राज्य सरकार के बिल पर मंजूरी को लेकर राजभवन के बाहर किसानों का प्रदर्शन। तो राज्यपाल के मंजूरी दे देने से कमर्शियल बैंकों की नीलामी पर रोक लग जाएगी?

राज्य सरकार के बिल पर मंजूरी को लेकर राजभवन के बाहर किसानों का प्रदर्शन।
तो राज्यपाल के मंजूरी दे देने से कमर्शियल बैंकों की नीलामी पर रोक लग जाएगी?
कृषि भूमि नीलामी के मुद्दे पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार गुमराह कर रही है-सांसद भागीरथ चौधरी।
सहकारी क्षेत्र की बैंकों का दो लाख रुपए का कर्जा अभी भी माफ नहीं हुआ है-चेतन चौधरी।
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24 जनवरी को भारतीय किसान यूनियन एवं अन्य संगठनों से जुड़े किसानों ने जयपुर में राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मांग की कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कृषि भूमि नीलामी को रोकने के लिए जो बिल भेज रखा है, उसे मंजूर किया जाए। किसान नेताओं का कहना रहा कि बैंक कर्ज वसूली के लिए किसानों की कृषि भूमि की नीलामी कर रही हैं। बैंकों की सख्त कार्यवाही से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। यह सही है कि कर्ज वसूली के लिए किसानों की कृषि भूमि नीलाम नहीं होने चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि क्या राज्यपाल के मंजूरी दे देने से कमर्शियल बैंकों की नीलामी कार्यवाही रुक जाएगी? जानकारों का मानना है कि कानूनी दृष्टि से ऐसा संभव नहीं है। किसानों ने कमर्शियल बैंकों की शर्तों पर कृषि भूमि गिरवी रखकर लाखों रुपए का लोन लिया है। कर्ज का भुगतान नहीं करने पर शर्तों के मुताबिक बैंकों को गिरवी रखी गई भूमि को नीलाम करने का अधिकार है। राज्य सरकार ज्यादा से ज्यादा सेंट्रल को-ऑपरेटिव और भूमि विकास बैंक की नीलामी रोक सकती है। यह दोनों बैंक राज्य सरकार के अधीन काम करती है। 24 जनवरी को राजभवन के बाहर किसानों के प्रदर्शन के संदर्भ में अजमेर के भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी ने कहा कि किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुमराह कर रहे हैं। गहलोत का कहना है कि लंबित पड़े बिल पर यदि राज्यपाल मंजूरी दे दे तो कृषि भूमि की नीलामी रुक सकती है। चौधरी ने कहा कि सीएम गहलोत का यह कथन तथ्यों से परे है। वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने वाले बिलों क साथ ही सहकारिता क्षेत्र की बैंकों की कृषि भूमि नीलामी रोकने वाला बिल भी राज्यपाल को भेजा था। अब जब तीन कृषि कानून केंद्र सरकार ने भी रद्द कर दिए हैं, तब राजस्थान सरकार द्वारा राज्यपाल को भेजे गए सभी बिल अप्रासंगिक हो गए हैं। ऐसे में राज्यपाल से किसी बिल पर मंजूरी देने की मांग करना बेमानी है। सांसद चौधरी ने कहा कि कर्ज माफी का वादा कर कांग्रेस राजस्थान में सत्ता में आई थी। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनावी सभाओं में 10 तक गिनती बोल कर कहा था कि सरकार बनने के 10 दिनों में किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ कर दिया जाएगा। तब कांग्रेस के किसी भी नेता ने कमर्शियल बैंकों का कर्ज माफ नहीं होने की बात नहीं की। तब यही माना गया कि जिन किसानों ने कृषि भूमि गिरवी रखकर कमर्शियल बैंकों से लोन लिया है, उनका लोन भी माफ हो जाएगा। लेकिन आज राजस्थान के किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। सांसद चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार को अपने वादे के मुताबिक किसानों के लोन की राशि कमर्शियल बैंकों में जमा करवानी चाहिए। मुख्यमंत्री गहलोत कमर्शियल बैंकों के प्रतिनिधियों से संवाद तो करते हैं, लेकिन किसानों के ऋण की राशि जमा नहीं करवाते। चूंकि कांग्रेस ने कर्ज माफी का वादा किया था इसलिए कर्ज माफी की जिम्मेदारी भी कांग्रेस सरकार की है। सांसद चौधरी ने याद दिलाया कि भाजपा सरकार की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किसानों के 50 हजार रुपए तक के ऋण माफ करने की घोषणा की थी। तब राजे ने अपने वादे के मुताबिक सभी किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्जा माफ किया। सांसद चौधरी ने कहा कि राज्यपाल द्वारा बिल पर मंजूरी का अब कोई मतलब नहीं है। राज्यपाल संविधान के अनुरूप काम करते हैं। कांग्रेस सरकार को अपने वादे के अनुरूप किसानों का कर्जा माफ करना चाहिए।
दो लाख रुपए का कर्जा भी माफ नहीं:
अजमेर भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष चेतन चौधरी ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र की बैंकों का दो लाख रुपए का कर्जा भी अभी पूरी तरह माफ नहीं हुआ है। सेंट्रल को-ऑपरेटिव और भूमि विकास बैंक से जिस किसान ने दो लाख एक हजार रुपए का कर्जा लिया है, उसका लोन अभी तक माफ नहीं हुआ है। कांग्रेस सरकार ने दो लाख रुपए से कम वाले कर्ज को ही माफ किया है। चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर आग्रह किया कि सभी लद्यु एवं सीमांत किसानों का दो लाख रुपए का कर्जा माफ किया जाए। चौधरी ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि मौजूदा समय में सहकारी बैंकों से मात्र 50 हजार रुपए तक का ही लोन किसानों को दिया जा रहा है। चौधरी ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस ने संपूर्ण कर्ज माफी की बात कही थी। लेकिन बाद में मात्र दो लाख रुपए का कर्जा कुछ किसानों का माफ किया। कमर्शियल बैंकों का तो एक रुपए का कर्जा भी माफ नहीं हुआ है।