नीति आयोग ने शून्य अभियान की एक वर्षीय वर्षगांठ मनाई

भारत के शून्य प्रदूषण ई-मोबिलिटी अभियान शून्य की एक वर्ष की वर्षगांठ को मनाने के लिए नीति आयोग ने आज एक दिवसीय समारोह का आयोजन किया।

शून्य, राइड-हेलिंग और डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उपयोग को बढ़ावा देकर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक उपभोक्ता जागरूकता अभियान है। इस अभियान में 130 उद्योग भागीदार हैं, जिनमें राइड-हेलिंग, डिलीवरी और ईवी उद्योग शामिल हैं।

सभी भागीदारों ने आज के समारोह में भाग लिया और फ्लीट विद्युतीकरण के प्रति अपनी सफलता की गाथाओं और प्रतिबद्धताओं को साझा किया। जी20 शेरपा अमिताभ कांत, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परम अय्यर, माईगॉव के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक सिंह, दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव आशीष कुंद्रा, महिंद्रा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमन मिश्रा और कई अन्य लोगों ने इस समारोह में भाग लिया।

जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि शून्य अभियान की सफलता इस बात का प्रमाण है कि हरित गतिशीलता क्रांति हमारे समक्ष एक नए युग का आवाहन कर रही है। आगामी भविष्य विद्युत मोबिलिटी के माध्यम से एक साझा और संयुक्त विश्व के निर्माण का है।”

भारत के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में हरित गतिशीलता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परम अय्यर ने कहा कि शून्य अभियान में हरित गतिशीलता के लक्ष्य की दिशा में सभी क्षेत्रों से भागीदारी को बढ़ावा देने की क्षमता है।

आज के समारोह ने भागीदारों को ज्ञान और सीख साझा करने एवं सहयोगी जुड़ाव की शुरूआत करने के अवसर प्रदान किए हैं। केंद्रित चर्चाओं के दौरान, संगठनों ने ईवीएस को बढ़ाने में अपनी चुनौतियों को साझा किया और अभियान के माध्यम से ड्राइविंग प्रभाव पर इसकी प्रतिक्रिया जानी।

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति का अभिनंदन किया

कार्यक्रम के दौरान उन्नत रसायन विज्ञान सेल (एसीसी) ऊर्जा भंडारण (भाग III) रिपोर्ट पर राष्ट्रीय कार्यक्रम भी शुभारंभ किया गया। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि उन्नत रसायन सेल (एसीसी) ऊर्जा भंडारण के लिए भारत की 2.5 अरब डॉलर की उत्पादन-से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना 2030 तक 106-260 जीडब्ल्यूएच की अनुमानित संचयी बैटरी मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है ताकि ईवी अपनाने के लिए देश के दृष्टिकोण और ग्रिड डीकार्बोनाइजेशन को सफलतापूर्वक समझा जा सके। रिपोर्ट यहां पढ़ें।

📍#HappeningNow at the Shoonya Forum. To discuss the role of @Shoonya_India towards ➡️ Communicating for Impact, Group 1️⃣ deliberated on the nuances of driving behaviour change through consumer engagement and collaboration.#ShoonyaTurnsOne pic.twitter.com/A30BSreZPL

शून्य के विषय में:

तेजी से होते वैश्विक शहरीकरण और ई-कॉमर्स की बिक्री शहरी माल ढुलाई और गतिशीलता की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि कर रही है। भारत में, 2030 तक इन क्षेत्रों के 8 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की आशा है। यदि यह मांग इंटरनल कंबस्टन व्हीकल्स (आईसीई) द्वारा पूरी की जाती है तो यह स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि करेगी और प्रतिकूल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों का भी कारण बनेगी। इलेक्ट्रिक वाहन इन चुनौतियों से समाधान का अवसर प्रदान करते हैं। आईसीई वाहनों की तुलना में, यह ईवी टेलपाइप पर पीएम या एनओएक्स का उत्सर्जन नहीं करते हैं और 60 प्रतिशत कम सीओ2 का उत्सर्जन करते हैं और इनकी परिचालन लागत भी 75 प्रतिशत कम होती है। शून्य, भारत में मौजूद राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय ईवी नीतियों के साथ-साथ समन्वित प्रयासों को भी पूरक बनाता है, जिससे भारतीय शहरों में उपभोक्ता जागरूकता और शून्य प्रदूषण राइड एवं डिलीवरी की मांग करता है।

यह भी पढ़ें :   बिजली की मांग में बढ़ोत्तरी को पूरा करने के लिए कोयला क्षेत्र पूर्ण रूप से तैयार: कोयला मंत्रालय

अप्रैल 2022 तक, शून्य अभियान के माध्यम से संयुक्त भागीदारों द्वारा पूरी की गई इलेक्ट्रिक डिलीवरी और राइड की अनुमानित संख्या लगभग क्रमशः 20 मिलियन और 15 मिलियन थी। यह 13,000 टन से अधिक के कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन से बचत करता है।

यदि भारत में सभी क्षेत्रों की डिलीवरी और राइड्स शून्य होती हैं, तो भारत वायु गुणवत्ता में सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य लागत को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के मार्ग पर शीघ्रता से प्रशस्त होगा। भारत में राइड-हेलिंग और डिलीवरी सेक्टर का विद्युतीकरण लगभग 54 मीट्रिक टन सीओ2 उत्सर्जन, 16,800 टन पीएम उत्सर्जन और 537,000 टन एनओएक्स प्रदूषण को कम कर सकता है, जिससे एक वर्ष में लगभग 5.7 लाख करोड़ के व्यय की बचत हो सकती है। इस प्रकार, शून्य कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अपने 2070 जलवायु लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिए सीओपी 26 में घोषित भारत के पांच सूत्री एजेंडा (पंचामृत) का समर्थन करते हुए, परिवहन क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से उत्सर्जन में कमी ला सकता है।

***

 

एसजी/एएम/एसएस