कन्हेरी गुफाओं में जन-सुविधाओं का उद्घाटन

केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं का उद्घाटन किया। श्री जी. किशन रेड्डी 15 मई – 16 मई, 2022 के बीच 2 दिवसीय यात्रा पर मुंबई में थे और इस दौरान उन्होंने कन्हेरी गुफाओं में कई सार्वजनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया।

On the auspicious occasion of #BuddhaPurnima2022 divas, inaugurated public amenities at Kanheri, Borivali, #Mumbai.These facilities, part of the @ASIGoI-NCF -IOF project, will improve the tourism and contribute to the protection, preservation and promotion of national heritage. pic.twitter.com/WVkRh2LkXD

During my address spoke about the architectural and engineering marvel of heritage sites like Kanheri caves, the Ajanta Ellora caves which signify the knowledge about art, engineering, management construction, patience and perseverance that people had back then. pic.twitter.com/6nclmxEGf9

Also emphasised the role of Public-private partnership, corporates, NGOs and civil Society in protecting, preserving and propagating our heritage so that future generations can access these treasures pic.twitter.com/fzZehLLSWp

Located in the Sanjay Gandhi National Park in Borivali, the Kanheri Caves became a distinctive Buddhist institution for congregational worship, study & meditation. pic.twitter.com/9NQOmp0SUv

कन्हेरी गुफाओं में पाषाण युग के दौरान पत्थर काटकर बनाए गए 110 से अधिक विभिन्न गुफाएं शामिल हैं और यह देश में इस प्रकार की सबसे बड़ी खुदाई में से एक है। ये खुदाई मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान किए गए थे, लेकिन इसमें महायान शैलीगत वास्तुकला के कई उदाहरण और साथ ही वज्रयान आदेश के कुछ मुद्रण भी हैं। कन्हेरी नाम प्राकृत में ‘कान्हागिरी’ से लिया गया है और सातवाहन शासक वशिष्ठपुत्र पुलुमवी के नासिक शिलालेख में मिलता है।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, “कन्हेरी गुफाएं हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे विकास और हमारे अतीत का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इन कार्यों का शुभारंभ करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। बुद्ध का संदेश संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए आज भी प्रासंगिक है।”

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उन्होंने कहा, “अगर हम कन्हेरी गुफाओं या अजंता एलोरा गुफाओं जैसे विरासत स्थलों के वास्तुशिल्प और इंजीनियरिंग चमत्कार को देखें तो यह कला, इंजीनियरिंग, प्रबंधन निर्माण, धैर्य और दृढ़ता के बारे में ज्ञान का प्रतीक है जो लोगों के पास था। उस समय ऐसे कई स्मारकों को बनने में 100 साल से अधिक का समय लगा था। इतनी तकनीकी और इंजीनियरिंग विशेषज्ञता के साथ, 21वीं सदी में भी ऐसी गुफाओं और स्मारकों का निर्माण करना अब भी मुश्किल है।”

विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों में कन्हेरी का उल्लेख मिलता है। कन्हेरी का सबसे पहला संदर्भ फा- हियान का है, जिन्होंने 399-411 ईस्वी के दौरान भारत की यात्रा की थी और बाद में कई अन्य यात्रियों द्वारा भी इसका उल्लेख किया गया था। इसकी खुदाई का माप और विस्तार, इसके कई जलकुंड, अभिलेख, सबसे पुराने बांधों में से एक, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली, एक मठवासी और तीर्थ केंद्र के रूप में इसकी लोकप्रियता का संकेत देते हैं। कन्हेरी में मुख्य रूप से हीनयान चरण के दौरान की गई खुदाई शामिल है, लेकिन इसमें महायान शैलीगत वास्तुकला के कई उदाहरण हैं और साथ ही वज्रयान क्रम के कुछ मुद्रण भी हैं। इसका महत्व इस तथ्य से बढ़ जाता है कि यह एकमात्र केंद्र है जहां बौद्ध धर्म और वास्तुकला की निरंतर प्रगति को दूसरी शताब्दी सीई (गुफा संख्या 2 स्तूप) से 9वीं शताब्दी सीई तक एक अखंड विरासत के रूप में देखा जाता है। कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान के माध्यम से फला-फूला था।

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इंडियन ऑयल फाउंडेशन राष्ट्रीय संस्कृति कोष (एनसीएफ) के माध्यम से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद कन्हेरी गुफाओं में पर्यटक बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। परियोजना के तहत मौजूदा संरचनाओं के नवीनीकरण और उन्नयन के कार्य की अनुमति दी गई थी क्योंकि यह कार्य स्मारक के संरक्षण की सीमा में आता है। आगंतुक मंडप, कस्टोडियन क्वार्टर, बुकिंग कार्यालय जैसे मौजूदा भवनों का उन्नयन और नवीनीकरण किया गया। बुकिंग काउंटर से लेकर कस्टोडियन क्वार्टर तक के क्षेत्र को लैंडस्केपिंग और पौधे उपलब्ध कराकर अपग्रेड किया गया।

जंगल के मुख्य क्षेत्र में इन गुफाओं के होने के कारण, यहां बिजली और पानी की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है। हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सोलर सिस्टम और जेनरेटर सेट उपलब्ध कराकर बिजली की व्यवस्था की गई। बोरवेल का निर्माण किया गया, जिसके माध्यम से पानी उपलब्ध है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉर्पोरेट, गैर-सरकारी संगठन और नागरिक समाज हमारी विरासत की सुरक्षा, संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां इन खजाने तक पहुंच सकें। हम सभी को एक साथ मिलकर विशेषज्ञों और विद्वानों के साथ साझेदारीपूर्वक काम करना चाहिए, जिससे विरासत के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। इस देश के प्रत्येक नागरिक का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह हमारी समृद्ध विरासत की संरक्षा एवं सुरक्षा के लिए रुचि और जिम्मेदारी लें।”

कन्हेरी एक निर्दिष्ट राष्ट्रीय उद्यान के भीतर सबसे खूबसूरत परिदृश्यों में से एक के बीच स्थित है और इसकी सेटिंग इसकी योजना का एक अभिन्न अंग है, जिसमें सुंदर प्रांगणों और रॉक-कट बेंचों के साथ प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।

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