प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी श्री गुरु नानक देव जी के 553वें प्रकाशोत्सव समारोह में सम्मिलित हुये

“जो मार्गदर्शन हमें गुरुबानी से मिला था, वह आज हमारे लिये परंपरा भी है, आस्था भी है और विकसित भारत का विजन भी है”

“हर प्रकाश पर्व की रोशनी हमारे देश को दिशा दिखा रही है”

“गुरु नानक देव जी के विचारों से प्रेरित होकर, देश 130 करोड़ भारतीयों के कल्याण की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है”

“आजादी के अमृत काल में, देश ने राष्ट्र के वैभव और आध्यात्मिक अस्मिता के प्रति गौरव की भावना पैदा की है”

“कर्तव्य की सर्वोच्च भावना के प्रोत्साहन के लिये, देश ने इस चरण को कर्तव्य काल के रूप में मनाने का निर्णय किया है”

 

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज नई दिल्ली में श्री गुरु नानक देव जी के 553वें प्रकाश पर्व के समारोह में सम्मिलित हुये और अरदास की। प्रधानमंत्री का स्वागत शॉल, सरोपा और तलवार भेंट करके किया गया।

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने गुरपुरब और प्रकाश पर्व तथा देव दीपावली के पावन अवसर पर सबको बधाई दी। उन्होंने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि उन्हें प्रमुख प्रकाश पर्वों, जैसे गुरु गोबिन्द सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व, गुरु तेग बहादुर सिंह जी के 400वें प्रकाश पर्व और गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व में सम्मिलित होने का मौका मिला। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन पवित्र अवसरों की प्रेरणा और आशीर्वाद से नये भारत की ऊर्जा बढ़ रही है…..हर प्रकाश पर्व की रोशनी देश के लिये प्रकाश का स्रोत है।” सिक्ख समुदाय जिस प्रकाश पर्व का अनुसरण करता है, उसके अर्थ पर प्रकाश डालते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि उसी प्रकाश पर्व ने देश को कर्तव्य और समर्पण का मार्ग दिखाया है। प्रधानमंत्री ने इन पवित्र अवसरों पर गुरु कृपा, गुरबानी और लंगर प्रसाद के प्रति अपना समर्पण व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इससे न केवल आंतरिक शांति मिलती है, बल्कि इससे समर्पण और शाश्वत भावना के साथ सेवा करने की इच्छाशक्ति को भी बल मिलता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “गुरु नानक देव जी के विचारों से प्रेरित होकर, देश 130  करोड़ भारतीयों के कल्याण की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है।” प्रधानमंत्री ने आध्यात्मिक बोध, सांसारिक समृद्धि और सामाजिक समरसता के लिये गुरु नानक देव जी की शिक्षा को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत काल में, देश ने राष्ट्र के वैभव और आध्यात्मिक अस्मिता के प्रति गौरव की भावना पैदा की है। उन्होंने कहा कि कर्तव्य के प्रति सर्वोच्च भावना को प्रोत्साहित करने के लिये देश ने इस चरण को कर्तव्य काल के रूप में मनाने का निर्णय किया है। आजादी के अमृत काल के इस चरण के दौरान समानता, समरसता, सामाजिक न्याय और एकता के लिये सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के तहत काम किया जा रहा है।

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प्रधानमंत्री ने गुरु नानक की शिक्षा की शाश्वत प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुये कहा, “गुरुग्रंथ साहिब के रूप के हमारे पास जो अमृतवाणी है, उसकी महिमा, उसकी सार्थकता, समय और भूगोल की सीमाओं से परे है। हम यह भी देखते हैं कि जब संकट बड़ा होता है, तो इन समाधानों की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। आज विश्व में जो अशांति है, जो अस्थिरता है, आज दुनिया जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है, उसमें गुरु साहिब की शिक्षाएं और गुरु नानकदेव जी का जीवन, एक मशाल की तरह विश्व को दिशा दिखा रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जितना गुरुओं के आदर्शों को अपनायेंगे, हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को उतना मजबूत करेंगे, हम जितना मानवता के मूल्यों को प्राथमिकता देंगे, हमारे गुरुओं की वाणी उतनी ही जीवंत और प्रखर स्वर से विश्व के जन-जन तक पहुंचेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गत आठ वर्षों में हमें गुरु नानक देव जी के आशीर्वाद से सिख परंपरा के गौरव के लिए निरंतर काम करने का अवसर मिला है। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिये गोबिन्द घाट से हेमकुंड साहिब तक जाने वाले रोप-वे के शिलान्यास और दिल्ली-उना वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत किये जाने का उल्लेख किया। गुरु गोबिन्द सिंह जी से जुड़े स्थानों के विद्युतीकरण और दिल्ली-कटरा-अमृतसर एक्सप्रेस-वे को भी यात्रियों की सुविधाओं के लिये जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिये 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि सरकार खर्च कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये समस्त प्रयास सुविधाओं और पर्यटन क्षमता विकास के लिये ही नहीं हैं; यह हमारे आस्था स्थलों की ऊर्जा, सिक्ख धरोधर, सेवा, प्रेम और समर्पण के बारे में भी हैं। प्रधानमंत्री ने करतारपुर साहिब कॉरीडोर खोले जाने, अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र अंशों को वापस लाने तथा साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाये जाने जैसे कदमों का उल्लेख भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “विभाजन के समय हमारे पंजाब के लोगों ने जो बलिदान दिया था, उसकी स्मृति में देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भी आरंभ किया है। हमने सीसीए अधिनियम लाकर विभाजन पीड़ित हिन्दू-सिक्ख परिवारों को नागरिकता प्रदान करने का मार्ग भी बनाया।”

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प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन के समापन पर कहा, “गुरु साहबान के आशीर्वाद से मेरा पूर्ण विश्वास है कि भारत अपनी सिक्ख परंपरा के वैभव को बढ़ाता रहेगा और प्रगति मार्ग पर अग्रसर होता रहेगा।”

 

On the eve of Guru Purab, addressing a programme in Delhi recalling Sri Guru Nanak Dev Ji. https://t.co/x4hCgNhVb4

Greetings on Guru Purab and Dev Deepavali. pic.twitter.com/uLejNJlqMh

मैं अपना और अपनी सरकार का बहुत बड़ा सौभाग्य मानता हूं कि गुरुओं के इतने अहम प्रकाश पर्व हमारी ही सरकार के दौरान आए: PM @narendramodi pic.twitter.com/pTPU4dm8yx

हर प्रकाश पर्व का प्रकाश देश के लिए प्रेरणापुंज का काम कर रहा है: PM @narendramodi pic.twitter.com/ptiKVYcPHS

Inspired by Guru Nanak Dev Ji’s thoughts, the country is moving ahead with the spirit of welfare of 130 crore Indians. pic.twitter.com/5T00SsVP6v

जो मार्गदर्शन देश को सदियों पहले गुरुवाणी से मिला था, वो आज हमारे लिए परंपरा भी है, आस्था भी है, और विकसित भारत का विज़न भी है: PM @narendramodi pic.twitter.com/QKhywDTRYC

It is our constant endeavour to strengthen the Sikh traditions. pic.twitter.com/njOJwoNhJZ

हमारा प्रयास रहा है कि सिख विरासत को सशक्त करते रहें। pic.twitter.com/IndhMYhmhk

विभाजन में हमारे पंजाब के लोगों ने, देश के लोगों ने जो बलिदान दिया, उसकी स्मृति में देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की शुरुआत भी की है। pic.twitter.com/1QS3JrmuU5

 

 

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