दिल्ली-एलएसए ने मोबाइल टावरों से ईएमएफ विकिरण उत्सर्जन का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने के लिए वेबिनार का आयोजन किया

दिल्ली स्थित दूरसंचार विभाग (डीओटी) के लाइसेंस सेवा क्षेत्र (एलएसए) ने कल “ईएमएफ उत्सर्जन और टेलिकॉम टावर्स” विषयवस्तु पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए वेबिनार का आयोजन किया। यह कार्यक्रम दूरसंचार विभाग के जनहित कार्यक्रम के तहत आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को विश्वसनीय दूरसंचार बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए मोबाइल  टावरों की बढ़ती आवश्यकता के बारे में जागरूक करना और मोबाइल टावरों से ईएमएफ (विद्युत चुबंकीय क्षेत्र) विकिरण उत्सर्जन का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में प्रचलित गलत धारणाओं को दूर करना था।

इस वेबिनार को नई दिल्ली स्थित दूरसंचार विभाग (डीओटी) के सलाहकार श्री निजामुल हक और डीओटी के दिल्ली एलएसए के डीडीजी श्री अरुण कुमार ने संबोधित किया। वहीं, ईएमएफ के विभिन्न पहलुओं और विभाग के उठाए गए कदमों पर दिल्ली एलएलए के निदेशक श्री विजय प्रकाश और एडीजी श्री कमल देव त्रिपाठी ने प्रस्तुति दी। इसके अलावा नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक चिकित्सा विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर (न्यूरोसर्जरी) डॉ. विवेक टंडन ने मोबाइल टावरों से ईएमएफ विकिरणों के हानिकारक प्रभाव के बारे में विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नों और मिथकों के बारे में जानकारी दी।

दिल्ली एलएसए के सलाहकार श्री निजामुल हक ने एक राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में दूरसंचार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के तेजी से विकास और आधुनिकीकरण के लिए मुख्य बुनियादी ढांचा बन गया है। ग्राहकों को सबसे बेहतर गुणवत्ता वाली दूरसंचार सेवा प्रदान करने के लिए टावर अवसंरचना सहित मोबाइल नेटवर्क का विस्तार जरूरी है।”

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वहीं, दिल्ली एलएसए के डीडीजी श्री अरुण कुमार और निदेशक श्री विजय प्रकाश का कहना है कि एक मोबाइल टावर से ईएमएफ विकिरण उत्सर्जन, जो गैर-आयनकारी विकिरण संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय आयोग (आईसीएनआईआरपी) की ओर से निर्धारित सुरक्षित सीमा से नीचे है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अनुशंसित है, के बारे में स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसके अलावा मोबाइल टावर से विकिरण के मुद्दों पर भारत के उच्च न्यायालयों ने अपने अलग-अलग निर्णयों में कहा है कि मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण किसी भी तरह से नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या खतरनाक है, यह दिखाने के लिए कोई निर्णायक आंकड़े नहीं हैं।

वहीं, दिल्ली स्थित एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक टंडन ने मोबाइल टावरों और हैंडसेट से ईएमएफ विकिरणों के कारण स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में कई मिथकों के बारे में स्थिति साफ की। उन्होंने कहा कि ईएमएफ विकिरणों के स्वास्थ्य खतरों के बारे में वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए हमें उपलब्ध कराई गई तथ्यात्मक जानकारी पर आबादी के एक तबके की बीच फैली गलत धारणा हावी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा डॉ. टंडन ने स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को सरल तरीके से समझाया और विभिन्न अध्ययनों व वास्तविक जीवन की स्थिति में इसके प्रभाव के बारे में जानकारी दी।

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दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने अपनी क्षेत्रीय इकाइयों के जरिए मोबाइल टावरों से निकलने वाले ईएमएफ विकिरण से सुरक्षा के लिए पहले ही जरूरी कदम उठाए हैं और सख्त मानदंड अपनाए हैं। विभाग ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुरूप आईसीएनआईआरपी की ओर से निर्धारित मानदंडों से 10 गुना सख्त विकिरण मानदंडों को लागू किया है। मोबाइल टावर विकिरण की सभी जानकारी दूरसंचार विभाग की वेबसाइट https://dot.gov.in/journey-emf पर उपलब्ध है।

अब तक दिल्ली एलएसए में 46,000 मोबाइल बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस) का परीक्षण किया गया है और सभी स्थलों को विभाग के मानदंडों के अनुसार ईएमएफ के अनुरूप पाया गया है।

टावर ईएमएफ उत्सर्जन की जानकारी के लिए http://tarangsanchar.gov.in/EMFportal को देखें।

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