राहुल गांधी को पप्पू की उपाधि देने वाले कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा भी बन सकती हैं राजस्थान लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष। अभी सीएम अशोक गहलोत ने आयोग का सदस्य बना रखा है।

राहुल गांधी को पप्पू की उपाधि देने वाले कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा भी बन सकती हैं राजस्थान लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष। अभी सीएम अशोक गहलोत ने आयोग का सदस्य बना रखा है।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य तो सोजत से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
ढाई माह बाद आर्य की सेवानिवृत्ति पर सुबोध अग्रवाल होंगे नए मुख्य सचिव।
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राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। गहलोत के शासन में कुछ भी संभव है। जयपुर से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस में गहलोत के फैसलों को चुनौती देना वाला कोई नहीं है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सचिन पायलट को गहलोत का प्रतिद्वंदी माना गया था, लेकिन आज तीन वर्ष बाद पायलट की राजनीतिक स्थिति देखी जा सकती है। पायलट के हालात किसी से छिपे नहीं है। यही वजह है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास की पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा की ताजपोशी हो सकती है। मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र यादव 2 दिसंबर को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। गहलोत ने मंजू शर्मा को गत वर्ष अक्टूबर में ही आयोग का सदस्य बना दिया था। सब जानते हैं कि सांसद राहुल गांधी को सबसे पहले पप्पू की उपाधि कुमार विश्वास ने दी थी। तब कुमार विश्वास अरविंद केजरीवाल के साथ आम आदमी पार्टी में सक्रिय थे। कुमार विश्वास ने 2014 में राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। लेकिन इसे सीएम गहलोत की राजनीतिक कुशलता ही कहा जाएगा कि उन्हीें कुमार विश्वास की पत्नी को अक्टूबर 2020 में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य पद से नवाज दिया। गहलोत ने मंजू शर्मा के साथ जिन तीन और व्यक्तियों को सदस्य बनाया, उनमें मंजू शर्मा सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं। अब जब भूपेंद्र यादव 2 दिसंबर को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं, तब अध्यक्ष पद पर मंजू शर्मा की दावेदारी सबसे मजबूत है। पत्नी के कांग्रेस शासन में महत्वपूर्ण नियुक्ति के बाद कुमार विश्वास ने भी राहुल गांधी को पप्पू कहना छोड़ दिया है और अब अपनी कविताओं में कांग्रेस पर कटाक्ष भी नहीं करते हैं। आयोग के सदस्य की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्रीमती विश्वास राजस्थान में आरएएस, आरपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर का चयन कर रही हैं। यूं तो मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य को भी आयोग का सदस्य बनाया गया है, लेकिन गहलोत की मेहरबानी से आर्य पहले ही बहुत ज्यादा ओब्लाइज हो चुके हैं। अक्टूबर 2020 में प्रदेश के 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया था। आर्य के मुख्य सचिव बनने के बाद कई सीनियर आईएएस को सचिवालय से बाहर जाना पड़ा। आर्य भी ढाई माह बाद जनवरी 22 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मुख्य सचिव बनने के बाद आर्य सत्ता का पूरा सुख भोग चुके हैं, इसलिए उनकी पत्नी संगीता आर्य को आयोग का अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। अलबत्ता निरंजन आर्य स्वयं अगला विधानसभा चुनाव पाली जिले के सोजत से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ सकते हैं। आर्य की पत्नी सोजत से 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुकी हैं। तब भी मुख्यमंत्री के पद पर अशोक गहलोत ही विराजमान थे। दिसंबर 2023 में जब अगला चुनाव होगा, तब भी मुख्यमंत्री गहलोत ही रहेंगें। यह बात अलग है कि 2013 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं। जानकारों की माने तो निरंजन आर्य ने सोजत से चुनाव लड़ने की तैयारियां भी शुरू कर दी है। जहां तक पत्नी संगीता आर्य का सवाल है तो वे अगले पांच वर्ष आयोग की सदस्य बनी रहेंगी। चूंकि आयोग के सदस्य का पद संवैधानिक है, इसलिए भाजपा का शासन आने पर भी संगीता आर्य सदस्य रहेंगी। यानी कांग्रेस शासन में आर्य परिवार के लिए काफी अच्छी व्यवस्थाएं हो गई हैं। निरंजन आर्य विधायक भी बन सकते हैं।
अग्रवाल बनेंगे मुख्य सचिव:
निरंजन आर्य की ढाई माह बाद सेवानिवृत्ति पर अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल को नया मुख्य सचिव बनाया जा सकता है। जूनियर निरंजन आर्य के सीएस बनने पर अग्रवाल भी सचिवालय को छोड़ कर चले गए थे, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री गहलोत के आश्वासन के बाद अग्रवाल वापस सचिवालय में आ गए। अग्रवाल के पास खान, ऊजा जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है। चूंकि अग्रवाल ने निरंजन आर्य को अपना बॉस मान लिया, इसलिए उन्हें मुख्य सचिव के पद से नवाजा जाएगा। सीएम गहलोत जो वादा करते हैं, उसे हर हाल में पूरा करते हैं। सीएम गहलोत के वादे के बारे में आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र यादव भी अच्छी तरह जानते हैं। यादव राजस्थान के डीजीपी थे। सीएम गहलोत ने अगस्त 2019 में यादव का कार्यकाल दो वर्ष के लिए बढ़ावा दिया। इस लिहाज से यादव को 30 जून 2021 तक डीजीपी के पद पर रहना था, लेकिन यादव ने नवंबर 2020 में ही पुलिस सेवा से वीआरएस ले लिया ताकि सीएम गहलोत के पसंदीदा आईपीएस एमएल लाठर को डीजीपी बनाया जा सके। वादे के मुताबिक भूपेंद्र यादव को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। अध्यक्ष बनने के बाद यादव ने आईपीएस सेवा से भी ज्यादा समय तक सरकार की सुख सुविधाओं का उपयोग किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि यादव ने अपने कार्यकाल में आयोग के कार्यों को गति दी। भूपेंद्र यादव चाहेंगे तो उन्हें स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर बना दिया जाएगा। यह पद भी रिक्त पड़ा है। आयोग के पूर्व अध्यक्ष ललित के पंवार को भी इस यूनिवर्सिटी का वीसी बनाया गया था। फिलहाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी के वीसी ओम थानवी के पास स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी का अतिरिक्त प्रभार है।