नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का कोई विकल्प नहीं है और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के प्रति ठोस प्रतिबद्धता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है

कल 12वीं ब्रिक्स व्यापार मंत्रियों की बैठक वर्चुअल तरीके से हुई। वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। श्रीमती पटेल ने ध्यान देने योग्य कुछ ज्वलंत और प्रासंगिक मुद्दों पर मुख्य तौर पर अपनी बात कही।

कोविड-19 महामारी के दौरान, वैश्विक आर्थिक विकास के लिए डिजिटलीकरण प्रमुख कारक के रूप में उभरा है। केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने यह माना कि डिजिटल अर्थव्यवस्था नवाचार को बढ़ावा देने, उद्यमशीलता के उपक्रमों को आगे बढ़ाने, नौकरियों के सृजन, सेवाओं में दक्षता लाने और महत्वपूर्ण रूप से उच्च कोटि के प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादों व समाधानों के लिए बाजार के रूप में काफी अहम है। उन्होंने कहा कि यह सच्चाई है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी के पास हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड तक पहुंच नहीं है और इसलिए वे वर्चुअल प्लेटफॉर्म, टेलीमेडिसिन, दूरस्थ शिक्षा और ई-भुगतान जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। इन सब बातों को स्वीकार करते हुए श्रीमती पटेल ने एक ऐसा वातावरण बनाकर समावेशी डिजिटल क्रांति करने पर जोर दिया जिसमें कोई पीछे न छूटे।

आपूर्ति श्रृंखलाओं के बारे में राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि लॉकडाउन, सीमित आर्थिक गतिविधियों और आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आया है जिसने हर जगह निर्माताओं को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का फिर से मूल्यांकन करने के लिए विवश किया है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में लचीलेपन का मुख्य लक्ष्य महामारी, प्राकृतिक आपदाओं या क्षेत्रीय संघर्षों के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की स्थिति में भी लोगों के जीवन और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करना है। इस संदर्भ में, श्रीमती पटेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दिए गए उस बयान पर विशेष जोर दिया कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन में सुधार के लिए पारदर्शी, विश्वसनीय स्रोत और समय सीमा महत्वपूर्ण है जो व्यापार के पुनरुद्धार के लिए अनिवार्य है।

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हालांकि हम जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत हैं और कार्बन उत्सर्जन में कमी व पर्यावरण के और क्षरण को रोकने के लिए हमने खुद ही जिम्मेदारी ली है, फिर भी हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इन्हें लागू करने के लिए किया गया कोई भी उपाय व्यापार को बाधित करने वाला, मनमाना और भेदभावपूर्ण नहीं होना चाहिए।

यह स्वीकार करते हुए कि वैश्विक विकास को फिर से बहाल करने के लिए व्यापार को साधन बनना चाहिए, श्रीमती पटेल ने कहा कि नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का कोई विकल्प नहीं है और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के प्रति ठोस प्रतिबद्धता ही एकमात्र रास्ता है। विश्व व्यापार संगठन के सुधारों को विश्व व्यापार संगठन के मूलभूत सिद्धांतों को मजबूत करना चाहिए जिसमें आम सहमति-आधारित निर्णय लेना, समावेशिता, न्यायसंगत, गैर-भेदभाव, विशेष व्यवहार शामिल हैं।

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एमसी12 को सफल बनाने के लिए, विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को एक-दूसरे के बीच विश्वास बनाने और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में भरोसा जाहिर करने की आवश्यकता है। खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के मामले पर फैसला मंत्रियों द्वारा तय किए गए जनादेश का सम्मान करने के लिए करना चाहिए। श्रीमती पटेल ने जोर देते हुए कहा कि जब हम मत्स्य पालन सब्सिडी वार्ता एमसी12 में निष्पक्ष, संतुलित और न्यायसंगत परिणाम की आशा करते हैं, तो ‘प्रदूषक द्वारा भुगतान’ और ‘सामान्य लेकिन विभिन्नता वाली जिम्मेदारी’ के सिद्धांत को लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यह अनिवार्य है कि एस एंड डीटी प्रावधान विकासशील देशों के लिए प्रासंगिक बने रहें। उन्होंने विश्व के नागरिकों को समय पर और सस्ती कीमत पर टीके, दवाएं, चिकित्सीय उपकरण आदि उपलब्ध कराने के लिए लचीलेपन को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

अपने संबोधन के अंत में, श्रीमती पटेल ने कहा कि एक मानव समाज के रूप में आज हम इतिहास में एक बहुत ही अद्वितीय स्थान पर काबिज हैं। उन्होंने कहा कि हमारे तात्कालिक क्रियाकलाप हमारी धरती माता पर जीवन की भावी दिशा तय करेंगे।

 

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