‘जनजातीय अनुसंधान-अस्मिता,अस्तित्व एवं विकास’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की

‘जनजातीय अनुसंधान-अस्मिता,अस्तित्व एवं विकास’ पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रतिनिधियों ने आज 28 नवंबर, 2022 को राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान से ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान’ पुस्तक की प्रथम प्रति भी प्राप्त की।

इस अवसर पर आगंतुकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति महोदया ने कहा कि प्रौद्योगिकी और परंपराओं के साथ आधुनिकता एवं संस्कृति का सम्मिश्रण समय की आवश्यकता है। हमें ज्ञान की शक्ति से दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जनजातीय समाज के ज्ञान का प्रचार और विकास भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनजातीय समाज के लोग, लेखक तथा शोधकर्ता अपने विचारों, कार्यों और शोध से आदिवासी समाज के विकास में अपना अमूल्य योगदान देंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा हमारे इतिहास और परंपराओं को समझने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनका झुकाव हमारे समाज के इतिहास और संस्कृति की विशेषताओं के बारे में शोध और लेखन की ओर होगा। उन्होंने कहा कि भारत तभी आगे बढ़ सकता है जब हमारे युवा हमारे देश के गौरवशाली इतिहास को समझने के साथ–साथ देश और समाज की समृद्धि के सपने देखें तथा इन सपनों को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास करें।

यह भी पढ़ें :   श्री सर्बानंद सोनोवाल ने मोदी सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए सामाजिक न्याय प्रदान करने के प्रयासों को रेखांकित किया, सरकार के लाभार्थियों के साथ बातचीत की

राष्ट्रपति ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में स्वतंत्रता संग्राम  में जनजातीय नेताओं के योगदान को प्रदर्शित करने वाले फोटो प्रदर्शनियों एवं संगोष्ठियों सहित प्रमुख विश्वविद्यालयों में कई कार्यक्रमों के आयोजन के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों से आदिवासी युवाओं को अपने पूर्वजों के बलिदान और अपने समाज के स्वाभिमान की महान परंपरा पर गर्व होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास हमें बताता है कि जनजातीय समाज ने कभी  दासता स्वीकार नहीं की। देश पर किसी भी हमले का प्रत्युत्तर देने में वे हमेशा सबसे आगे रहते थे। देश भर में जनजातीय समुदायों द्वारा संथाल, हूल, कोल, बिरसा, भील ​​जैसे कई विद्रोहों में किए गए संघर्ष और उनके बलिदान सभी नागरिकों को प्रेरित कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें :   गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, व्यापारिक गतिविधियों में तकनीकी बाधाओं को दूर करने, उत्पाद सुरक्षा बढ़ाने तथा उपभोक्ता संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए भारत और जर्मनी के बीच कार्य योजना 2022 पर हस्ताक्षर किए गए

राष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर इंगित करते हुए कि, हमारे देश में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 10 करोड़ से अधिक है, कहा कि हमारे सामने इन  सभी तक विकास का लाभ पहुंचाने के और साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान बरकरार को बनाए रखने की चुनौती है। इस सबके अलावा उनके विकास के लिए चर्चाओं और शोध में उनकी भी भागीदारी आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान’ पुस्तक प्रकाशित करना एक अच्छी पहल है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस पुस्तक के माध्यम से आदिवासी समुदायों के संघर्ष और बलिदान की गाथाओं का पूरे देश में व्यापक प्रचार-प्रसार होगा।

*****

एमजी/एएम/एसटी/एजे