हैदराबाद स्थित बीएचईएल के अनुसंधान और विकास केंद्र में भारत का पहला स्वदेशी उच्च राख कोयला गैसीकरण आधारित मेथनॉल उत्पादन संयंत्र डिजाइन किया गया

मेथनॉल का उपयोग मोटर ईंधन के रूप में, जहाज के इंजनों को बिजली देने और पूरे विश्व में स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। मेथनॉल का उपयोग डी-मिथाइल ईथर (डीएमई) उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है। यह एकतरल ईंधन है, जो डीजल की तरह होता है। मौजूदा डीजल इंजनों को डीजल की जगह डीएमई का उपयोग करने के लिए मामूली रूप से बदलने की जरूरत होती है।

पूरे विश्व में अधिकांश मेथनॉल उत्पादन प्राकृतिक गैस से प्राप्त होता है, जो अपेक्षाकृत आसान प्रक्रिया है। चूंकि भारत में प्राकृतिक गैस का अधिक भंडार नहीं है, इसलिए आयातित प्राकृतिक गैस से मेथनॉल का उत्पादन करने से विदेशी मुद्रा खर्च होती है और कभी-कभी प्राकृतिक गैस की बहुत अधिक कीमतों के कारण यह आर्थिक तौर पर प्रतिकूल भी होता है।

इससे आगे सबसे अच्छा विकल्प भारत के प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कोयले का उपयोग करना है। हालांकि, भारतीय कोयले में राख का अधिक हिस्सा होने के कारण, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुलभ तकनीक हमारी मांगों के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

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इस मुद्दे के समाधान के लिए, हैदराबाद स्थित बीएचईएल अनुसंधान एवं विकास केंद्र ने 2016 में नीति आयोग की सहायता से 0.25 टन प्रति दिन मेथनॉल का उत्पादन करने के लिए भारतीय उच्च राख कोयला (जिस कोयले में राख की अधिक मात्रा होती है) गैसीकरण पर काम करना शुरू किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने 10 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ इस परियोजना का समर्थन किया था। चार साल की कड़ी मेहनत के साथ बीएचईल ने 1.2 टीपीडी फ्लूइडाइज्ड बेड गैसीफायर का उपयोग करके उच्च राख वाले भारतीय कोयले से 0.25 टीपीडी मेथनॉल बनाने की सुविधा को सफलतापूर्वक कर दिखाया। इस उत्पादित कच्चे मेथनॉल की मेथनॉल शुद्धता 98 से 99.5 फीसदी के बीच है।

कल आयोजित इसके उद्घाटन समारोह के दौरान भारत का अपनी तरह का पहला प्रदर्शन संयंत्र देखने के लिए, जिसे अधिक राख वाले भारतीय कोयले पर काम करने के लिए पूरी तरह से इन-हाउस (कंपनी के भीतर) डिजाइन किया गया है, नीति आयोग के माननीय सदस्य डॉ वी के सारस्वत और बीएचईएल के अध्यक्ष श्री नलिन सिंघल सहित बीएचईएल की कोयला गैसीकरण टीम उपस्थित थी।

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डॉ. वी के सारस्वत ने कहा, “इस प्रयास से बीएचईएल में अधिक क्षमता वाली कोयला गैसीकरण सुविधाओं को डिजाइन करने के लिए इन-हाउस डिजाइन विशेषज्ञता का निर्माण हुआ, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच को जरूरी प्रोत्साहन प्रदान करेगा। यह इन-हाउस (बीएचईएल की आंतरिक) क्षमता भारत के कोयला गैसीकरण मिशन और हाइड्रोजन मिशन के लिए कोयले से हाइड्रोजन उत्पादन में सहायता करेगी।”

इस उपलब्धि को प्राप्त करने के बाद बीएचईएल कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं जैसे कि सिनगैस का मेथनॉल में उत्प्रेरण संबंधी रूपांतरण को कंपनी के भीतरही विकसित कर रहा है।

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एमजी/एएम/एचकेपी/वाईबी