राजस्थान में जब यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को नौकरी से इस्तीफा दिए बगैर चुनाव लड़ने की छूट है, तब राज्य कर्मचारियों को क्यों नहीं?

राजस्थान में जब यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को नौकरी से इस्तीफा दिए बगैर चुनाव लड़ने की छूट है, तब राज्य कर्मचारियों को क्यों नहीं?
राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर विशेष।
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25 जनवरी को देश भर में राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया। राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हैं, जहां यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को नौकरी से इस्तीफा दिए बगैर ही चुनाव लड़ने की छूट है। यदि कोई शिक्षक चुनाव हार जाए तो वह पुनः अपने यूनिवर्सिटी में नौकरी जॉइन कर सकता है। यदि कोई शिक्षक चुनाव जीत कर सांसद या विधायक बन जाए तो वह सांसद-विधायक के पद पर रहने तक यूनिवर्सिटी से अवकाश ले सकता है। सांसद-विधायक का कार्यकाल पूरा होने पर फिर से अपनी यूनिवर्सिटी में जॉइन कर सकता है। राजस्थान विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष सीपी जोशी इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। उदयपुर की सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी में शिक्षक रहते हुए सीपी ने ऐसा ही किया। यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को सिर्फ चुनाव लडऩे में ही छूट नहीं है बल्कि शिक्षक के पद पर रहते हुए दलगत राजनीति करने की भी छूट है। अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय के अध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत रिटायरमेंट से पहले अजमेर देहात भाजपा के छह वर्ष तक अध्यक्ष रहे। यानी दिन में यूनिवर्सिटी में बच्चों को पढ़ाया और शाम को चुनाव सभा को संबोधित किया। यानी यूनिवर्सिटी के शिक्षक की नौकरी और राजनीति में कोई फर्क नहीं है। चूंकि आज मतदाता दिवस है, इसलिए यह सवाल उठता रहा है कि राजनीति करने के लिए जो छूट यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को मिली हुई है वैसी छूट राजस्थान में राज्य कर्मचारियों को क्यों नहीं है। राजस्थान शिक्षक संघ (राधाकृष्णन) के प्रदेश अध्यक्ष विजय सोनी ने कहा कि मौजूदा नियम राज्य कर्मचारियों के साथ भेदभाव करते हैं। यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की नियुक्ति भी राज्य सरकार के सेवा नियमों के तहत होती है और राज्य कर्मचारी भी इन्हीं सेवा नियमों के तहत काम करते हैं। राजस्थान में सात लाख राज्य कर्मचारी हैं। यदि राज्य कर्मचारियों को भी इस्तीफा दिए बगैर चुनाव लड़ने की छूट मिले तो अच्छे जनप्रतिनिधियों का चयन हो सकता है। सरकार ने बेवजह राज्य कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर रखा है। राज्य सरकार के अधिकारी और कर्मचारी ही राजनीतिक दलों की सरकार चलाते हैं। ऐसे में उन्हें अनुभव भी होता है। सोनी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की कि राज्य कर्मचारियों को भी यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की तरह राजनीति में भाग लेने की छूट मिलनी चाहिए। सोनी ने कहा कि अपनी इस मांग को लेकर प्रदेश भर के राज्य कर्मचारियों को एकजुट किया जा रहा है, इसको लेकर यदि आंदोलन की जरूरत पड़ी तो प्रदेशभर में आंदोलन भी किया जाएगा। इसको लेकर जो अभियान चलाया जा रहा है उसकी जानकारी मोबाइल नंबर 9829087912 पर विजय सोनी से ली जा सकती है।