प्रधानमंत्री 18 अक्टूबर को लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर के स्थल कार्य प्रगति की समीक्षा करेंगे

लोथल दरअसल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था और यहां पर सबसे पुराने मानव निर्मित गोदी या डॉकयार्ड की खोज होने के लिए यह जाना जाता है। लोथल में एक समुद्री धरोहर परिसर को विकसित किया जाना दरअसल इस शहर की ऐतिहासिक विरासत और धरोहर के लिए बिल्‍कुल उपयुक्त है।

लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर (एनएमएचसी) को न केवल भारत की समृद्ध और विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करने, बल्कि लोथल को एक विश्वस्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद करने के लिए भी विकसित किया जा रहा है जो कि अपनी तरह की एक परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

यह भी पढ़ें :   राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण के तहत अब तक 187.95 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं

इस परिसर, जिस पर मार्च 2022 में काम शुरू हुआ था, को लगभग 3500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। इसमें कई नवीन और अनूठी विशेषताएं होंगी जैसे कि हड़प्पा वास्तुकला और जीवन शैली को फिर से जीवंत करने के लिए लोथल मिनी रिक्रिएशन; चार थीम पार्क – मेमोरियल थीम पार्क, समुद्री और नौसेना थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क और साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क; दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय; हड़प्पा काल से लेकर अब तक भारत की समुद्री धरोहर पर प्रकाश डालने वाली चौदह दीर्घाएं; तटीय राज्यों का मंडप जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करेगा; इत्‍यादि।  

यह भी पढ़ें :   कोविड-19 टीकाकरण अपडेट - 557वां दिन

 

***

एमजी/एएम/आरआरएस –