्य के साथ साथ पूजा पाठ का महत्व भी माना गया है। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि माघ माह के छठे दिन यानी अंगेजी कैलेंडर के 1 फरवरी को वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के तहखाने में फिर से पूजा पाठ शुरू हो गई है। सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह गर्व और सम्मान की बात है। तहखाने में पूजा पाठ शुरू करने का आदेश वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को दिए थे। आदेश में प्रशासन से कहा गया कि 7 दिनों में पूजा पाठ की व्यवस्था कराई जाए, लेकिन प्रशासन ने आदेश के मात्र 15 घंटे बाद ही तहखाने में पूजा पाठ शुरू करवा दी। ऐसा इसलिए संभव हुआ कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। योगी की सनातन धर्म के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति को देखते हुए ही वाराणसी के प्रशासन ने अदालत के आदेश की क्रियान्विति में कोई विलंब नहीं किया। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि 1994 में जब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की नेतृत्व वाली सपा सरकार थी, तब प्रशासन ने व्यास तहखाने में होने वाली पूजा पाठ पर रोक लगा दी थी। तभी से यह रोक चली आ रही थी। मुलायम और योगी सरकार में यही फर्क है। सनातन संस्कृति में व्यासपीठ का विशेष महत्व है। इस पीठ पर बैठने वाला व्यक्ति सनातन धर्म के ग्रंथों की जानकारी श्रद्धालुओं को देता है। व्यास पीठ पर बैठने पर पूजा पाठ भी की जाती है। रिकॉर्ड बताता है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ के मंदिर में शुरू से ही व्यास पीठ स्थापित थी।
औरंगजेब का आतंक:
वाराणसी की जिला अदालत ने व्यास तहखाने में पूजा पाठ का जो आदेश दिया है उसके विरोध में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने हाईकोर्ट में अपील दायर करने की बात कही है। लेकिन सवाल उठता है कि यह कमेटी औरंगजेब के आतंक को जायज क्यों ठहरा रही है? इतिहास गवाह है कि 1664 में आक्रमणकारी औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर भी तुड़वाया था। औरंगजेब के आदेश से ही मंदिर की सामग्री से मस्जिद बनवाई गई। आज भी मस्जिद में हिंदू देवी देतवओं के चिह्न वाली सामग्री लगी हुई है। गंभीर बात तो यह है कि जिस तहखाने में 1 फरवरी से पूजा पाठ शुरू हुआ है उसके ऊपर ही मस्जिद है। सवाल यह भी है कि जिस स्थान पर सनातन धर्म के अनुरूप पूजा हो रही है उसके ऊपर बनी मस्जिद में क्या नमाज अदा की जा सकती है। इस निर्णय अब मुस्लिम धर्म गुरुओं को करना है। इस बीच यह भी खबर सामने आई है कि अयोध्या में बने राम मंदिर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी रामलला के दर्शन कर रहे हैं। जिस प्रकार हिंदू समुदाय के लोग दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं उसी प्रकार मुस्लिम समुदाय के लोग भी राम लला के दर्शन कर रहे हैं।
क्या कांग्रेस खुशी जाहिर करेगी?:
1 फरवरी से काशी विश्वनाथ मंदिर के व्यास तहखाने में पूजा पाठ का जो काम शुरू हुआ है उसे हर सनातनी खुश है। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस भी सनातनियों की खुशी में शामिल होगी? जिला अदालत के फैसले और पूजा पाठ शुरू होने पर अभी तक कांग्रेस की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
Report ByS.P.MITTAL