लोकतंत्र के फलने-फूलने और समावेशी विकास के लिए मानवाधिकार सर्वोत्कृष्ट हैं – उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज जोर देकर कहा कि लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए मानवाधिकार सर्वोत्कृष्ट हैं तथा उन्होंने प्रत्येक नागरिक से दूसरों के मानवाधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए काम करने का आग्रह किया क्योंकि “यह उनके अपने मानवाधिकारों के संरक्षण की सबसे सुरक्षित गारंटी है।”

आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 30वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के काम के लिए एनएचआरसी की सराहना की। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वे आयोग की सलाह को सार्वजनिक रूप से प्रमुखता से उजागर करे क्योंकि इससे “देश में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने” में बहुत मदद मिलेगी।

Hon’ble Vice President, Shri Jagdeep Dhankhar at the Foundation Day Celebrations of National Human Rights Commission in New Delhi today. @India_NHRC pic.twitter.com/smVpRsBAtI

मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए समावेशी विकास को महत्वपूर्ण बताते हुए, श्री धनखड़ ने विभिन्न शासन व्यवस्थागत सुधारों और सकारात्मक पहलों की, विशेष रूप से हाल के वर्षों में स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्रों में, सराहना की जिन्होंने मानव अधिकारों को और मजबूती दी है।

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यह देखते हुए कि तटस्थता उत्पीड़क की मदद करती है, पीड़ित की कभी नहीं, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि मानवाधिकारों के हनन के मामले में, हमें पक्ष लेना चाहिए। “मौन हमेशा अत्याचारी को प्रोत्साहित करता है, उत्पीड़ित को नहीं। ऐसे में सक्रिय होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और हमें हस्तक्षेप करना चाहिए।”

यह देखते हुए कि भ्रष्टाचार की स्थिति में मानवाधिकारों से समझौता किया जाता है, श्री धनखड़ ने रेखांकित किया कि गरीब और कमजोर लोग इस खतरे के आसान शिकार हैं। उन्होंने हाल के वर्षों में भ्रष्टाचार पर लगातार हो रहे हमलों पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा में एक अच्छा संकेत बताया।

Human rights get compromised in the face of corruption. Poor and vulnerable are easy victims of this menace.Continual onslaughts on corruption is a bright sign in this direction and vulnerable sections are prime beneficiaries. @India_NHRC pic.twitter.com/LV4tmwaTD7

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इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हमारे प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करके सभी जीवों के साथ सद्भाव से रहने और उनके अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “हमें अपने संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए, जो प्रत्येक नागरिक को प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा जीवित प्राणियों के लिए दया दर्शाने का आदेश देता है।”

कार्यक्रम में माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और पदाधिकारी, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, विभिन्न देशों के राजनयिक, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए।

 

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