बैंकों को आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत देने वाली अधिसूचना बरकरार 

बैंकों को आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत देने वाली अधिसूचना बरकरार

{ नई दिल्ली }

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र की उस अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें बैंकों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत ऋण वसूली के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को “खोलने” के बाद इसरो के साथ लगभग 60 स्टार्ट-अप्स पंजीकरण करा चुके हैं; उनमें से कुछ अंतरिक्ष के मलबे के प्रबंधन से सबंधित परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं : डॉ. जितेंद्र सिंह

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि आईबीसी के तहत समाधान योजना की मंजूरी से बैंकों के प्रति व्यक्तिगत गारंटरों की देनदारी खत्म नहीं हो जाती.न्यायमूर्ति भट ने फैसले के निष्कर्ष को पढ़ते हुए कहा,फैसले में हमने अधिसूचना को बरकरार रखा है

याचिकाकर्ताओं ने आईबीसी और अन्य प्रावधानों के तहत जारी 15 नवंबर 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जो कॉरपोरेट देनदारों को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों से संबंधित हैं.अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी कंपनी के लिए दिवालिया समाधान योजना शुरू होने से व्यक्तियों द्वारा वित्तीय संस्थानों के बकाया भुगतान के प्रति दी गई कॉरपोरेट गारंटी खत्म नहीं होती