टीडीबी-डीएसटी ने ‘लार के नमूनों के सीधे संग्रह के लिए एक किट के विकास और व्यावसायीकरण’ करने के लिए चेन्नई स्थित क्रिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज को 4 करोड़ रूपये की ऋण सहायता प्रदान करेगा

वैश्विक महामारी के कहर से कई जिंदगियां तबाह हो गई हैं और लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। हालांकि, हमारे शोधकर्ताओं, उद्योगपतियों और छोटे उद्यमियों के ठोस प्रयासों के कारण, देश में आरटी-पीसीआर परीक्षण किट, कोविड के टीके, पीपीई किट और मास्क आदि जैसे समाधान पेश किए गए। ये सभी समाधान कम रिकॉर्ड समय के भीतर प्रस्तुत किए गए थे। वैक्सीन की आपूर्ति की आवश्यकता न केवल देश के भीतर पूरी की गई, बल्कि भारत ने भी कोविड-19 के दौरान टीकाकरण की वैश्विक आवश्यकता में योगदान दिया, जिसके कारण भारत को विश्व के “दवा उत्पादक देश” की उपाधि से सम्मानित किया गया और भारत को एक “भरोसेमंद राष्ट्र” के रूप में स्थापित कर दिया है।

चूंकि इस समय राष्ट्र अपने अमृत काल की तैयारी कर रहा है अतः यह समय फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की आकांक्षाओं को नया स्वरूप देने का है। भारत के लिए वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए अब अगला कदम नवाचार की ओर बढ़ना, नए विचारों को बढ़ावा देना और स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाना है। आईसीएमआर, डीएसटी, डीबीटी और टीडीबी जैसे सरकारी निकायों के सहयोग से भारत बायोटेक और मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस जैसी घरेलू कंपनियों द्वारा स्वदेशी रूप से कोविड-19 वैक्सीन, डायग्नोसिस किट का निर्माण करके महामारी से लड़ने के समय देश ने इनमें से कई लक्षणों का प्रदर्शन किया है।

 

 

आगे बढ़ते हुके क्रम में भारत सरकार ने भविष्य के लिए तैयार समाधानों द्वारा संचालित एक ऐसा सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है जो चिकित्सा उत्पादों के बड़े पैमाने पर उच्च गुणवत्ता वाले विनिर्माण पर केंद्रित है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि टीडीबी ने पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उत्प्रेरक के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की लगभग सभी प्रमुख कंपनियों अर्थात – मैसर्स शांता बायोटेक (भारत में हेपेटाइटिस बी की पहली वैक्सीन के निर्माता) के साथ ही भारत बायोटेक, बायोकॉन, रैनबैक्सी, बायोलॉजिकल ई, ग्लैंड फार्मा, पैनासिया बायोटेक, विरचो बायोटेक, स्ट्राइड एक्रोलैब, मायलैब डिस्कवरी आदि को टीडीबी द्वारा अपनी परियोजनाओं के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता मिली है।

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भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को और सुदृढ़ करने के लिए, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड मैसर्स क्रिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई को लार प्रत्यक्ष नमूना संग्रह किट (सैलाइवा डायरेक्ट सैंपल कलेक्शन किट) के विकास और व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने समर्थन देते हुए कुल 09 करोड़ रूपये की परियोजना लागत में से 4 करोड़ रुपये की ऋण सहायता का समर्थन दिया है।

यह कंपनी किसी भी मॉलिक्यूलर ट्रांसपोर्ट मीडिया (एमटीएम) कम्पनी के साथ मिलकर ऐसे लार संग्रह किट का निर्माण और व्यावसायीकरण करना चाहती है जो संक्रामक रोगों और कैंसर की स्क्रीनिंग के आणविक निदान को आगे बढ़ाएगी। एमटीएम उपयुक्त प्रयोगशाला को आरएनए पृथक्करण व्यवहार (आइसोलेशन प्रोटोकॉल) को छोड़ने में सक्षम बनाते हुए डीएनए आइसोलेशन की सुविधा प्रदान करता है। विषाणुजन्य (वायरल) रोगजनकों (पैथोजेन्स) के लिए प्रयुक्त  वर्तमान पारंपरिक संग्रह विधि, वीटीएम, प्रयोगशाला में परीक्षणों के दौरान वायरस को जीवित रखती है। कंपनी का नया माध्यम नमूना संग्रह के समय विषाणु को निष्क्रिय कर देता है और  इस प्रकार संक्रमण के उस आकस्मिक प्रसार से बच जाता है जो पारंपरिक वीटीएम में अन्तर्निहित है। इसके अलावा इस नई तकनीक का उद्देश्य नमूना संग्रह प्रक्रिया के दौरान परीक्षण तक पहुंच और रोगी को आराम दोनों ही में सुधार करना है। एमटीएम को परिवहन के दौरान कड़े तापमान की स्थिति में नमूने को संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं होती है। क्रिया की संग्रह किट ऐसे स्व-संग्रह पर निर्भर करती है जो दूरस्थ / ग्रामीण क्षेत्रों से नमूनों के बेहतर परिवहन की अनुमति देती है और नासॉफिरिन्जियल स्वैब की तुलना में कम आक्रामक होती है।

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कोविड-19 महामारी की शुरुआत में, क्रिया (केआरआईवाईए) भारत की पहली घरेलू, भारतीय कम्पनी थी जो आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से अनुमोदित नासॉफिरिन्जियल स्वैब-आधारित नमूना संग्रह किट के साथ-साथ एक अभिनव सुरक्षित वायरल आणविक परिवहन माध्यम के साथ सामने आई। कंपनी ने सफलतापूर्वक इस किट का निर्माण किया और अंतर्राष्ट्रीय संकट के समय में सरकारी अस्पतालों और अग्रणी प्रयोगशाला श्रृंखलाओं का समर्थन किया ।

क्रिया (केआरआईवाईए) का नेतृत्व अनुराधा मोटुरी द्वारा किया जाता है जिनका उद्देश्य भारत और अन्य उभरते बाजार वाले देशों में विश्व स्तरीय, अत्याधुनिक स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी लाना है। क्रिया का लक्ष्य चिकित्सा समाधानों का एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो उच्च-घटना और उच्च-प्रभाव वाली बीमारियों को लक्षित करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ नैदानिक उपकरणों को एकीकृत करने के साथ ही हाशिए के बाजारों के लिए उपलब्ध बुनियादी स्वास्थ्य सेवा भी उन्नत करता है।

आईपी एंड टीएएफएस, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक, ने इस अवसर पर कहा कि “भारत ने समय-समय पर सबसे अधिक आवश्यकता होने पर अभिनव समाधान देने की क्षमता दिखाई है। कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के लिए सस्ती कीमतों पर ऐसी और अधिक नवीन प्रौद्योगिकियों के साथ आगे आने का इससे अधिक सही समय अब और  नहीं हो सकता है। इस दशक को ‘टेकेड’ कहा गया है जो माननीय प्रधानमंत्री द्वारा जय अनुसंधान के नारे के अनुरूप ही निजी संस्थाओं के बीच आत्मनिर्भरता और जमीनी स्तर पर क्षमता का उपयोग करके भारत के नवाचार क्षेत्र को अपेक्षित बढ़ावा प्रदान करेगा।

 

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