2024-2025 तक देश में थर्मल कोयले का आयात पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा- प्रह्लाद जोशी

केन्द्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों के बाद खनिज और खनन क्षेत्र अधिकतम रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में मान्यता देने के लिए इन दो क्षेत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। आज नागपुर में खान, खनिज और धातुओं पर एक सम्मेलन- मिनकॉन 2022 को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य वर्तमान वर्ष में 90 करोड़ टन कोयले का उत्पादन करना है और 163 खानों की नीलामी की जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को संघीय व्यवस्था में विश्वास है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अधिकांश शक्तियां राज्यों को प्रदान की जानी चाहिए।

महाराष्ट्र राज्य खनन निगम (एमएसएमसी) और विदर्भ आर्थिक विकास परिषद ने संयुक्त रूप से नागपुर में इस सम्मेलन का आयोजन किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस सम्मेलन में महाराष्ट्र के वन और पर्यावरण मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, महाराष्ट्र के खनिज मंत्री दादाजी भूसे, वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव हर्षदीप कांबले, महाराष्ट्र खनन निगम के अध्यक्ष आशीष जायसवाल, विदर्भ आर्थिक विकास परिषद के अध्यक्ष देवेंद्र पारिख भी शामिल हुए।

श्री जोशी ने कहा कि भारत में खनिज संपदा का मूल्य 2021-22 में 1.9 लाख करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि सरकार इसके उचित उपयोग और वितरण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करने में विदर्भ क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा नए विचारों और नए शोध के लिए पूर्ण समर्थन और आवश्यक प्रोत्साहन भी प्रदान करेगी।

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि विदर्भ क्षेत्र के विकास की नींव खनन और वन पर आधारित है, और केवल खनन आधारित उद्योग ही विदर्भ क्षेत्र की प्रगति को गति दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि विदर्भ क्षेत्र में महाराष्ट्र के 75 प्रतिशत खनिज और 80 प्रतिशत वन संसाधन हैं और इनके उचित उपयोग से ऊर्जा क्षेत्र में विदर्भ क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ आत्मनिर्भर बनाने के लिए जल, ऊर्जा और संचार में अधिक निवेश आवश्यक है। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा किए गए आमूल-चूल परिवर्तन के कारण ही कोयला उत्पादन में वृद्धि हुई है। श्री गडकरी ने कहा कि भारत की ऊर्जा जरूरतें बढ़ रही हैं और भविष्य में और कोयले की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि केवल विदर्भ क्षेत्र ही इस जरूरत को पूरा कर सकता है।

नितिन गडकरी ने कहा कि केंद्र का अनुसरण करते हुए राज्य सरकारों को भी आधुनिक कार्य प्रणालियों का उपयोग करके समय की बचत करनी चाहिए। उन्होंने राज्य सरकारों से समय नियोजन और पारदर्शिता पर जोर देते हुए इन क्षेत्रों के लिए आवश्यक लाइसेंस जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का आग्रह किया। इन क्षेत्रों को कोयले से अमोनियम नाइट्रेट और यूरिया का उत्पादन कर देश के यूरिया आयात को 60 हजार करोड़ रुपये तक कम करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इन क्षेत्रों को अब 17 लाख करोड़ रुपये के ईंधन आयात को कम करने के लिए नई नीतियां बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बंद खदानों के लिए अभी कदम उठाने होंगे और अगर खदान आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है तो नीतियों में ढील देनी होगी।

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श्री गडकरी ने कहा कि देश को 60 लाख टन मैंगनीज की जरूरत है और इसे पूरा करने के लिए विदर्भ क्षेत्र को पहल करनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कोयले के बाजार मूल्य के आधार पर रॉयल्टी का समाधान खोजने के लिए खनन उद्योग और निवेशकों को एक साथ आना चाहिए। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि खनन क्षेत्र के लिए पारदर्शिता, समय पर कामकाज और भ्रष्टाचार मुक्त प्रक्रियाएं बहुत जरूरी हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह विदर्भ क्षेत्र में नए कोयला खनन के लिए संबंधित मंत्रियों और सभी विभागों के अधिकारियों के बीच उचित समन्वय और संपर्क बनाये रखने का प्रयास करेंगे।

14-16 अक्टूबर, 2022 तक आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन में विभिन्न सरकारी संगठनों के अधिकारी और खनन और खनिज क्षेत्र के निवेशक भाग ले रहे हैं।

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एमजी/एएम/एसएस