Indian Railways : रिश्वत के आरोपी आरपीएफ इंस्पेक्टर और कांस्टेबल बर्खास्त, डेढ महीने में निर्णय, एसीबी ने किया था गिरफ्तार

Indian Railways : रिश्वत के आरोपी आरपीएफ इंस्पेक्टर और कांस्टेबल बर्खास्त, डेढ

महीने में निर्णय, एसीबी ने किया था गिरफ्तार

Kota Rail News :  रिश्वत के आरोपी रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) इंस्पेक्टर बृजमोहन मीणा और कांस्टेबल रणधीर सिंह को प्रशासन ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। खास बात यह कि प्रशासन ने इतना बडा निर्णय मात्र डेढ़ महीने में ही ले लिया। इसके चलते इस निर्णय पर एक तरफ जहां सवाल उठाए जा रहे हैं वहीं प्रशासन द्वारा इसे सही ठहराया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि अदालत के निर्णय से पहले ही विभाग ने दोनों को दोषी मान लिया। जबकि एसीबी ने दोनों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट तक पेश नहीं की है। मामले की विभागीय जांच भी विस्तृत तरीके से नहीं की गई। सिर्फ प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर ही प्रशासन ने दोनों को बर्खास्त करने जैसा महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि जल्दबाजी में लिए गए इस निर्णय पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि आरपीएफ में ऐसे कई इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और हेड कांस्टेबल मौजूद है जो रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के बावजूद भी बरसों से नौकरी कर रहे हैं। जबकि यह दोनों रंगे हाथों भी नहीं पकड़े गए थे।
बर्खास्तगी उचित
दूसरी और प्रशासन ने अपने इस निर्णय को उचित ठहराया है। प्रशासन ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए तुरंत कार्रवाई जरूरी है। एक उदाहरण प्रस्तुत करने, अनुशासन, सत्य, निष्ठा एवं आचरण के उच्चतम स्तर को बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। प्रशासन ने लिखा कि मामले की विस्तृत जांच नहीं करना भी जनहित में है। क्योंकि जब रक्षक ही भक्षक बन जाते हैं तो त्वरित कार्रवाई जरूरी है। जबकि लंबी जांच में देरी के चलते यह न्याय, अनुशासन और मनोबल को गिराने वाला साबित होता।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि कोटा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 21 अप्रैल को दरा स्टेशन पर एक दलाल वेंडर राहुल वैष्णव उर्फ गोलू को पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। राहुल ने यह रिश्वत रणधीर के कहने पर बृजमोहन के लिए लेना बताया था। इसके बाद एसीबी ने रामगंजमंडी आरपीएफ पोस्ट प्रभारी बृजमोहन और रणधीर को भी गिरफ्तार किया था। एसीबी का कहना है कि बृजमोहन ने यह रिश्वत एक खानपान स्टाल संचालक से अवैध वेंडर चलाने की एवज में मांगी थी। संचालक द्वारा इंस्पेक्टर को हर महीने यह रकम दी जाती थी। इस गिरफ्तारी के बाद अदालत ने दोनों को जेल भेज दिया था। पिछले महीने ही दोनों की जमानत हुई थी।अभी भी चल रहे है
अवैध वेंडर
सूत्रों ने बताया कि इस घटना के बाद भी कोटा मंडल में अवैध वेंडरों का चलना बंद नहीं हुआ है। यह पहले की तरह ही स्टेशन और ट्रेनों में बेधड़क चल रहे हैं। कई जवानों को अभी भी बिना वर्दी में अवैध वसूली करते आसानी से देखा जा सकता है। अनुशासन, आचरण और नैतिकता आदि की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रशासन ने इस तरफ से अपनी आंखें मूंद रखी है। समस्या को हमेशा के लिए जड़ मूल से खत्म करने के बजाय प्रशासन थोथे निर्णय ले रहा है। यह बात मिलीभगत साबित करने के लिए काफी है।