राजस्थान राजस्व मंडल में खुले भ्रष्टाचार को एसीबी ने उजागर किया।

राजस्थान राजस्व मंडल में खुले भ्रष्टाचार को एसीबी ने उजागर किया।

जयपुर और अजमेर में एक साथ हो रही है कार्यवाही। दलालों के मोबाइल की बातें सच निकली तो बीएल मेहरड़ा और सुनील शर्मा के अतिरिक्त दूसरे सदस्य भी चपेट में आ सकते हैं।

मुकदमों को अध्यक्ष ही लगाते हैं सदस्य की कोर्ट में। मौजूदा अध्यक्ष आर वेंकटेश्वर के कक्ष में रखी फाइलों की भी जांच।

सबको पता था कि अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल के मुख्यालय में खुला भ्रष्टाचार है। इस भ्रष्टाचार को पनपाने में कुछ वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। खबरें रही कि फलां वकील के संपर्क कर लिया जाए तो मुकदमे का निर्णय पक्ष में हो सकता है। पक्षकार ऐसे वकीलों को पहचाने भी लगे हैं, लेकिन ऐसे खबरों के सबूत नहीं थे। सबूत जुटाने का काम अब एसीबी ने किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एसीबी के डीजी बीएल सोनी और एडीजी दिनेश एनएम ने मेहनत कर राजस्व मंडल के खुले भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। मंडल के वकील और सदस्यों के दलाल शशिकांत जोशी के मोबाइल से पता चला है कि मंडल के सदस्य बीएल मेहरड़ा और सुनील शर्मा के फैसले संदिग्ध हैं। एसीबी अब मंडल के अध्यक्ष आर वेंकटेश्वर और सदस्य मनोज नाग के कक्ष में रखी फाइलों की भी जांच कर रही है। एसीबी ने सदस्य मेहरड़ा, सुनील शर्मा और दलाल शशिकांत जोशी को 10 अप्रैल की रात से ही हिरासत में ले रखा है। मेहरड़ा के जयपुर स्थित और दलाल जोशी के अजमेर स्थित आवासों से 40-40 लाख रुपए बरामद किए जा चुके हैं। मोबाइल में दर्ज बातें यदि सच निकली तो मंडल के कई सदस्य चपेट में आ सकते हैं। एसीबी के अधिकारी मोबाइल में दर्ज बातों को मिलान मंडल की फाइल और निस्तारित मुकदमों की फाइलों से कर रहे हैं। मंडल में खुले भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दलाल शशिकांत जोशी ही फैसले टाइप कर रहा था। यानि सदस्य तो सिर्फ हस्ताक्षर करने के लाखों, करोड़ों रुपए वसूल रहे थे। रुपयों में इतना दम था कि कोर्ट में घोषणा से फैसले को संबंधित पक्षकार को पढ़ाया जाता था। पक्षकार के संतुष्ट होने पर सदस्य हस्ताक्षर करते थे। इसमें मंडल के कर्मचारियों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। यदि अध्यक्ष वेंकटेश्वर के कक्ष में रखी फाइलों में गड़बड़ी निकलती है तो राजस्थान के प्रशासनिक अमले में बड़ा धमाका होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि मंडल के अध्यक्ष का पद मुख्य सचिव स्तर का होता है। पूर्व में मंडल में न्यायिक अधिकारियों के साथ साथ आईएएस को सदस्य नियुक्त किया जाता था, लेकिन बाद में आरएएस को भी सदस्य नियुक्त किया जाने लगा। मौजूदा समय में अध्यक्ष के अतिरिक्त पांच आईएएस, 12 आरएएस तथा दो दो पद न्यायिक और वकील कोटे के हैं। मंडल में इस समय अध्यक्ष वेंकटेश्वर के आईएएस के तौर पर श्रीमती विनीता श्रीवास्तव नियुक्त हैं। जबकि आरएएस के तौर पर बीएल मेहरड़ा, सुनील शर्मा, हरिशंकर गोयल, मनोज नाग, सुरेन्द्र माहेश्वरी तथा श्रवणलाल बुनकर नियुक्त हैं। इसी प्रकार न्यायिक कोटे से गणेश कुमार व पंकज नाचा हैं। वकील कोटे से सुरेन्द्र कुमार पुरोहित व रवि कुमार डांगी हैं। मंडल के कुछ सदस्य ईमानदार भी बताए जा रहे हैं, लेकिन एसीबी तो अब अधिकांश सदस्यों के फैसलों की भी जांच पड़ताल कर रही है। बैंकों में रविवार का अवकाश होने के कारण अब 12 अप्रैल को लॉकर खोले जाएंगे। मेहरड़ा और सुनील शर्मा के बैंक लॉकर भी नोट और जेवरात उगल सकते हैं। एसीबी की ताजा कार्यवाही से मंडल प्रशासन में खलबली मच गई है। आमतौर पर जिला स्तर पर स्थापित राजस्व अदालतों में भ्रष्टाचार होने की शिकायत रहती हैं, लेकिन अब तो राजस्व अदालतों का हाईकोर्ट माने जाने वाला राजस्व मंडल भी भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। जब रुपए देकर फैसले लिखवाएं जाएंगे तो आम आदमी को न्याय कहां से मिलेगा? मंडल में फैसले रिजर्व रखने की परंपार है। सवाल उठता है कि हाईकोर्ट की तरह मंडल में भी डायस पर ही फैसले क्यों नहीं सुनाए जाते? बहस सुनने के बाद सदस्य गुपचुप में ही आदेश जारी कर देते हैं।