Indian Railways : आखिरकार नपे सीनियर डीसीएम विजय प्रकाश, वित्तीय अधिकार छिन जाने के बाद भी साढ़े चार महीने से जमे थे पद पर

Indian Railways : आखिरकार नपे सीनियर डीसीएम विजय प्रकाश, वित्तीय अधिकार छिन जाने के बाद भी साढ़े चार महीने से जमे थे पद पर, लोकसभा में भी उठा था मुद्दा

Kota Rail News : भोपाल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विजय प्रकाश आखिरकार नप ही गए। सोमवार को विजय का स्थानांतरण भोपाल में ही रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल विभाग में कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि एग्रीड लिस्ट में नाम आने के बाद अक्टूबर में विजय के वित्तीय अधिकार छीन लिए गए थे। इसके बाद भी विजय करीब साढे चार महीने से इसी पद पर बने हुए थे। यह मामला कई बार मीडिया की सुर्खियां बना था। नर्मदापुरम (होशंगाबाद) के सांसद उदय प्रताप सिंह ने भी यह मामला लोकसभा में उठाया गया था। भोपाल में सोमवार को हुई सांसदों की बैठक में भी इस मुद्दे के छाए रहने की चर्चा थी। इसके चलते दबाव में आए पश्चिम-मध्य रेलवे मुख्यालय प्रशासन ने शाम को आनस-फानस में विजय के स्थानांतरण आदेश जारी कर दिए।
प्रियंका ने ली जगह
विजय की जगह अब प्रियंका दीक्षित को लगाया गया है। प्रियंका इससे पहले जबलपुर में मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पद पर कार्यरत थीं। प्रियंका पिछले कई महीनों से छुट्टी पर थीं। 4 मार्च को ही प्रियंका की छुट्टियां समाप्त हुई हैं।
पहली बार हुआ ऐसा
पश्चिम-मध्य रेलवे में यह संभवत पहला मौका है जब एग्रीड लिस्ट में नाम आने और वित्तीय अधिकार छिन जाने के बाद भी कोई अधिकारी इतने अधिक लंबे समय तक पद पर जमा रहा हो। इससे पहले एग्रीड लिस्ट में नाम आने पर अधिकारियों को तुरंत हटाया जाता रहा है। विजय को नहीं हटाने पर मुख्यालय प्रशासन सवालों के घेरे में था।
उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा जारी इस एग्रीड लिस्ट में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपियों के नाम शामिल होते हैं। लिस्ट में नाम आने के बाद नियमानुसार अधिकारियों का तुरंत स्थानांतरण किया जाना चाहिए।
विजय पर भी थे आरोप
उल्लेखनीय है कि विजय पर भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे। इसके चलते विजय का नाम एग्रीड रेट लिस्ट में शामिल किया गया था। इसके बाद प्रशासन ने विजय की वित्तीय शक्तियां वापस ले ली थीं। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने विजय का स्थानांतरण करना जरूरी नहीं समझा था। समय पर स्थानांतरण नहीं होने से विजय पिछले करीब साढ़े चार महीने से बिना वित्तीय अधिकारों के ही काम कर रहे थे। जबकि वाणिज्य विभाग में अधिकतर काम पैसों के लेन-देन का ही होता है।
कोटा में भी सामने आई थी अनियमितता
उल्लेखनीय है कि विजय की कोटा मंडल में तैनाती के समय भी अनियमितताओं के मामले सामने आए थे। एक प्रमुख मामला कार पार्किंग स्टैंड के अवैध संचालन का भी सामने आया था। रेलवे बोर्ड और मुख्यालय विजिलेंस जांच में भी यह बात साबित हुई थी।
करीब 2 साल पहले निरीक्षण के दौरान मंडल रेल प्रबंधक पंकज शर्मा ने इस फर्जी कार पार्किंग का भंडाफोड़ किया था। मामले में शर्मा ने तत्कालीन वाणिज्य निरीक्षक हरिराम को मौके पर ही निलंबन के आदेश भी दिए थे।
उल्लेखनीय है कि कोटा बूंदी के जोनल रेलवे सलाहकार समिति सदस्य (जेडआरयूसीसी) अनिल जैन ने भी विभिन्न बैठकों, ट्विटर और पत्र के माध्यम से विजय की कई शिकायतें की थीं। समाचार पत्रों में भी यह मामले सामने आए थे। लेकिन तब इन मामलों में उचित कार्रवाई नहीं हो सकी थी।