पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में गलवान घाटी के नायकों को श्रद्धांजलि दी, कहा- “देश का प्रतिनिधित्व करते समय मैं हमेशा भारतीय सैन्य बलों के बलिदान को याद रखूंगी”

भारत की अग्रणी पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी और 2019 की विश्व पैरा बैडमिंटन चैंपियन मानसी जोशी ने हाल में राष्ट्रीय राजधानी की संक्षिप्त यात्रा के दौरान दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का भ्रमण किया। हाल में महिलाओं की एकल एसएल3 श्रेणी में बीडब्ल्यूएफ पैरा-बैडमिंटन में दुनिया की शीर्ष खिलाड़ी बनीं मानसी 2019 में इसके उद्घाटन के बाद से हमेशा ही इस राष्ट्रीय स्मारक का भ्रमण करना और देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देना चाहती थीं।

मानसी ने कहा, “2019 से ही मैं राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का भ्रमण करना और उन लोगों को श्रद्धांजलि देना चाहती थी, जिन्होंने हमारे देश के लिए अपनी जान गंवा दी और सर्वोच्च बलिदान दिया। आज आखिरकार मुझे यह अवसर मिला और मैंने वास्तव में यहां का भ्रमण करके सम्मानित महसूस किया।”

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अपने भ्रमण के दौरान, मानसी ने बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने 2020 में गलवान घाटी की हिंसा में अपनी जान गंवा दी थी, जिनमें बहादुरी के लिए भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान महावीर चक्र हासिल करने वाले स्वर्गीय कर्नल संतोष बाबू शामिल थे।

 

मानसी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के वीरता चक्र का चक्कर भी लगाया, जिसमें भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा लड़ी गईं छह प्रसिद्ध लड़ाइयों का प्रदर्शन करने वाले छह कांस्य भित्ति चित्र शामिल हैं। ये छह लड़ाइयां हैं- लोंगेवाला की लड़ाई, गंगासागर की लड़ाई, तिथवाल की लड़ाई, रेजांगला की लड़ाई, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन ट्राइडेंट।

 

इन 6 खतरनाक लड़ाइयों की कहानियों ने मानसी को भावुक कर दिया और उन्होंने कहा कि जब भी वह देश का प्रतिनिधित्व करेगी, उन्हें अपने साथ ले जाएंगी। उन्होंने कहा, “मैं ज्यादा जानना चाहती हूं और एक बच्चे की तरह ज्यादा जानकारी (इन लड़ाइयों के बारे में) हासिल करना चाहती हूं। अगर मुझे यह जानकारी बचपन में मिली होती तो मुझमें अपने सैन्य बलों के बारे में ज्यादा समझ और सम्मान विकसित हुआ होता, लेकिन ज्यादा देरी कभी नहीं होती।”

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उन्होंने कहा, “हम जब भी देश से बाहर जाते हैं, तिरंगा साथ ले जाते हैं, लेकिन हममें से कोई यह काम (देश के लिए जान देने का) नहीं कर सकता। अगली बार, जब मैं देश का प्रतिनिधित्व करूंगी, तो मैं अपने मन में इन जवानों के बलिदानों को हमेशा संजोकर रखूंगी और इसे हमेशा याद रखूंगी।”

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