राष्ट्रीय खेल, प्रतिभागियों में भाईचारा और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाते हैं – उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि खेल का आयोजन राष्ट्रीय एकता की भावना को सशक्त करता है, जिसमें राज्यों से आए एथलीट एक साथ भाग लेते हैं और उनमें जीवनभर के लिए एक संबंध विकसित होते हैं। उनमें भाईचारे की भावना पैदा होती है।

सूरत के पंडित दीनदयाल उपाध्याय इनडोर स्टेडियम में 36वें राष्ट्रीय खेलों के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने खेल के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए राज्य सरकार को बधाई दी, जिसमें पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कई प्रतिस्पर्धाओं में नए रिकॉर्ड बने। उन्होंने कहा, ‘एथलीट यहां से अच्छी यादें और राष्ट्रवाद की भावना लेकर लौटेंगे।’

पिछले कुछ वर्षों में देश में खेल के बुनियादी ढांचे में हुए उल्लेखनीय विकास का जिक्र करते हुए, श्री धनखड़ ने यह विश्वास व्यक्त किया कि वह दिन दूर नहीं जब भारत ओलंपिक की मेजबानी करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में उभरती खेल प्रतिभाओं को सही अवसर और बेहतर प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि योग्यता और निष्पक्षता से चयन की नई खेल संस्कृति गेमचेंजर है।

अपने संबोधन में श्री धनखड़ ने दिल को छू लेने वाली उस घटना का जिक्र किया जब प्रधानमंत्री ने भारतीय महिला हॉकी टीम के प्रत्येक सदस्य से व्यक्तिगत रूप से बात की थी, जब वे टोक्यो ओलंपिक में पदक से चूक गए थे। पीएम ने इस बात पर जोर दिया था कि जीत या हार से ज्यादा खेल भावना मायने रखती है।

भारत के उपराष्ट्रपति के तौर पर यह उनकी पहली गुजरात यात्रा है, इस बात का उल्लेख करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि वह राज्य के लोगों से मिले प्यार और स्नेह से अभिभूत हैं। देश के विकास में गुजरात के योगदान की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘गुजरात के सपूतों ने स्वतंत्रता से पहले और बाद के काल खंड में भी ऐतिहासिक योगदान दिया है।’

तीन दिवसीय दौरे पर सूरत पहुंचे उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ और डॉ. सुदेश धनखड़ का सूरत एयरपोर्ट पर राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और गुजरात सरकार के मंत्रियों और अन्य लोगों ने स्वागत किया। अगले दो दिनों में वे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और साबरमती आश्रम का दौरा करेंगे और राज्य सरकार व सामुदायिक संगठनों की ओर से आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे।

इस साल राष्ट्रीय खेलों में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 14,500 से अधिक खिलाड़ियों, कोचों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसका उद्घाटन 29 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।

खेल के समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, राज्य के मंत्रियों और सांसदों के साथ ही प्रतिभागी खिलाड़ी, अधिकारी आदि शामिल हुए।

पूरा भाषण निम्नलिखित है-

ऊर्जा और उत्साह से ओत-प्रोत गुजरात राज्य में आमंत्रित करने के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

गुजरात की धरती पर पहला कदम रखते ही ऊर्जा और उत्साह का संचार महसूस किया जा सकता है। मैं गुजरात के लोगों की ऊर्जा की सराहना करता हूं।

उप-राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के पश्चात यह मेरी गुजरात की प्रथम यात्रा है। इस दृश्य को देखकर मैं अभिभूत हूं। इस मिट्टी को नमन करता हूं। यहां के सपूतों ने हर काल खंड में देश की सेवा में कीर्तिमान हासिल किए हैं और बखूबी कर रहे हैं। गुजरात के सपूतों ने आजादी से पहले और बाद के काल खंड में ऐतिहासिक योगदान दिया है। देश उनका कृतज्ञ रहेगा।

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जनसांख्यिकी लाभांश भारत की बड़ी ताकत है। भारत एक गतिशील राष्ट्र, एक युवा देश के रूप में उभरा है। अलग चीजें कर रहा है और चीजों को अलग तरह से कर रहा है। यह सफल और भव्य आयोजन इसका प्रतीक है। 36वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य आयोजन गुजरात की नवीनतम बड़ी उपलब्धि है।

हमने शारीरिक शक्ति और मानसिक शक्ति का संयोजन देखा है। खिलाड़ी के निपुण होने के लिए दोनों जरूरी हैं। 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और सर्विसेज से 14,500 से अधिक खिलाड़ियों, कोचों और अधिकारियों के अद्भुत संगम से मैं अभिभूत हूं। यह सुखद है कि भागीदारी के साथ, यह खेल आयोजन बेहद सफल रहा और एक नया मानदंड भी स्थापित किया। इस दौरान कई रिकॉर्ड टूटे, भविष्य के कई चैंपियन खोजे गए और खेल एवं राष्ट्रीय भावना मजबूत हुई। इस शानदार उपलब्धि के लिए राज्य सरकार, भारतीय ओलंपिक संघ, खिलाड़ियों, कोचों, सहयोगी स्टाफ और अन्य सभी लोगों को मेरी ओर से हार्दिक बधाई।

हमारे एथलीट राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में असाधारण प्रदर्शन कर रहे हैं। गुजरात सरकार के प्रयास से, एथलीटों और विशेष रूप से उभरते खिलाड़ियों को अपने देश में एक समान मंच मिला।

ग्रामीण प्रतिभाओं का उभरना नए इकोसिस्टम की उल्लेखनीय सफलता है। योग्यता और निष्पक्षता के साथ चयन से विकसित नई खेल संस्कृति गेमचेंजर है। मेरा मानना है कि राष्ट्रीय खेल जैसे मंच केवल एक प्रतियोगिता नहीं हैं, ये ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जहां युवा भारत के सपनों को साकार किया जाता है।

देश के हर कोने से खिलाड़ियों की उपस्थिति और भागीदारी तथा देशभर से आए खिलाड़ियों के एक जगह होने से सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है और खिलाड़ियों में आपसी लगाव व संबंध बढ़ते हैं। राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हुए यह कार्यक्रम आजादी के अमृत महोत्सव की भावना को भी दर्शाता है।

इस आयोजन की सफलता और व्यापक विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे को देखकर मैं आशावान हूं कि वो दिन दूर नहीं जब देश ओलंपिक की मेजबानी करेगा। गुजरात में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे से देश को काफी लाभ हो रहा है। यह देश में बदलते स्पोर्ट्स इकोसिस्टम का संकेत है। खेलों के प्रति हमारे दृष्टिकोण में बदलाव देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। प्रधानमंत्री जी ने अनेक सार्थक कदम उठाकर देश में एक नई सोच और ऊर्जा का संचार किया है।

यह जानकर संतुष्टि और खुशी होती है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश में खेलों को एक नया आयाम दिया है। बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। खेल को अब जीवन शैली के रूप में देखा जाने लगा है।

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग, खेल के लिए जरूरी है। खेल भावना से अनुशासन और राष्ट्रवाद की भावना पनपती है। हाल के वर्षों में देशभर में खेलों को एक संस्कृति के रूप में बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ इकोसिस्टम विकसित किया गया है।

मेरे समक्ष बदलते हुए भारत की तस्वीर है यहां का यह स्टेडियम। हर्ष का विषय है कि देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है। गर्व का विषय है कि पिछले साल ही 1.32 लाख दर्शकों की क्षमता वाले विश्व के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन गुजरात में किया गया है।

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प्रधानमंत्री जी ने खेलों के लिए समर्पित भाव से प्रयास किए हैं। हर योग्य खिलाड़ी को उसकी प्रतिभा को निखारने के लिए हर संभव साधन और अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। हाल के समय में खेलों और खेल से जुड़ी संस्थाओं में पारदर्शिता स्थापित हुई है और नतीजे हमारे सामने हैं।

भारत के युवा लगातार अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत की इस बढ़ती क्षमता को देखते हुए मुझे पूर्ण विश्वास है कि अब वो दिन दूर नहीं, जब ओलंपिक खेलों के भारत में आयोजन को लेकर हमारी जोरदार दावेदारी होगी।

टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला हॉकी टीम मेडल जीतने से चूक गई तो, प्रधानमंत्री जी ने उनसे बात करके हौसला बढ़ाया। यह दिल को छू लेने वाला पल था। देश के प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से हमारी महिला हॉकी टीम के हर सदस्य से बात की थी। इसने न केवल युवा टीम को भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करने का जज्बा दिया बल्कि प्रधानमंत्री जी का यह कदम हर भारतीय के दिल को छू गया।

खेल में हार जीत का अपना महत्व है पर यह अंतिम लक्ष्य नहीं है। खेल से एक भावना जाग्रत होती है। जीत या हार से ज्यादा खेल भावना मायने रखती है। हाल के वर्षों में देशभर में खेल से संबंधित बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए असाधारण प्रयास हुए हैं। गुजरात अनुकरणीय उदाहरण है।

यह गर्व का विषय है कि खिलाड़ियों ने आयोजन के दौरान उच्चतम स्तर की खेल भावना का प्रदर्शन किया। खेल जीतना या हारना नहीं होता, इसका मतलब हिस्सा लेने से है। खेल अनुशासित जीवन शैली को भी बढ़ावा देता है। यह हमारे गुरुओं के प्रति सम्मान और अपने साथियों व प्रतिस्पर्धियों के प्रति सहानुभूति की भावना पैदा करता है।

मुझे यकीन है कि कई खिलाड़ी अब गरबा के बेसिक स्टेप्स जान चुके होंगे और वे इन प्यारी यादों को लेकर अपने गृह राज्यों को लौटेंगे। वास्तव में खेल के जरिए हम सभी को एकजुट करते हैं। ये सभी एथलीटों के लिए एक जीवनभर के संबंध भी विकसित करते हैं और उनमें भाईचारे की भावना मजबूत होती है। एथलीट यहां से अच्छी यादें और राष्ट्रवाद की भावना के साथ लौटेंगे।

गुजरात आकर बेहद खुश हूं। मैं एक बार फिर सभी एथलीटों और उनके कोचों को 36वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान असाधारण प्रदर्शन और समर्पण के लिए बधाई देता हूं।

मैं गुजरात सरकार को 36वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन के लिए भी बधाई देता हूं।

गुजरात कभी रुकता नहीं, भारत कभी ठहरता नहीं और मुझे विश्वास है कि निकट भविष्य में ऐसे कई और खेल के आयोजन देखने को मिलेंगे।

संतुष्टि और उपलब्धि की भावना के साथ, मैं 36वें राष्ट्रीय खेलों के आधिकारिक समापन की घोषणा करता हूं।

खेलों के अनुकरणीय और सफल आयोजन के लिए आयोजकों को मेरी ओर से बधाई।

37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए शुभकामनाएं।

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एसजी/एएम/एएस/एसएस