उपभोक्ता कार्य विभाग ने सभी राइड-हेलिंग कंपनियों (ऐसी कंपनियां जो ऑनलाइन या एप्प द्वारा टैक्सी आदि वाहन सुविधा देती हैं) को निर्देश दिया है कि वे राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में नजदीकी साझीदार बनें, ताकि उपभोक्ता की शिकायतों का बेहतर समाधान हो सके तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 और ई-वाणिज्य नियम, 2020 का अनुपालन हो सके।
यह निर्देश उस समय दिये गये, जब उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह सभी प्रमुख ऑनलाइन राइड-हेलिंग प्लेटफार्मों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। यह बैठक इस सेक्टर में उपभोक्ताओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख विषयों पर चर्चा के लिये बुलाई गई थी।
इसके अलावा सभी ऑनलाइन राइड-हेलिंग प्लेटफार्मों को सलाह दी गई कि वे प्राथमिकता के आधार पर उनके वाहनों का प्रयोग करने वालों की चिंताओं पर गौर करें तथा उपभोक्ता अधिकारों के उचित संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये कदम उठायें।
बैठक में सभी प्रमुख राइड-हेलिंग कंपनियां मौजूद थीं, जिनमें ओला, उबर, रैपिडो, मेरू कैब्स और जुगनू शामिल थीं।
अपर सचिव सुश्री निधि खरे, संयुक्त सचिव श्री अनुपम मिश्रा और संयुक्त सचिव श्री विनीत माथुर भी बैठक में सम्मिलित हुये।
अपर सचिव सुश्री निधि खरे ने इन प्लेटफार्मों के जरिये सेवायें लेते समय उपभोक्ताओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया। बैठक में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के अनुसार उपभोक्ता शिकायतों की प्रमुख श्रेणियों के बारे में बताया गया। एनसीएच द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार एक अप्रैल, 2021 से एक मई, 2022 के दौरान मिली कुल शिकायतों में से 56 प्रतिशत शिकायतें सेवा में खामियों की थीं।
बैठक के दौरान मुख्य शिकायतें इस प्रकार रहीं:
सेवा में खामी
उपभोक्ता सहायता से संपर्क न होना
राइड रद्द करने पर शुल्क की गैर-वाजिब वसूली
शुल्क का हिसाब लगाने वाले एल्गॉरिद्म की निष्पक्षता
उल्लेखनीय है कि एनसीएच पर पंजीकृत शिकायतें बिलकुल शुरूआती स्तर पर ही हैं, क्योंकि सभी उपभोक्ता एनसीएच पर शिकायतें दर्ज नहीं करवाते।
चर्चा के दौरान, कंपनियों ने दावा किया कि उपभोक्ता शिकायतों के समाधान की उनकी प्रणाली बहुत अच्छी है। बहरहाल, उन्होंने आश्वासन दिया कि बैठक में उठने वाले मुद्दों पर वे फौरन विचार करेंगे। जहां तक कैंसिलेशन शुल्क का सवाल है, तो उन्होंने बताया कि यह इसलिये वसूला जाता है, ताकि राइड रद्द होने की स्थिति में ड्राइवर की क्षतिपूर्ति हो सके।
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एमजी/एएम/एकेपी