भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने चार समुद्री यातायात कंपनियों के खिलाफ अंतिम निर्णय पारित कर दिया है। ये चार कंपनियां निपॉन यूसेन काबूशिकी काएशा (एनवाईके लाइन), कावासाकी किसेन काएशा लिमिटेड (के-लाइन), मितसूई ओ.एस.के लाइन्स लिमिटेड (एमओएल) और निस्सान मोटर कार कैरियर कंपनी (एनएमससीसी) हैं। ये सभी कंपनियां विभिन्न कारोबारी रास्तों पर मोटरवाहन मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) को मोटरवाहन यातायात सेवायें प्रदान करने के लिये गुटबंदी की गतिविधि में लगी थीं। इन चार कंपनियों में से एनवाईके लाइन, एमओएल और एमससीसी ने सीसीआई के सामने कम जुर्माना लगाने की प्रार्थना की थी।
उपलब्ध प्रमाणों का मूल्यांकन करने पर पता चला कि एनवाईके लाइन, के-लाइन, एमओएल और एनएमसीसी ने गुटबंदी करके ऐसे “नियम” बना रखे थे, जिनके तहत वे आपस में प्रतिस्पर्धा नहीं करती थीं तथा ओईएम के लिये काम करते हुये एक-दूसरे के कारोबार की सुरक्षा करती थीं। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये, समुद्री यातायात कंपनियां कई स्तरों पर गुटबंदी करती थीं तथा द्विपक्षीय ठेकों/बैठकों/ई-मेल के जरिये एक-दूसरे के साथ कारोबारी संवेदनशील सूचनाओं का आदान-प्रदान करती थीं। वे आपस में माल भाड़े पर भी चर्चा करती थीं। वे बाजार पर अपनी पकड़ बनाये रखने, माल भाड़े को कायम रखने या उन्हें बढ़ाने के लिये भी एक-दूसरे की मदद लेती थीं। इस तरह वे कीमतें कम करने की ओईएम के निवेदन को ठुकरा देती थीं।
इन सारे प्रमाणों का मूल्यांकन करने के बाद आयोग ने उपरोक्त चार कंपनियों, यानी एनवाईके लाइन, के-लाइन, एमओएल और एनएमसीसी को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 के प्रावधानों की अवहेलना का दोषी पाया। इस धारा के तहत गुटबाजी सहित सभी प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों पर पाबंदी लगी है। इसके अलावा एनवाईके लाइन के 14 कर्मियों, के-लाइन के 10, एमओएल के छह और एनएमसीसी के तीन कर्मियों को अपनी-अपनी कंपनियों के लिये प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहने का जिम्मेदार माना है। यह निर्णय अधिनियम की धारा 48 के प्रावधानों के अनुरूप किया गया है।
उपरोक्त चार कंपनियों में से तीन कंपनियों ने कम जुर्माना लगाने का आवेदन दिया था। आयोग ने एनवाईके और उसके 14 कर्मियों पर जुर्माने में 100 प्रतिशत, एमओएल और उसके छह कर्मियों पर जुर्माने में 50 प्रतिशत और एनएमसीसी और उसके तीन कर्मियों पर जुर्माने में 30 प्रतिशत कटौती का लाभ दिया है। तदनुसार, आयोग ने के-लाइन, एमओएल और एनएमसीसी को आदेश दिया है कि वे क्रमशः लगभग 24.23 करोड़ रुपये, 10.12 करोड़ रुपये और 28.69 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करें। इसके साथ ही पाबंदी और काम बंद करने के आदेश भी जारी किये गये हैं।
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एमजी/एएम/एकेपी