कर्नाटक के हिजाब विवाद में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद के हालातों पर विचार किया जाए।

कर्नाटक के हिजाब विवाद में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद के हालातों पर विचार किया जाए।

क्या राजस्थान की कॉन्वेंट स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की छूट दिलाएंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत?

स्थानीय मामले को राष्ट्रीय समस्या न बनाएं-सुप्रीम कोर्ट।

कर्नाटक के एक शहर के कॉलेज से हिजाब पहनने का जो विवाद शुरू हुआ, वह अब पूरे कर्नाटक में फैलने के बाद देश के कई राज्यों में विवाद का कारण बन गया है। यह विवाद अब थमने वाला नहीं है, क्योंकि इसके पीछे सोची समझी रणनीति है। इस विवाद के मद्देनजर देशवासियों को गत वर्ष उन दिनों को याद करना चाहिए, जब पड़ोसी देश अफगानिस्तान पर तालिबान के लड़ाकों ने कब्जा किया था। केंद्र सरकार ने किस तरह भारतीय नागरिकों खास कर मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षित बाहर निकाला यह सभी ने देखा था। विभिन्न एयरपोर्ट पर मुस्लिम महिलाओं ने न्यूज चैनलों के कैमरों के सामने कहा कि अफगानिस्तान में प्रगतिशील महिलाओं का रहना दूभर हो गया है। उन्हीं दिनों में अफगानिस्तान के एक स्कूल की फोटो भी प्रकाशित हुई। कक्षा में छात्राएं हिजाब तो पहने ही थीं, साथ ही एक पर्दा भी लगा हुआ था जो छात्र और छात्राओं को अलग अलग करता था। तब यह फोटो देशभर के अखबारों में भी छपा। तब यह कहा गया कि ऐसी कट्टरता भारत में नहीं हो सकती। भारत में तो मुस्लिम छात्राएं स्कूल कॉलेजों में ड्रेस कोड को मानती है। ऐसी बहुत सी छात्राएं होंगी जो अपने घर से कॉलेज तक हिजाब पहनकर आती हैं, लेकिन कॉलेज में प्रवेश से पहले हिजाब को उतार दिया जाता है। लेकिन अब कर्नाटक की अनेक मुस्लिम छात्राएं चाहती हैं कि क्लास रूम में भी हिजाब पहनकर बैठे। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली मुस्लिम छात्राएं भी हिजाब पहनने के विरोध में नहीं है। हिजाब के इस विवाद में अब मुस्लिम धर्म के जानकार माने जाने वाले मौलाना और मौलवी भी कूद पड़े हैं। धर्म के जानकारों के आ जाने से अब सभी मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने का समर्थन करना ही पड़ेगा। अदालतें कुछ भी फैसला दें, लेकिन धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश में वो ही होगा जो मुस्लिम धर्म के विद्वान चाहेंगे। कोई भी व्यक्ति अपने धर्म के अनुरूप रह सकता है, यह हमारे संविधान में लिखा है, इसलिए हिजाब पहनने को मुस्लिम छात्राएं अपने संवैधानिक अधिकारों से भी जोड़ रही है। स्कूल कॉलेज में प्रवेश लेते समय भले ही मुस्लिम छात्राओं ने संबंधित संस्था के नियम कायदे मानने की बात लिखित में स्वीकार की हो, लेकिन हिजाब पहन कर क्लास रूम में बैठना छात्राओं का संवैधानिक अधिकार है, क्योंकि हिजाब उनकी धार्मिक पोशाक है।

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क्या राजस्थान में मिलेगी छूट ?:
कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के कॉलेज में हिजाब पहनने के प्रकरण में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है कि छात्राओं को अपने धर्म के अनुरूप पोशाक पहनने की छूट होनी चाहिए। सब जानते हैं कि मौजूदा समय में कर्नाटक में भाजपा की सरकार है, इसलिए प्रियंका गांधी का बयान भी मौलानाओं और मौलवियों की मदद करेगा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस शासित राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कॉन्वेंट स्कूल कालेजों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की छूट दिलाएंगे? क्या अजमेर के सोफिया कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में प्रवेश दिया जाएगा? क्या जयपुर के महारानी कॉलेज में भी छात्राएं हिजाब पहन कर आ सकेगी? कर्नाटक के हिजाब विवाद में प्रियंका गांधी फिलहाल कुछ भी राजनीति करें, लेकिन यदि कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की छूट मिलती है तो फिर कांग्रेस शासित राजस्थान भी अछूता नहीं रहेगा। मुस्लिम छात्राएं चाहें कनार्टक की हो या राजस्थान की। सभी की धार्मिक आस्थाएं एक समान है। मौलाना मौलवी धर्म की जो शिक्षा कर्नाटक में देते हैं, वहीं शिक्षा राजस्थान में भी दी जाती है। ऐसा नहीं हो सकता कि कर्नाटक में मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहने और राजस्थान में नहीं। प्रियंका गांधी ने तो अपनी सोच स्पष्ट कर दी है, अब राजस्थान का मुख्यमंत्री होने के नाते अशोक गहलोत को भी अपनी राय सार्वजनिक करनी चाहिए। कर्नाटक के कॉलेजों में मुस्लिम छात्राएं भले ही हिजाब पहन कर आने की मांग कर रही हों, लेकिन राजस्थान में हजारों मुस्लिम छात्राएं शर्ट और स्कर्ट पहन कर ही कान्वेंट एवं अन्य प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने जाती हैं। राजस्थान में अभी तक मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग नहीं की है और न ही किसी मौलाना मौलवी ने हिजाब की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कोई ज्ञापन दिया है।

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राष्ट्रीय समस्या न बनाएं:
कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई। अनेक याचिकाकर्ता चाहते थे कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को जो अंतरिम निर्णय दिया है उस पर रोक लगे और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की इस बात को मानने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि एक स्थानीय मामले को राष्ट्रीय समस्या न बनाया जाए। इस विवाद को राजनीति और धर्म से अलग रखा जाए। हमें सबके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करनी है। कोर्ट ने कहा कि जब इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है तब दखल देना उचित नहीं है। पहले हाईकोर्ट का फैसला आ जाने दीजिए। मालूम हो कि कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी की तीन सदस्यी पीठ ने 10 फरवरी को ही अंतरिम निर्णय दिया है कि फिलहाल धार्मिक पोशाकों को पहनने पर जोर देना नहीं चाहिए। यानी शैक्षणिक संस्थानों की जो व्यवस्था है उसे फिलहाल लागू रखा जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले में 14 फरवरी को दोबारा से सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट में मुस्लिम छात्राओं की ओर से याचिका दायर कर क्लास रूम में हिजाब पहनने की छूट देने की मांग की गई है।