Rajasthan : ईस्टर्न कैनाल और परवन सिंचाई परियोजना को मिले राष्ट्रीय दर्जा-डॉ. महेश जोशी

Rajasthan : ईस्टर्न कैनाल और परवन सिंचाई परियोजना को मिले राष्ट्रीय दर्जा-डॉ.

महेश जोशी

जलदाय एवं भूजल मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा है कि देश के अन्य राज्यों में पेयजल प्रबंधन की दृष्टि से जितनी विषम और कठिन परिस्थितयां है, उतनी सब मिलाकर अकेले राजस्थान में मौजूद हैं। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार जल जीवन मिशन में 90ः10 के फंडिंग पैटर्न की राजस्थान की बहुप्रतीक्षित और जायज मांग को शीघ्रता से पूरा करे। डॉ. जोशी शुक्रवार को जयपुर में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की एक दिवसीय रीजनल कांफ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे। डॉ. जोशी ने प्रदेश की जनता के हितों की पुरजोर पैरवी करते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से ईस्टर्न कैनाल और परवन सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने का भी आग्रह किया।
टेण्डर प्रीमियम व प्राईस वेरियेशन क्लॉज अनुमत करें
डॉ. जोशी ने कहा कि गत कुछ माह में अनेक कारणों से विशेषकर रूस-युक्रेन युद्ध के चलते पाईप, स्टील आदि की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इनकी कीमतें विभाग की बी.एस.आर. से काफी अधिक हो गई हैं। पूर्व में जारी कार्यादेश के विरुद्ध कई ठेकेदारों ने कार्य बन्द कर दिया है। कुछ निविदाएं जो आमन्ति्रत की जा चुकी हैं एवं अभी तक प्राप्त नहीं की गई हैं, उनमें अनुमानित लागत से अधिक दरें प्राप्त होने की सम्भावना है। ऎसे में केन्द्र सरकार जेजेएम में टेण्डर प्रीमियम को अनुमत करने पर विचार करे। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार में प्रचलित वित्तीय नियमों के अनुसार कार्य की लागत में वृद्धि या कमी होने पर उसके अनुसार भुगतान अनुमत है। अनुबंध के प्राईस वेरियेशन क्लॉज के तहत बाजार में यदि बढोतरी हो तो संवेदक के नुकसान को कम करता है और उतार हो तो सरकार की लागत को बचाता है। भारत सरकार द्वारा प्राईस वेरियेशन क्लॉज को केन्द्रीय पोषित योजना नमाामि गंगे परियोजना के कार्यादेशों में भी अनुमत किया गया है, ऎसे में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जेजेएम के तहत भविष्य में आंमत्रित की जाने वाली निविदाओं में इसे अनुमत किया जाना उचित होगा।
सोर्स सस्टेनेबिलिटी के प्रस्ताव को मिले स्वीकृति
जलदाय मंत्री ने राजस्थान में ग्राऊण्ड वाटर की चिंताजनक स्थिति की ओर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि प्रदेश में भूजल के 69 प्रतिशत ब्लॉक अति दोहित, 25 प्रतिशत क्रिटिकल व 6 प्रतिशत सेमी क्रिटिकल श्रेणी में हैं। पूर्वी राजस्थान में तो 42 प्रतिशत नल कनेक्शनों की भूजल पर निर्भरता है। उन्होंने कहा कि पीएचईडी द्वारा वर्षा जल के पुर्नभरण के लिए 247 ग्रामों में 40.78 करोड़ रुपये की लागत से 1497 कार्यों के प्रस्ताव तैयार कर राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति के समक्ष रखें गए हैं, मगर जल शक्ति मंत्रालय की ओर से इनकी स्वीकृति जारी नहीं हो सकी है। डॉ. जोशी ने अनुरोध किया कि वाटर शेड पद्धति पर आधारित इन कार्यों के प्रस्तावों को जल जीवन मिशन में शीघ्र स्वीकृति दी जाए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में बारहमासी सतही जल स्रोत उपलब्ध नहीं हैं, ऎसे में इन प्रस्तावों के अतिरिक्त जल पुनर्भरण व संचयन के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा 8 जिलों में 173.81 करोड़ रुपये की लागत से तैयार 22 कार्यों के प्रस्ताव को भी जल जीवन मिशन में स्वीकृत किया जाए।
रेट्रोफिटिंग पेयजल योजनाओं की पूर्णता तिथि मार्च 2024 तक बढाएं
डॉ. जोशी ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत रेट्रोफिटिंग कार्यों को पूर्ण करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा समय-सीमा मार्च 2022 रखी गयी है। ये सभी योजनाएं पूर्व में 35-40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिवस सर्विस लेवल अनुसार डिजाईन की गयी थी। जेजेएम में  रेट्रोफिटिंग योजनाओं के अन्तर्गत वृहद पेयजल योजनाओं के अतिरिक्त कुल स्वीकृत 13,938 गांवों में से 10,412 गांव (कुल गांवों का 75 प्रतिशत) है, जिनमें योजनाएं स्वीकृत हैं। इन गांवों में रेट्रोफिटिंग कार्य पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त निर्माण कार्यों में 6 से 12 महिनें लगने की सम्भावना है। इसी प्रकार वृहद पेयजल योजनाओं के अन्तर्गत स्वीकृत 18771 गांवों में से 14089 गांव जो भी कुल गांवों का 75 प्रतिशत है। इनके रेट्रोफिटिंग कार्यों के लिए जल वितरण तंत्र का कार्य 2 से 3 वर्ष में होता है परन्तु जल जीवन मिशन की प्राथमिकता को देखते हुए उक्त कार्यों की समय-सीमा 1 से 2 वर्ष रखी गयी है। ऎसे में रेट्रोफिटिंग पेयजल योजनाओं को पूर्ण करने के लिए समय-सीमा मार्च 2024 तक बढ़ाया जाना आवश्यक है।
मार्च 2024 तक जारी 55 एलपीसीडी से कम सेवा स्तर के कनेक्शनों को  क्रियाशील  माना जाए
जलदाय मंत्री ने कहा कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना, जिससे 13 जिलों को लाभांवित किया जाना है उस पर राजस्थान के जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है, इसके पूर्ण होने पर 13 जिलों को सतही पेयजल से लाभांवित किया जा सकेगा, मगर इसके पूर्ण होने में समय लगेगा। वृहद पेयजल योजनाओं से हर घर को नल कनेक्शन से लाभान्वित तो मार्च 2024 तक कर लिया जायेगा किन्तु उनका सर्विस लेवल 40 से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2028 तक किया जाना सम्भावित है। अतः जल जीवन मिशन के तहत कम सर्विस लेवल के इन जल सम्बन्धों को क्रियाशील माना जाये।
टांकों के प्रस्तावों की मिले मंजूरी
डॉ. जोशी ने अवगत कराया कि थार रेगिस्तान के तहत पश्चिमी राजस्थान के क्षेत्र में भूजल व सतही जल की समुचित उपलब्धता के अभाव में वहां सदियों से लोग टांकों से ही जल की आवश्यकता पूरी करते आए है। प्रदेश के ऎसे इलाकों में पाईप लाईन से पेयजल उपलब्ध करवाना अत्यधिक खचला पड़ता है। कई ग्राम ढाणियों में न तो भूजल उपलब्ध है एवं न ही निकट भविष्य में सतही स्रोत से पेयजल पहुंचाया जाना सम्भव है। ऎसे क्षेत्रों में बिखरी आबादी के लिए सामुदायिक टांकों का निर्माण कर पेयजल उपलब्ध करवाना एक सस्ता और सुलभ विकल्प है। केन्द्र सरकार इस प्रकार के टांकों के प्रस्तावों को जल जीवन मिशन में अनुमत कर मंजूरी प्रदान करे।
जेजेएम में बीसलपुर एवं ईसरदा बांधों की पुनर्भरण योजना स्वीकृत की जाए
जलदाय मंत्री ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को अवगत कराया कि बीसलपुर बांध से जयपुर, अजमेर एवं टोंक जिले के लाभांवित 2491 गांवों में 35 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के डिजाईन को 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के सर्विस लेवल तक ले जाने के लिये बांध में अतिरिक्त क्षमता बढाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा नवनेरा बांध के अतिरिक्त पानी से बीसलपुर बांध में जल उपलब्धता में बढ़ोतरी के लिए 9,600 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है। इसमें अतिरिक्त पानी को ट्रांसफर करने के लिये पाईप लाईन/एक्वा डक्ट का निर्माण किया जायेगा। इस योजना की जल जीवन मिशन में स्वीकृति दी जानी आवश्यक है क्योंकि इसमें योजना की पूर्णता अवधि तक स्रोत की सस्टेनेबिलिटी महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
राजस्थान की प्रगति पर डाला प्रकाश
डॉ. जोशी ने राजस्थान में जल जीवन मिशन की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में राज्य में 105.69 लाख ग्रामीण परिवार हैं। अगस्त 2019 तक 11.74 लाख परिवारों को ‘हर घर जल‘ कनेक्शन उपलब्ध था। मार्च 2024 तक लगभग 93.95 लाख परिवारों को ‘हर घर जल‘ कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के 38 हजार 447 ग्रामों में बसे 91.23 लाख परिवारों के लिए ‘हर घर जल‘ कनेक्शन की स्वीकृतयां जारी कर दी है, जो लक्ष्य का 97 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सभी 32 जिलास्तरीय प्रयोगशालाओं और 1 राज्यस्तरीय प्रयोगशाला के लिए एनएबीएल मान्यता प्राप्त कर ली गई है। इसके साथ ही राजस्थान के 43 हजार 364 गांवों में से 43 हजार 272 गांवों में ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समितियों का गठन पूरा हो चुका है, जो देश में सर्वाेच्च है।
स्वागत उद्बोधन में राजस्थान में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में ग्रामीण परिवारों को 28 लाख से अधिक ‘हर घर नल‘ कनेक्शन देने का कार्य चल रहा है, इसमें से सिंगल विलेज स्कीम्स के तहत करीब 22 लाख कनेक्शन इसी साल दिसम्बर तक देने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में ग्रामीण परिवारों को वर्ष 2024 तक जितने ‘हर घर  जल‘ कनेक्शन दिए जाने है, उनमें से 97 प्रतिशत की स्वीकृतियां जारी की जा चुकी है। इसी माह प्रस्तावित राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति की बैठक में शेष 3 प्रतिशत स्वीकृतियां भी पूरी करने की प्लानिंग है।