भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने खनिज संपदा के संवर्धन पर अपना ध्यान केंद्रित करने का संकल्प लिया

भारत के प्रमुख भूवैज्ञानिक संगठन-भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने सभी कार्यालयों में अपने 172वें स्थापना दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया। बीते कल यानी शुक्रवार को संगठन के कोलकाता स्थित केंद्रीय मुख्यालय में मुख्य समारोह आयोजित किया गया था।जीएसआई के महानिदेशक श्री राजेंद्र सिंह गरखलने इस समारोह का उद्घाटन किया।

श्री आर.एस. गरखल ने पिछले 172 वर्षों के दौरान जीएसआई की प्रगति को रेखांकित किया और संगठन के पांच मिशनों के तहत शुरू की गई विभिन्न पहलों के जरिए इसे बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया।उन्होंने इसका उल्लेख किया कि जीएसआई ने खनिज ब्लॉकों की पहचान करने और राष्ट्र के विशाल खनिज संसाधनों को संवर्द्धित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री गरखल ने रेखांकित किया कि हाल ही में जीएसआई ने 150 से अधिक जी2 और जी3 खनिज ब्लॉकों के साथ-साथ 152 जी4 खनिज ब्लॉक विभिन्न राज्य सरकारों को नीलामी के लिए सौंपे हैं।उन्होंने युवा अधिकारियों से देश को खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अथक परिश्रम करने और अन्वेषण व अन्य भू-वैज्ञानिक कार्यों को करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करने का आह्वान किया। श्री गरखल ने छात्रों के साथ बातचीत की और उन्हें जीएसआई की गतिविधियों व संगठन की स्थापना से लेकर अब तक की उपलब्धियों के बारे में बताया।

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इस अवसर पर एडीजी व एचओडी श्री एम.एम. पोवारने जीएसआई की नई पहलों, विशेष रूप से प्रशासन से संबंधित कदमोंको रेखांकित किया। वहीं, एडीजी और एनएमएच-III व IV डॉ. एस. राजूने कहा कि जीएसआई एक संगठन के रूप में समय बीतने के साथ विकसित हुआ है और विश्व में एक प्रमुख भू-वैज्ञानिक संगठन बन गया है।

इस अवसर पर जीएसआई के विभिन्न मिशनों के तहत कार्यान्वित गतिविधियों पर कॉफी टेबल बुक और ऑडियो-विजुअल्स का विमोचन किया गया। इसके अलावा कोलकाता और उसके उपनगरों के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों के लिए चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की स्थापना 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए की गई थी। अपनी स्थापना के बाद के वर्षों में जीएसआई न केवल देश के विभिन्न क्षेत्रों में जरूरी भू-विज्ञान की जानकारी के कोष के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी हासिल किया है।इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक जानकारी और खनिज संसाधन मूल्यांकन के निर्माण और अद्यतन से संबंधित है।इन उद्देश्यों को जमीनी सर्वेक्षण, हवाई व समुद्री सर्वेक्षण, खनिज पूर्वेक्षण व जांच, बहु-विषयक भूवैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण व प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, भूकंप विवर्तनिक (टेक्टोनिक) अध्ययन और मौलिक अनुसंधान के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

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जीएसआई की प्रमुख भूमिका में नीति निर्धारण निर्णयों, वाणिज्यिक और सामाजिक-आर्थिक जरूरतों पर ध्यान देने के साथ उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष व अद्यतन भूवैज्ञानिक विशेषज्ञता और सभी प्रकार की भू-वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना शामिल है।जीएसआई, भारत और इसके अपतटीय क्षेत्रों की सतह व उपसतह से प्राप्त सभी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण पर भी जोर देता है। यह संगठन भू-भौतिकीय, भू-रासायनिक और भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षणों सहित नवीनतम व सबसे अधिक लागत प्रभावी तकनीकों और कार्यप्रणाली का उपयोग करके इस काम को पूरा करता है।

सर्वेक्षण और मानचित्रण में जीएसआई की मुख्य क्षमता में लगातार बढ़ोतरी संचयन,प्रबंधन, समन्वय और स्थानिक डेटाबेस (रिमोट सेंसिंग के जरिए प्राप्त डेटा भी शामिल) की उपयोगिता के जरिए हुई है। इस उद्देश्य के लिए जीसीआई भू-सूचना विज्ञान के क्षेत्र में अन्य हितधारकों के साथ सहयोग और सहभागिता के जरिए एक ‘कोष’ या ‘समाशोधन गृह’ के रूप में कार्य करता है और भू-वैज्ञानिक जानकारी व स्थानिक डेटा के प्रसार के लिए नवीनतम कंप्यूटर-आधारित तकनीकों का उपयोग करता है।

खान मंत्रालय के एक संलग्न कार्यालय के साथजीएसआई के छह क्षेत्रीय कार्यालय- लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग और कोलकाता में स्थित हैं। इसके अलावा देश के लगभग सभी राज्यों में इसके इकाई कार्यालय हैं।

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