कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने महाराष्ट्र के पुणे स्थित बारामती में सब्जियों के लिए स्थापित उत्कृष्टता केंद्र का दौरा किया

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने महाराष्ट्र के पुणे स्थित बारामती में सब्जियों के लिए स्थापित भारतीय-डच उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने किसानों के साथ बातचीत भी की।

           

 

इस सीओई की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सब्जी उत्पादन के लिए एक प्रदर्शन केंद्र स्थापित करने के साथ क्षेत्र में विस्‍तार कार्यकर्ताओं व किसानों को उनके प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के जरिए तकनीकों का हस्तांतरण करना है। किसान और विस्‍तार कार्यकर्ताओं को सब्जी उत्पादन बढ़ाने व आपूर्ति श्रृंखला (क्षेत्र/पीएचटी/भंडारण/परिवहन) में इसके नुकसान को कम करने के लिए जरूरी उन्नत तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। इन तकनीकों में संरक्षित खेती, हाइड्रोपोनिक्स, उन्नत बीज व गुणवत्ता रोपण सामग्री, फर्टिगेशन (उर्वरक का बेहतर उपयोग), एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम), एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) अभ्यास और अच्छी कृषि पद्धतियां (जीएपी) आदि शामिल हैं।

इस परियोजना के अन्य उद्देश्यों में सब्जियों की गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की आपूर्ति, सब्जियों की फसलों में उच्च तकनीक संरक्षित कृषि तकनीकों का प्रदर्शन, ऑटोमाइजेशन के जरिए जल व उर्वरता के कुशल उपयोग, उच्च उपज सुनिश्चित करने के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों का मानकीकरण और किसानों की आय में बढ़ोतरी शामिल है। सीओई ने विभिन्न स्तर के अधिकारियों, एनजीओ और निजी उद्यमियों आदि के प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की और किसानों की आय को अधिकतम करने के लिए मूल्य श्रृंखला विकसित करने, रोजगार सृजन और बाजार के बारे में जानकारी को बढ़ावा देने का रास्ता दिखाया है।

इस परियोजना के तहत प्रमुख प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप शामिल हैं। इनमें हाईफोर्स्ड वेंटिलेटेड पॉली हाउस में कीट व रोग मुक्त रोपण सामग्री का उत्पादन, रोपण सामग्री के उत्पादन के लिए इटालियन मीडिया फिलिंग सह सीडिंग मशीन का उपयोग करना, सिंचाई व फर्टिगेशन के लिए सब्जियों के पौधों के उत्पादन में स्वचालित रोबोट का उपयोग करना, मिट्टी रहित कृषि का प्रदर्शन, कम मिट्टी में उगने वाले यूरोपीय बैग, ऊर्ध्वाधर बढ़ने वाले बैग, विदेशी फसलें जैसे शिमला मिर्च, चेरी टमाटर, पत्तेदार विदेशी और लटकते कस्तूरी, विदेशी पत्तेदार सब्जी व लटकते खरबूजा, परागण, ट्रेलिसिंग, ट्रेनिंग व छंटाई के लिए डच कृषि तकनीक के बारे में जानकारी, बटरफ्लाई वेंट जलवायु नियंत्रण प्रणाली, सेंसर, मौसम प्रणाली, जलवायु नियंत्रण, फर्टिगेशन भंडारण समाधान और ड्रेन वाटर रीसाइक्लिंग शामिल हैं। वहीं, क्षमता निर्माण कार्यक्रम में भारत का पहला टीओटी कार्यक्रम (प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण) व युवा उद्यमियों और एफपीओ के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम, कृषि उत्पाद वस्तु के लिए मूल्य श्रृंखला प्रबंधन कार्यक्रम (बाजार लिंकेज) शुरू करना शामिल हैं।

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यह केंद्र जरूरतमंद लोगों के स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण भी प्रदान करता है और तकनीक के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है, जिससे कई युवा कृषि की ओर आकर्षित होते हैं।

अब तक भारत-डच सहयोग के कुल 7 उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) को 4 राज्यों में मंजूरी दी गई है। इनमें से 2 केंद्र महाराष्ट्र में निर्मित हो चुके हैं और 5 का काम पूरा होने के विभिन्न चरणों में है। इनके अलावा 3 निजी सीओई भी हैं। ये सभी 10 केंद्र महाराष्ट्र, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, केरल व कर्नाटक राज्यों में कार्यरत हैं और बागवानी फसलों, फलों, सब्जियों, आलू व फूलों पर अपना विशेष ध्यान दे रहे हैं। 

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डॉ. लिखी ने केवीके बारामाती स्थित सीओई में डच ग्रीन हाउस का भी दौरा किया, जिसका उद्देश्य कम संसाधनों जैसे जल, कीटनाशकों, जनशक्ति आदि से अधिक से अधिक फसल उत्पादन करना है। यह न केवल उद्यमियों के लिए मूल्य को जोड़ता है, बल्कि अवशेष मुक्त उत्पाद की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। इस ग्रीन हाउस का मुख्य फोकस संरक्षित खेती के तहत प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है।

         

डॉ. लिखी ने बारामती स्थित केंद्र की गतिविधियों की भी समीक्षा की। इस दौरान सीओई के निदेशक ने उनके सामने एक विस्तृत प्रस्तुति दी। इसके अलावा इस क्षेत्र में काम कर रहे सभी 10 सीओई व एग्री स्टार्ट-अप्स ने लेन-देन की लागत में कटौती करने और फल व सब्जियां उत्पादित करने वाले किसानों के लिए बेहतर बाजार संबंध बनाने को लेकर उनके द्वारा उपयोग किए जा रहे नवाचार और तकनीकों पर अपनी प्रस्तुतियां दीं। इस बातचीत में मंत्रालय के अधिकारी, भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के अधिकारी, सभी सीओई के निदेशक, बागवानी के लिए आईसीएआर राज्य बागवानी के 23 राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्रों के निदेशक और अन्य हितधारक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। 

डॉ. लिखी ने सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 7 सीओई में किए जा रहे तकनीकी प्रदर्शनों को इसके आसपास के गांवों में व्यापक रूप से प्रचारित किया जाना चाहिए। यह विशेष रूप से लाभदायक कृषि का अभ्यास करने के लिए लघु और सीमांत किसानों को इसका लाभ देने के लिए होना चाहिए। 

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