भारत के सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम की वृद्धि में तेज़ी लाने के प्रमुख भाग के रूप में, सेमीकॉन इंडिया 2022 में डिजाइन और सह-विकास समझौतों की घोषणा की गई

भारत को एक संपन्न सेमीकंडक्टर केंद्र में बदलने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को साकार करने के लिए, सेमीकॉन इंडिया 2022 के तीसरे और अंतिम दिन कई समझौतों / अनुबंधों की घोषणा की गई है। सेमीकॉन इंडिया 2022, 3 दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 29 अप्रैल, 2022 को किया गया।

सेमीकॉन इंडिया के बारे में बोलते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान स्टार्टअप, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग, साझेदारी के मामले में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि भारत की महत्वाकांक्षाएं एकदम स्पष्ट हैं। यह सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अवसरों की भूमि है और यही भविष्य है कि हम भारत के टेकेड के लिए सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं।

मंत्री महोदय ने उल्लेख किया कि हमारी सेमीकॉन नीति के लाभार्थी वर्तमान और भविष्य के स्टार्टअप्स और भारत की प्रतिभाशाली मानव पूंजी होंगे। हम अवसरों का लाभ उठाने के लिए उन्हें सक्षम और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “अतीत में, दुनिया ने इंटेल इनसाइड को सुना, भविष्य में दुनिया को डिजिटल इंडिया इनसाइड सुनाई देना चाहिए।”

सेमीकॉन इंडिया 2022 सम्मेलन के दौरान आज निम्नलिखित समझौता ज्ञापनों की घोषणा की गई:

भारत में मुख्यालय वाली एक प्रमुख वैश्विक ई-आरएंडडी और प्रौद्योगिकी समाधान कंपनी साइएंट ने भारत में निर्मित तथा डिजाइन की गई कोआला-एनबी आईओटी-एसओसी (नैरोबैंड-आईओटी सिस्टम-ऑन-चिप) के बड़े पैमाने पर उत्पादन को सक्षम करने के लिए आईआईटी हैदराबाद में एक स्टार्ट-अप वाईसिग नेटवर्क के साथ भागीदारी की है। कोआला-एनबी आईओटी-एसओसी के बड़े पैमाने पर उत्पादन में पैकेज का विकास, बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त जांच समाधान, सिलिकॉन फैब्रिकेशन, आईएसी की बड़े पैमाने पर जांच और चिप का आपूर्ति प्रबंधन शामिल है। 5 जी एनबी-आईओटी एक तेजी से बढ़ने वाली तकनीक है जो कम बिट दर वाले आईओटी अनुप्रयोगों को सक्षम बनाती है और डिवाइस की बैटरी लाइफ को 10 साल तक बढ़ाती है। इस चिप का उपयोग स्मार्ट मीटर, एसेट ट्रैकिंग, डिजिटल हेल्थकेयर और कई अन्य अनुप्रयोगों में किया जाएगा।

ये बहु-मानक चिपसेट कम लागत वाली इनडोर छोटी कोशिकाओं से लेकर उच्च प्रदर्शन बेस स्टेशनों तक कई प्रकार के फॉर्म फैक्टर के लिए बेस स्टेशन चिपसेट के रूप में काम कर सकती हैं। इन्‍हें कम लागत और कम बिजली प्रणालियों के लिए उपयुक्त होने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये पहले से ही कई नेटवर्क सुविधाओं को सक्षम करने के लिए, एनएवीआईसी सहित उपग्रह नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करके स्थिति का समर्थन करते हैं। सिग्नलचिप ने इन चिपसेट में लगभग सभी आईपी को स्वदेशी रूप से निवेश और विकसित किया है। इन चिपसेट के लिए बनाए गए आईपी का लाभ उठाने से सिग्नलचिप को विशेष रूप से नेविगेशन सिस्टम के लिए अनुकूलित चिपसेट बनाने में मदद मिलती है। विकसित किया जाने वाला एनएवीआईसी चिपसेट मोबाइल फोन, बिल्ट-इन नेविगेशन वाले वाहन (जैसे इलेक्ट्रिक वाहन) और ट्रैकिंग डिवाइस जैसी नेविगेशन क्षमताओं की आवश्यकता वाले किसी भी उपकरण में उपयोग किया जा सकता है। इनका उपयोग एनबी-आईओटी जैसी अन्य तकनीकों के संयोजन में कम शक्ति वाले आईओटी उपकरणों में भी किया जा सकता है।

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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के चिप्स टू स्टार्टअप (सी2एस) का लक्ष्य देश भर में 100 से अधिक संस्थानों में वीएलएसआई और एंबेडेड सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र में भारतीय सेमीकंडक्टर प्रतिभा का विस्तार करने के लिए बी.टेक, एम.टेक, पीएचडी स्तर पर 85,000 विशेष अभियंताओं का दल तैयार करना है। सी2एस कार्यक्रम के अंतर्गत, सिनोप्सिस, सीमेंस-ईडीए, केडेंस डिजाइन सिस्टम और सिल्वाको से प्रमुख ईडीए टूल्स और डिज़ाइन सॉल्यूशन तक पहुंच छात्रों और शोधकर्ताओं को उद्योग ग्रेड सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन प्रवाह और कार्यप्रणाली का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं जिससे सेमीकंडक्टर डिजाइन उद्योग के लिए विशेष जनशक्ति पैदा होती है।

एसआरसी एक विश्व-प्रसिद्ध, उच्च प्रौद्योगिकी-आधारित संघ है जो प्रौद्योगिकी कंपनियों, शिक्षाविदों, सरकारी एजेंसियों और एसआरसी के उच्च सम्मानित इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को सक्षम बनाता है। आईआईटी बंबई राष्ट्रीय महत्व का एक प्रमुख संस्थान है जो प्रौद्योगिकी, सर्किट और सिस्टम में शिक्षा और नवाचार क्षेत्र में प्रमुख बल देता है। एसआरसी और आईआईटी बंबई के बीच हस्ताक्षरित एमओयू एसआरसी के उद्योग विशेषज्ञों और भारत की अनुसंधान तथा विकास प्रतिभाओं को एक साथ लाने पर केंद्रित है ताकि एक आकर्षक उद्योग संचालित विश्व स्तरीय अनुसंधान और विकास कार्यक्रम तैयार किया जा सके। इस कार्यक्रम के माध्यम से, एसआरसी भारतीय शिक्षाविदों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सह-वित्त पोषित होगा। सेमीकंडक्टर्स में इस तरह के उद्योग-संचालित अनुसंधान और विकास समय की आवश्यकता है क्योंकि भारत सेमीकंडक्टर निर्माण ईकोसिस्टम के विकास और प्रौद्योगिकी नेतृत्व की यात्रा शुरू कर रहा है।

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प्रोफेसर राव संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्जिया टेक विश्वविद्यालय में एक प्रतिष्ठित और संपन्न चेयर प्रोफेसर तथा एमेरिटस निदेशक हैं। उन्हें एक औद्योगिक प्रौद्योगिकीविद्, प्रौद्योगिकी अग्रणी और शिक्षक के रूप में जाना जाता है।

· वर्ष 1993 में जॉर्जिया टेक में शामिल होने से पहले, वह आईबीएम फेलो और एडवांस्ड पैकेजिंग लैब (एपीटीएल) के निदेशक थे, उन्होंने उद्योग के पहले प्लाज्मा डिस्प्ले जैसी प्रमुख तकनीकों का नेतृत्व किया।

· वह उद्योग द्वारा सिस्टम-ऑन-पैकेज (एसओपी) अवधारणा बनाम सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) के जनक हैं।

· एक शिक्षक के रूप में, प्रो. तुम्मला ने एनएसएफ़ द्वारा वित्त पोषित सबसे बड़े और सबसे व्यापक शैक्षणिक केंद्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो जॉर्जिया टेक में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पैकेजिंग में पहला और एकमात्र एनएसएफ़ इंजीनियरिंग अनुसंधान केंद्र है।

·  उन्होंने कई किताबें लिखी हैं और अनगिनत पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त किए हैं।

· वे भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर और इलिनोइस विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र और जॉर्जिया टेक के विशिष्ट संकाय सदस्य भी रहे हैं।

· वह कई फॉर्च्यून 500 सेमीकंडक्टर और सिस्टम कंपनियों के परामर्शदाता और सलाहकार रहे हैं।

आईईईई और सी-डैक के बीच समझौते का उपयोग सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों, साइबर सुरक्षा; मानकीकरण गतिविधियाँ; जनसम्पर्क और कौशल विकास के क्षेत्र में विशिष्ट मिश्रित शिक्षण कार्यक्रम बनाने के लिए किया जाएगा। सी-डैक के पास सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों, आईओटी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में कौशल, जनसम्पर्क और प्रौद्योगिकी विकास पर केंद्रित विशिष्ट गतिविधियाँ हैं। यह देश में सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन ईकोसिस्टम को मजबूत करेगा और स्टार्ट-अप और एमएसएमई के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन बुनियादी ढांचे तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा।

यह सेमीकंडक्टर केन्द्रों तक बिना पहुंच वाले ग्रामीण उद्योगों को अनुसंधान और नवाचार क्षमता प्रदान करेगा। इसके अलावा, विभिन्न सेमीकंडक्टर और संबद्ध क्षेत्रों में कौशल विकास की पहल की जाएगी, जिससे उपयुक्त जनशक्ति की उपलब्धता के लिए उत्कृष्टता के समूह तैयार किए जा सकें।

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