नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात कर भारत की ’ब्लू इकोनॉमी’ का भावी पथप्रदर्शक ’डीप ओशन मिशन’ में सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की

नौसेनाध्यक्ष, एडमिरल आर. हरि कुमार ने केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और ’डीप ओशन मिशन’ में सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की, जो भारत की ’ब्लू इकोनॉमी’ अर्थात नीली अर्थव्यवस्था का पथप्रदर्शक है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, संसाधनों के लिए भारत के गहरे महासागर में पता लगाने और महासागर के संसाधनों का सतत उपयोग करने के लिए गहरे समुद्र के लिये प्रौद्योगिकी विकसित करने को लेकर ’डीप ओशन मिशन’ की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

भारतीय नौसेना डीप ओशन काउंसिल की सदस्य है और वह गहरे पानी में मानव चालित पनडुब्बी की लांचिंग और रिकवरी में शामिल रहेगी, जिसे डीप ओशन मिशन के तहत विकसित किया जाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय नौसेना जल्द ही जलग्न वाहनों का डिजाइन और विकास करने के क्षेत्रों में जानकारी साझा करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले हैं।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ’डीप ओशन’ मिशन 21वीं सदी में भारत के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। डीप ओशन मिशन भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था की पहलों में मदद के लिए मिशन मोड में चलाई जा रही एक परियोजना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि मानवयुक्त सब्मर्सिबल मत्स्य-6000 का प्रारंभिक डिजाइन पूरा हो गया है और इसरो, आईआईटीएम एवं डीआरडीओ सहित विभिन्न संगठनों के समर्थन से इसकी प्राप्ति शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ 3 लोगों को समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए इसका डिजाइन किया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन समुद्रयान लांच किया था और भारत इस तरह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन जैसे देशों के उस इलीट क्लब में शामिल हो गया जिनके पास सागर की गहराई के कार्यकलापों के लिए इस तरह के पानी के भीतर चलने वाले वाहन हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि इस विशेष प्रौद्योगिकी से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को समुद्र में 1000 से 5500 मीटर के बीच की गहराई में स्थित पॉलीमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की खोज गहरे समुद्र में करने में सुविधा मिलेगी।

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मोदी सरकार ने जून, 2021 में डीप ओशन मिशन (डीओएम) को मंजूरी दी थी, जिसके लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 5 साल के लिए कुल 4077 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया था। डीओएम एक बहु-मंत्रालयी और बहु-विषयक कार्यक्रम है जिसमें गहरे समुद्र में प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर दिया गया है जिसमें गहरे समुद्र में खनन, खनिज संसाधनों की खोज और समुद्री जैव विविधता, महासागरीय खोज, गहरे समुद्र में गहराई का अवलोकन और समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता निर्माण के लिए एक अनुसंधान पोत के लिए प्रौद्योगिकी के साथ-साथ पानी की 6000 मीटर गहराई में चलने वाले मानवयुक्त सबमर्सिबल का विकास शामिल है।

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