आईआईई ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम (एसवीईपी) के प्रभाव को बढ़ाने के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना के अनुरूप कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) ने ग्रामीण युवाओं में स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

समझौते के तहत, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की उप-योजना स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) बेरोजगार ग्रामीणों के लिये स्व-रोजगार के अवसर विकसित कर रही है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में रोजगार अवसरों को बढ़ावा देना है।

ग्राम उद्यमिता प्रोत्साहन के लिये एक सतत मॉडल विकसित करके, कार्यक्रम का लक्ष्य है निर्धन ग्रामीणों (स्वसहायता इको-सिस्टम से सम्बद्ध) को उनका अपना व्यापार शुरू करने के लिये सक्षम बनाना। इस कार्य को एकीकृत आईसीटी तकनीकों तथा प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, व्यापार परामर्श सेवा तथा बेंकों, स्वसहायता समूहों और संघों से ऋण का प्रावधान जैसे उपायों से पूरा किया जायेगा।

आईआईई के निदेशक डॉ. ललित शर्मा और ग्रामीण विकास मंत्रालय के निदेशक श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। हस्ताक्षर करने के समय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री राजेश अग्रवाल, मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री अनुराधा वेमुरी और ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री चरणजीत सिंह उपस्थित थे।

आईआईई, गुवाहाटी, असम एसवीईपी के लिये राष्ट्रीय संसाधन संगठन (एनआरओ) के रूप में काम करेगा तथा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) को समर्थन प्रदान करेगा, ताकि योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा सके। एनआरओ से आशा की जाती है कि वह एसवीईपी के कार्यान्वयन में दोहरी भूमिका निभायेगा, यानी कार्यान्वयन की भूमिका, जिसमें राज्य के कार्यान्वयन साझीदार के तौर पर ब्लॉक स्तर पर सीधे एसवीईपी का कार्यान्वयन शामिल है। दूसरी भूमिका के तहत कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की भूमिका है, जिसमें आईआईई योजना को बढ़ावा देने के लिये जिम्मेदार होगा। यह योजना ब्लॉक के अनुभव पर आधारित होगी, जिसमें एसवीईपी तथा उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के साथ उनके पहले के अनुभवों को रखा जायेगा।

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति महामहिम इमैनुएल मैक्रों के बीच टेलीफोन पर बातचीत

एसवीईपी का मुख्य लक्ष्य है ग्रामीण स्तर के समुदाय संसाधन व्यक्ति-उद्यमिता प्रोत्साहन (सीआरपी-ईपी) के काडरों को प्रशिक्षण देना तथा एनआरएल और एसएचजी संघों को सीआपी-ईपी के कामों की सीधी निगरानी करने के लिये सक्षम बनाना। कार्यक्रम से ग्रामीण उद्यमियों को एनआरएल, एसएचजी, संघों, मुद्रा सहित बैंकिंग प्रणालियों से अपने उद्यम के लिये सहायता मिलेगी।

समझौता-ज्ञापन पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कौशल विकास और उद्यमिता सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा, “एसवीईपी को आईआईई बड़े पैमाने पर कार्यान्वित कर रहा है, ताकि ग्रामीण युवाओं को जरूरी कुशलता से लैस करके उनका सशक्तिकरण हो तथा स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को प्रोत्साहन मिले। आईआईई के अनुभव से प्रणाली का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा तथा एसआरएलएम को एसवीईपी शुरू करने में समर्थन मिलेगा। हमें विश्वास है कि इससे ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर और बढ़ेंगे, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप होगा, क्योंकि स्टार्ट-अप हमारे सपनों के नये भारत की रीढ़ होंगे।”

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को प्राप्त करने में मदद करेंगे दीर्घकालीन व दूरदर्शी सोच रखने वाले अधिकारी: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

समझौता हो जाने के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सूचित करेगा कि एसवीईपी के तहत आईआईई को एनआरओ के तौर संस्थापित किया गया है, ताकि विकास को तेजी दी जा सके। इसके अलावा आईआईई, एसवीईपी के राष्ट्रीय संसाधन संगठन के तौर पर एसआलएलएम के साथ मिलकर काम करेगा। कार्यान्वयन के लिये एसवीईपी के आबंटन की जिम्मेदारी आईआईई और सम्बंधित एसआरएलएम की होगी। साथ ही, ग्रामीण विकास मंत्रालय चूंकि कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिये एनआरओ को एसवीईपी ब्लॉकों के आबंटन में संलग्न नहीं रहेगा, इसलिये एसवीईपी कार्यान्वयन के लिये एनआरओ तथा एसआरएलएम के बीच एक अलग समझौता होना चाहिये।

आईआईई, गुवाहाटी, असम की स्थापना 1993 में हुई थी, जो कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी संगठन है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य है उद्यमिता विकास पर विशेष जोर देते हुये लघु और सूक्ष्म उद्यमों को प्रशिक्षण देना, अनुसंधान और परामर्श सेवायें प्रदान करना।

*******

एमजी/एएम/एकेपी