प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 3.61 लाख घरों के निर्माण के प्रस्तावों को मंजूरी

प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) की केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की 56 वीं बैठक कल 23 नवंबर 2021 को नई दिल्ली में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव, श्री दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। पीएमएवाई-यू के सहभागिता में किफायती  आवास, लाभार्थी उन्मुख निर्माण, साथ ही लम्बवत मलिन बस्ती पुनर्विकास के तहत कुल 3.61 लाख घरों को निर्माण के लिए मंजूरी दी गई थीI

बैठक की अध्यक्षता करते हुए, आवास एवं शहरी कार्य  सचिव ने मिशन के तहत घरों के निर्माण के संबंध में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित मुद्दों को उठाया। उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से बिना देरी किए ऐसे मुद्दों का समाधान करने को कहा ताकि घरों के निर्माण में तेजी लाई जा सके।

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत घरों का निर्माण विभिन्न चरणों में चल रहा है। इसके साथ ही मिशन के तहत स्वीकृत घरों की कुल संख्या अब 1.14 करोड़ हो गई है,  जिनमें से 89 लाख से अधिक का निर्माण लिए जारी है और 52.5 घरों के निर्माण कार्य लाख को पूरा कर के लाभार्थियों को वितरित किया गया है। मिशन के तहत कुल निवेश 7.52 लाख करोड़ है और जिसमें 1.85 लाख करोड़ की केंद्रीय सहायता के रूप में हैं। अब तक, 1.13 लाख करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं। केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति ने 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 3.74 लाख घरों के निर्माण में अंतरित  होने वाली परियोजनाओं के संशोधन के लिए भी मंजूरी दी ।

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इसके अलावा  सचिव, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने पीएमएवाई-यू के तहत देश भर में आवास निर्माण में तेजी लाने और निर्धारित समय के भीतर पूरा करने पर जोर दिया ताकि 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’  के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति की बैठक में अलावा  सचिव, आवास एवं  शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा एक ई-वित्त मॉड्यूल भी शुरू किया गया था। इस ई-वित्त मॉड्यूल को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना – शहरी की एमआईएस प्रणाली के सभी मॉड्यूल के साथ एकीकृत किया गया है और इनको प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना – शहरी की एमआईएस प्रणाली (पीएमएवाई–यू एमआईएस) के अंतर्गत ही डिज़ाइन किया गया हैI  जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण मोड के माध्यम से धन के वितरण के लिए सभी हितधारकों को अद्वितीय मंच प्रदान करना और लाभार्थियों का प्रमाणीकरण करना है।

इस मॉड्यूल को जारी  करते हुए, आवास एवं  शहरी कार्य मंत्रालय  सचिव ने कहा कि  “ई-वित्त मॉड्यूल को किसी भी प्रकार की गलत सूचना को दूर करने के लिए एक विशिष्ट उद्देश्य के साथ लॉन्च किया गया है। अब पारदर्शिता आएगी  और सभी वित्तीय डेटा एक ही प्लेटफॉर्म पर एकत्र  किए जाएंगे। ” उन्होंने निर्देश दिया कि मॉड्यूल के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकारियों/एमआईएस कर्मियों के लिए क्षेत्रवार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

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सचिव, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने तेलंगाना और तमिलनाडु में किफायती किराए के  आवासीय परिसरों (अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (-एएचआरसी) –  प्रतिदर्श (मॉडल) 2 – के तहत प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए कुल 19,535 इकाइयों को मंजूरी दी गई है, जिसमें 39.11 करोड़ रुपये का प्रौद्योगिकी नवाचार अनुदान भी शामिल है ।

सचिव, एमओएचयूए ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को खाली पड़े जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना (जेएनएनयूआरएम) घरों का उपयोग करके किफायती किराए के आवासीय परिसरों (एआरएचसी) के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने हितधारकों को किफायती किराए के आवासीय परिसरों (एआरएचसी)  के मॉडल 2 के तहत अधिक प्रस्तावों के साथ आने के लिए भी प्रोत्साहित किया ।

किफायती किराए के आवासीय परिसर (एआरएचसी) शहरी प्रवासियों/गरीबों को उनके कार्यस्थल के करीब शहरी क्षेत्रों में किफायती किराये पर आवास प्रदान करते हैं। एआरएचसी योजना दो मॉडलों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है। मॉडल 1 के तहत, मौजूदा सरकारी वित्त पोषित खाली घरों को सार्वजनिक निजी भागीदारी या सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा एआरएचसी में परिवर्तित किया जाता है; तथा मॉडल 2 के तहत किफायती किराए के आवासीय परिसर (एआरएचसी) का निर्माण, संचालन और रखरखाव सार्वजनिक/निजी संस्थाओं द्वारा अपनी खाली जमीन पर कराया जाएगा।

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