राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए।
राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए।

राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए।

राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए।
राजस्थान में 22 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की तैयारी।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के मन में केंद्र की मोदी सरकार के प्रति कांग्रेस से भी ज्यादा गुस्सा है, लेकिन केजरीवाल को यह समझ है कि यदि अयोध्या के राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का विरोध किया गया तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान होगा। यही वजह है कि 22 जनवरी को अब अयोध्या में समारोह होगा, तब दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों में केजरीवाल की पार्टी की ओर से सुंदरकांड का पाठ करवाया जाएगा। सब जानते हैं कि मोदी सरकार की वजह से दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सत्येंद्र जैन और राज्यसभा सांसद संजय सिंह जेल में है। बहुचर्चित शराब घोटाले में ईडी ने खुद केजरीवाल को भी पांचवीं बार नोटिस जारी किया है। इससे केजरीवाल के मन में मोदी सरकार के प्रति गुस्से का अंदाजा लगाया जा सकता है। केजरीवाल को भी पता है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम मोदी के मुख्य अतिथि होने से लोकसभा चुनाव में भाजपा को फायदा होगा, लेकिन इसके बाद भी केजरीवाल मंदिर समारोह का कोई विरोध नहीं कर रहे हैं। सवाल उठता है कि जो समझदारी केजरीवाल ने दिखाई ऐसी समझदारी कांग्रेस ने क्यों नहीं दिखाई? मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही श्रीमती सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया था,लेकिन इन तीनों ने समारोह का निमंत्रण ठुकराते हुए भाजपा और आरएसएस पर राजनीति करने का आरोप लगाया। निमंत्रण ठुकराने पर अब कांग्रेस की फजीयत हो रही है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन निमंत्रण ठुकराने से कांग्रेस की छवि राम विरोधी बन रही है। अच्छा होता कि कांग्रेस भी केजरीवाल की तरह राजनीतिक समझदारी दिखाती, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर कट्टरपंथियों का दबाव है। कट्टरपंथी नहीं चाहते कि अयोध्या में मंदिर बने। ऐसे कट्टरपंथियों ने मंदिर निर्माण को लेकर खुलेआम बयान दिए हैं। यहां तक कहा गया कि हमारा शासन आने पर मंदिर को तोड़ दिया जाएगा। स्वाभाविक है कि ऐसे स्थानों से सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोग का मन दुखी है। कांग्रेस ने देश के आम जनों की भावनाओं को समझे बगैर ही मंदिर समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया। अफसोसनाक बात तो यह है कि कांग्रेस अपने मंदिर विरोधी रुख पर अभी भी कायम है। एक ओर राहुल गांधी भारत जोड़ों न्याय यात्रा कर रहे हैं तो वहीं पूरे देश में कांग्रेस के विरोध में माहौल बना रहा है। जब पूरे देश में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उत्साह और उमंग का माहौल है, तब यात्रा के दौरान राहुल गांधी कह रहे है कि भारत में अन्याय हो रहा है। क्या अयोध्या में राम का मंदिर बनना अन्याय हैं?
अवकाश घोषणा की तैयारी:
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 22 जनवरी को राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश घोषित किए जाने पर राज्य सरकार की सहमति हो गई है। जानकार सूत्रों के अनुसार जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। भाजपा से जुड़े विधायकों को संगठन स्तर पर निर्देश दिए गए हैं कि 22 जनवरी को अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में रहे। मालूम हो कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह का टीवी चैनलों पर लाइव प्रसारण भी होगा। प्रातः 11 बजे से दोपहर एक बजे तक चलने वाले समारोह का प्रसारण मंदिरों में भी दिखाने की व्यवस्था की गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने पहले ही 22 जनवरी को ड्राई डे घोषित कर दिया है, यानी इस दिन शराब और मांस की बिक्री नहीं होगी।
Report By S.P.MITTAL