केंद्रीय बजट 2022-23 ‘विश्वास आधारित शासन’ की अवधारणा पर जोर देने वाला आम जनता का बजट है: श्री पुरुषोत्तम रूपाला

केंद्रीय बजट 2022-23 में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के साथ-साथ मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए कई मानक संचालन प्रक्रिया में शामिल की गई हैं।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि यह बजट वास्तव मेंआम लोगों का बजट है। यह बजट विकास की प्रक्रिया में काफी विश्वास कायम करता है। बजट बुनियादी ढांचे में निवेश करने, वित्त को मजबूत करने और अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास सुनिश्चित करने की भारत सरकार की रणनीति परआधारित है। यह गरीबों, महिलाओं और वंचित-उपेक्षित लोगों के हित के अनुकूल है। अमृतकाल के लिए तैयार किया गया यह ब्लूप्रिंट स्पष्ट रूप से पूंजी और मानव संसाधन की उत्पादक दक्षता में सुधार को लेकर सरकार के इरादों पर केंद्रित है। यह ‘विश्वास आधारित शासन’की अवधारणा पर जोर देता है। उन्होंने प्रधानमंत्री की भावनाओं को दोहराया कि “यह बजट विकास का नया विश्वास लेकर आया है।”

पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के लिए केंद्रीय बजट 2022-23 में कई विशेषताएं हैं। हालांकि, 2022-23 के लिए पशुधन क्षेत्र के बजट में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में 48 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करना सबसे महत्वपूर्ण है। श्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि यह पशुधन और दूध उत्पादक किसानों के विकास को लेकर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह परिकल्पना की गई है कि डेयरी और पशुधन क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन में वृद्धि से भारत के दूध उत्पादक किसानों को लाभ होगा।

श्री रुपाला ने कहा कि सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करना वास्तव में एक महत्वपूर्ण घोषणा है, जो सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच एक समान अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि चूंकि हमारी अधिकांश दूध उत्पादक बिरादरी सहकारी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए अधिभार और वैकल्पिक न्यूनतम कर में कमी की घोषणा से देश भर में डेयरी किसानों की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह, 1 करोड़ से अधिक और 10 करोड़ तक की कुल आय वाली सहकारी समितियों पर अधिभार को 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत करने से देश के भीतर हजारों डेयरी सहकारी समितियों को लाभ होगा और दूध उत्पादक किसानों की आय बढ़ेगी।

डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल भुगतान और फिनटेक नवाचारों को प्रोत्साहित करने सेदूध की खरीद और पशुधन किसानों द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सेवाओं के लिए भुगतान को सुव्यवस्थित करके अधिक पारदर्शिता के माध्यम से पशुधन क्षेत्र में एक व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

यह भी पढ़ें :   केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने मेघालय में केंद्रीय हिंदी संस्थान के नव-निर्मित भवन का उद्घाटन किया

श्री रुपाला ने कहा कि पूरे देश में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहन की घोषणा पशुओं के चारे और चारे की गुणवत्ता बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएगी। इससे हमारे मवेशियों और पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि होगी।

उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत पशुधन किसान ग्रामीण भारत में केंद्रित हैं, ऐसे में “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम”के तहत बुनियादी ढांचे का विकास इन पशुधन किसानों के लिए बाजार तक पहुंच कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

केंद्रीय बजट 2022-23 में, पिछले वर्ष की तुलना में पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण के लिए आवंटन में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि होने से ‘वन हेल्थ मिशन’ के कार्यान्वयन के माध्यम से स्वस्थ पशुधन और स्वस्थ भारत सुनिश्चित होगा।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के लिए 2022-23 के बजट में 20 प्रतिशतवृद्धि होने से स्वदेशी गोजातीय आबादी की उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन में मदद मिलेगी, जिससे 8 करोड़ दूध उत्पादक किसान लाभान्वित होंगे।

इसी तरह, पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल पूर्वोत्तर के सभी 8 राज्यों में मत्स्य पालन, पोल्ट्री प्रसंस्करण, पशु चारा और डेयरी सहित कई क्षेत्रों के लिए बुनियादी ढांचे के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

नाबार्ड के माध्यम से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्टार्ट-अप का समर्थन करने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की परियोजनाओं और निवेश, कृषि, डेयरी, पशुपालनतथा मत्स्य उत्पादन और विपणन प्रणालियों में नई तकनीक के माध्यम से उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा तथा आय में वृद्धि होने से ग्रामीण समृद्धिका मार्ग प्रशस्त होगा। श्री रुपाला ने कहा कि किसान ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से बेहतर गोधन प्रबंधन और कृषि सुरक्षा के लिए ड्रोन तकनीक के उपयोग का मार्ग प्रशस्त होगा।

मत्स्य पालन विभाग से संबंधित घोषणा के संबंध में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मत्स्य पालन विभाग के वर्ष 2021-22 के कुल बजट में 1220 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में 73 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 1220 करोड़ रुपए के बजटीय अनुमान की तुलना में, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विभाग का कुल बजटीय आवंटन 2118.47 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएसवाई) के लिए आवंटन को 2021-22 के 1000 करोड़ (बजटीय अनुमान) से 88 प्रतिशत बढ़ाकर वर्ष 2022-23 के लिए 1879 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए झींगा मछली पालन पर शुल्क में कटौती की घोषणा का स्वागत किया।

यह भी पढ़ें :   भारत और मॉरीशस के बीच एसएमई सहयोग पर संयुक्त समिति की तीसरी बैठक आयोजित की गई

पीएमएमएसवाई के लिए 1879 करोड़ रुपये के बढ़े हुए आवंटन के बल पर विभाग ने समुद्री शैवाल बीज बैंक स्थापित करने और उपयुक्त डिमांड एग्रीगेटर्स के माध्यम से समुद्री शैवाल के विपणन की सुविधा प्रदान करने तथा समुद्री शैवाल की खेती में तेजी लाने के लिए समुद्री शैवाल के कुशल विपणन को सुनिश्चित करने और मछुआरों के लिए अतिरिक्त आजीविका के अवसर खोलने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने की परिकल्पना की है। विभाग झींगा उत्पादक किसानों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मछलीकी प्रजातियों जैसे पेनियस इंडिकस और पेनियस मोनोडोन के लिए ब्रूड बैंकों के नेटवर्क की स्थापना भी करेगा। बजट घोषणा के अनुरूप, विभाग मछुआरों और मछली उत्पादकों को डिजिटल तथा हाई-टेक सेवाएं प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त संस्थागत तंत्र स्थापित करेगा।

विभाग मछली पकड़ने के लिए बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों के आधुनिकीकरण के अपने प्रयासों को भी तेज करेगा ताकि मछुआरों के लिए उच्च मूल्य सुनिश्चित किया जा सके, जो सभी बाधाओं का सामना करते हुए समुद्र में मछली पकड़ने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मत्स्य विभाग मछुआरों को एक्वा स्पोर्ट्स और फिशटूरिज्म में शामिल करके उनके लिए वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा। विज्ञान आधारित जलकृषि को बढ़ावा देने के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र पर भी विचार किया जाएगा।

श्री रुपाला ने कहा कि उन्होंने विभाग को स्वच्छता में सुधार और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आधुनिक मछली बाजारों के विकास की संभावनाओं का पता लगाने का निर्देश दिया है। सिरसी योजना के रूप में इस साल आधुनिकीकरण के लिए 50 नए मछली बाजारों को लिया जाएगा। मछुआरों का बीमा, बचत-सह-राहत और बढ़े हुए कवरेज के साथ पोत बीमा का कार्यान्वयन जैसी कल्याणकारी गतिविधियां मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल रहेंगी।

पशुपालन विभाग की हर योजना में बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:

योजना

2021-22

2022-23

प्रतिशत वृद्धि

आरजीएम

502.04 करोड़

604.75 करोड़

20.46 प्रतिशत

एनएलएम

288 करोड़

410 करोड़

20.83 प्रतिशत

एनपीडीडी

255 करोड़

310 करोड़

21.57 प्रतिशत

एलएच एंड डीसी

886 करोड़

2000 करोड़

59.82 प्रतिशत

आधारभूत संरचना विकास

262 करोड़

315 करोड़

12.21 प्रतिशत

केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं

1148 करोड़

2315 करोड़

48.95 प्रतिशत

केंद्र प्रायोजित योजनाएं

1177.04 करोड़

1394.76 करोड़

15.95 प्रतिशत

कुल बजट

3053.75 करोड़

4288.84 करोड़

40.45 प्रतिशत

एमजी/ एएम/ एसकेएस/वाईबी