जन प्रतिनिधियों के दवाब में स्टेशन मास्टर और चार ट्रैकमैनों के ट्रांसफर, बनाया मूंछ का सवाल, स्टाफ में रोष

जन प्रतिनिधियों के दवाब में स्टेशन मास्टर और चार ट्रैकमैनों के ट्रांसफर, बनाया मूंछ का सवाल, स्टाफ में रोष
कोटा। न्यूज़. जन प्रतिनिधियों के दबाव के चलते घाट का बराना स्टेशन मास्टर और चार ट्रैकमेंटेनरों का स्थानांतरण का मामला सामने आया है। जनप्रतिनिधियों ने यह काम ग्राम वासियों (अपनी प्रजा) की शिकायत के बाद किया है। इससे साथी कर्मचारी और स्टाफ आक्रोशित है। स्टाफ के समर्थन में विभिन्न कर्मचारी संगठन की उतर आए हैं। इसके बाद जन प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को अपनी मूंछ का सवाल बना लिया है।
कर्मचारियों ने बताया कि पिछले महीने घाट का बराना, इंद्रगढ़ और लाखेरी रेलखंड में आई भारी बारिश का पानी रेलवे ट्रैक तक पहुंच गया था। पटरी के नीचे से बड़ी मात्रा में गिट्टी और मिट्टी भी गई थी। इसके चलते ट्रैक की भारी क्षति हुई थी। इस घटना के कारण कई घंटों तक रेल यातायात ठप रहा था। रेल प्रशासन ने बड़ी संख्या में कर्मचारियों को लगाकर ट्रैक की मरम्मत करवाई थी।
कर्मचारियों ने बताया कि इस दौरान पटरी की ओर तेजी से बहकर आ रहे पानी के बहाव को भी मोडा गया था। इससे पटरी बहने से बच गई लेकिन यह पानी घाट का बराना गांव तक पहुंच गया। बाद में गांव वासियों ने भी इस पानी को निकालने के लिए रेलवे की दीवार तोड़ दी थी।
आमने-सामने हुए दोनों पक्ष
कर्मचारियों ने बताया कि बाद में इस मामले को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए थे। इसके बाद ग्रामीणों ने लोहा चोरी का झूठा आरोपी लगाने, महिलाओं से अभद्रता करने तथा जबरन रास्ता बंद करने का आरोप लगाते हुए कुछ रेल कर्मचारियों के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया था। साथ ही मामले की शिकायत जन प्रतिनिधियों से भी कर दी थी। इसके बाद ग्रामीणों के समर्थन में उतरे जन प्रतिनिधियों ने दबाव की राजनीति करते हुए एक स्टेशन मास्टर और चार ट्रैक मेंटेनरों का स्थानांतरण देहीखेड़ा करवा दिया।
स्टाफ हुआ आक्रोशित
इस आदेश के बाद स्टाफ आक्रोशित हो गया। कुछ कर्मचारी संगठन भी स्टाफ के समर्थन में उतर आए। इसके बाद रेलवे ने स्थानांतरण आदेश वापस ले लिए। इस बात की खबर लगते ही जन प्रतिनिधियों ने कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए फिर से दबाव बनाया। इसके बाद अधिकारियों ने कर्मचारियों का स्थानांतरण बारां रेलखंड में कर दिया। इस बात की भनक लगते ही कर्मचारी संगठनों ने फिर से इस आदेश को रुकवा दिया।
बनाया मूंछ का सवाल
इसके बाद जन प्रतिनिधियों ने इस मामले को अपनी मूंछ का सवाल बना लिया। जन प्रतिनिधियों ने कहा कि वह ग्रामीणों से वादा कर चुके हैं। इसलिए इन कर्मचारियों का स्थानांतरण होकर ही रहेगा। चाहे कुछ भी करना पड़े।
विरोध-प्रदर्शन पर उतरे संगठन
इधर, अपनी बात पर अड़े कर्मचारी संगठनों ने मामले को लेकर विरोध-प्रदर्शन का मन बना लिया। सोमवार को विरोध-प्रदर्शन का दिन भी तय हो गया। घाट का बराना, लाखेरी, कापरेन, लबान, इंदरगढ़ तथा सवाई माधोपुर आदि स्टेशनों के कर्मचारियों ने कोटा आने के लिए बसें और कारें भी बुक कर लीं। लेकिन रविवार देर रात कर्मचारी संगठनों ने अपना विरोध-प्रदर्शन का निर्णय वापस ले लिया। माना जा रहा है कि जन प्रतिनिधियों के दबाव के आगे झुकते हुए कर्मचारी संगठनों को विरोध-प्रदर्शन निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
3 दिन से घर बैठे हैं कर्मचारी
इधर, अनिर्णय की स्थिति के चलते स्टेशन मास्टर और ट्रैकमेंटेनर 3 दिन से घर बैठे हुए हैं। प्रशासन द्वारा अब नए सिरे से इनके स्थानांतरण की तैयारी की जा रही है। हालांकि दबी जुबान में अधिकारी स्थानांतरण राजनीति को गलत बता रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे निर्णय से तो कर्मचारी काम करने से बचेंगे।